अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रशमिना मंसूरी ने गुरुवार को शक्तिसिंह पिता किशनसिंह शेखावत निवासी जसवंतपुरा जयपुर राजस्थान, श्रृद्धा पति राजेश सोलंकी निवासी अब्दालपुरा, शुभम गेहलोत पिता सुरेशचन्द्र निवासी भैरवगढ़ मार्ग, घनश्याम पिता शेषनारायण गुप्ता निवासी नमकमंडी और विशाल सोनी पिता कैलाशचन्द्र निवासी अंकपात मार्ग को धारा 420,120.बी भादवि में 04 वर्ष एवं धारा 406 भादवि में 02 वर्ष का कठोर कारावास एवं प्रत्येक आरोपी को 03.03 लाख कुल 15 लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। उप.संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि घटना वर्ष 2013 में जीवाजीगंज पर फ रियादी आदित्य शर्मा, जसबंत डूंगरवाल, सुभाष मेेहता तथा अन्य कुल 12 व्यक्तियों द्वारा स्टेबल इन्फोटेक प्राइवेट कम्पनी के विरुद्ध ऑनलाइन जॉब के माध्यम से धोखाधड़ी के संबंध में आवेदन दिया गया था।
जांच में पाया गया कि स्टेबल इन्फ ोटेक प्राइवेट कम्पनी पार्ट टाइम ऑनलाइन जॉब का इंटरनेट द्वारा घर बैठे कमाई का प्रलोभन देती है। जिसका संचालन शक्ति सिंह शेखावत और अजीत सिंह द्वारा किया जा रहा था। कम्पनी की उज्जैन में फ्रेंचाइजी राजेश सोंलकी एवं उसकी पत्नी श्रद्धा सोलंकी द्वारा ली गई थी। इन लोगों द्वारा अब्दालपुरा में यश कम्प्यूटर के नाम से दुकान खोलकर संचालित की जा रही थी। कंपनी के प्लान के अंतर्गत ग्राहकों को घर बैठे ऑनलाइन जॉब कर कमाई करने का प्रलोभन देकर 25 हजार, 51 हजार, 1 लाख रुपए की राशि जमा कराने पर प्रत्येक ग्राहक को जमा राशि के अनुसार एक आइडी व पासवर्ड कम्पनी के द्वारा उपलब्ध कराया गया था। उनकी आइडी पर जो कि एक निश्चित पासवर्ड पर ही खुलती थी। जिस पर विज्ञापन आते थे जिसमें कि आइडी लेने वाले ग्राहको को घर पर ही निर्धारित संख्या में क्लिक करना होता था।
करते रहे टालमटोल
फ्रेंचाइजी के संचालक राजेश सोलंकी एवं श्रद्धा सोलंकी द्वारा फरियादी से कुल राशि 20 लाख 45 हजार रुपए जमा करवाई एवं आवेदकों को विभिन्न चेकों के माध्यम से 03 लाख 80 हजार 135 रुपए का भुगतान किया। 16 लाख 64 हजार 865 रुपए का आश्वासन देकर टालमटोल करते रहे। अंत में ऑनलाइन काम देना बंद कर अपनी दुकान यश कम्प्यूटर बंद करके फ रार हो गए। राजेश सोलंकी एवं श्रद्धा सोलंकी द्वारा उज्जैन की अपने सहायार्थ शुभम गेहलोत, घनश्याम गुप्ता, व विशाल सोनी को कार्य में लगाया, जिसके चलते पांचों आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। आरोपी शक्ति सिंह एवं उसके भाई अजीत सिंह के नाम से तीन कम्पनिया बनाई गई।
सजा से बचने के लिए बच्चों का सहारा
शासन के ओर से पैरवीेकर्ता उमेश तोमर ने बताया कि दंड के प्रश्न पर आरोपी द्वारा निवेदन किया गया था कि हमारे परिवार में छोटे बच्चे हैं तथा आरोपी श्रद्धा सोलंकी द्वारा निवेदन किया गया कि वह एक महिला है। इस कारण उनके विरुद्ध नरम रूख अपनाया जाये। जिस पर एडीपीओ रेखा भटनागर ने निवेदन किया कि आरोपी व्हाइट कॉलर क्रीमिनल है इनके द्वारा सुनियोजित तरीके से देश की मासूम जनता को प्रलोभन देकर उनके साथ धोखाधड़ी की है। इसलिए उन्हें कठोर दंड से दंडित किया जाए। जिस पर न्यायालय ने पांचो आरोपियों को ४-४ वर्ष के कठोर कारावास के दंड और १५ लाख के जुर्माना की सजा सुनाकर जेल भेज दिया।