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कॉलेजों में नए सत्र में भी नहीं मिलेंगे ‘नेताÓ

locationउज्जैनPublished: Jul 17, 2019 09:41:00 am

Submitted by:

Rishiraj Sharma

छात्र चुनाव को लेकर सरकार की तैयारी नहीं, नए सत्र में भी शैक्षणिक संस्थानों को नेतृत्व मिलने पर संशय, एनएसयूआई मनोनयन की व्यवस्था खत्म कर सभी कक्षा प्रतिनिधि और पदाधिकारियों के प्रत्यक्ष चुनाव कराने के पक्ष में उठा रही मांग

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उज्जैन. उच्च शिक्षा संस्थानों में नए सत्र की शुरुआत हो गई। इसी के साथ कॉलेज के कैम्पस और विक्रम विश्वविद्यालय में छात्र संगठनों की सक्रियता भी बढ़ गई। प्रमुख संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपनी गतिविधियों के संचालन के साथ धरना-प्रदर्शन में व्यस्त हैं, लेकिन नए सत्र 2019-20 में भी कैम्पस में विद्यार्थियों को लोकतंत्र के पर्व की गूंज सुनाई देने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग छात्रसंघ चुनाव करवाने की तैयारी में नहीं है। छात्र संगठन लगातार चुनाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग व सरकार की तरफ से अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। कागजों पर तो छात्रसंघ चुनाव की कोई तैयारी नहीं। सरकार की तरफ उच्च शिक्षा मंत्री व अन्य लोग समय-समय पर बयान जारी कर छात्रहित की बात जरूर करते हैं, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।


प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की बात

विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने उच्च शिक्षा से संबंधित जो घोषणा की उसमें प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्रसंघ चुनाव करवाने की बात थी। उच्च शिक्षा मंत्री मंत्री जीतू पटवारी ने छात्रसंघ चुनाव के संबंध में निर्णय भी लिया, लेकिन एकाएक प्रक्रिया को रोक दिया गया। विभाग के निर्देशानुसार अगस्त-सितंबर में छात्रसंघ चुनाव होते हैं। अभी काफी समय है। एेसे में सरकार चुनाव करवाने का निर्णय एेनवक्त पर भी ले भी सकती है। इस पर सरकार और संगठन में सहमति बनने की बात है।

विगत 10 साल में एक बार हुए चुनाव
कॉलेजों में पिछली बार छात्रसंघ चुनाव 2017 में हुए। यह चुनाव भी लंबे इंतजार के बाद पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने करवाए, लेकिन फिर विधानसभा चुनाव की आड़ में 2018 के चुनाव रोक दिए। अब निकाय चुनाव आने वाले हैं। इसी के चलते कांग्रेस की सरकार भी मंथन कर रही है कि चुनाव करवाए जाएं या नहीं। इस पर सहमति नहीं बनी। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी लगातार चुनाव करवाए जाने के पक्ष में बयान देते नजर आ रहे हैं।

चुनाव में एनएसयूआई, मनोनयन में एबीवीपी

कैम्पस में 2017 में हुए छात्रसंघ चुनाव में तीन प्रणाली से कक्षा प्रतिनिधियों का निर्वाचन हुआ। इसमें छात्रों के प्रत्यक्ष चुनाव, एक आवेदन पर निर्विरोध और किसी के भी आवेदन नहीं करने पर मैरिट से कक्षा प्रतिनिधि चुने गए। इस पूरे छात्रसंघ चुनाव में अलग-अलग कॉलेजों में थोड़ा स्थिति में अंतर हो सकता है, लेकिन कैम्पस के चुनाव परिणाम ने पूरी तरह से साफ कर दिया था कि चुनाव होने पर एनएसयूआई भारी थी तो निर्विरोध और मैरिट के आधार पर एबीवीपी आगे रही। अब एनएसयूआई मनोनयन की व्यवस्था खत्म कर सभी कक्षा प्रतिनिधि और पदाधिकारियों के प्रत्यक्ष चुनाव के पक्ष में मांग उठा रही है।

इनका कहना है
चुनाव के संबंध में समस्त निर्णय विभाग से होते हैं। इसमें नवीन निर्देशों में या फिर अन्य कोई आदेश व सूचना प्राप्त अब तक प्राप्त नहीं हुई है।

आरसी जाटवा, अतिरिक्त संचालक उज्जैन व इंदौर

इनका कहना है
प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्रसंघ चुनाव की मांग विद्यार्थी परिषद लगातार कर रही है। पूर्व के सत्रों में चुनाव परिषद की मांग पर हुए। चुनाव पर रोक विद्यार्थियों के साथ कुठाराघात है।

हिमांशु रावल, संयोजक विवि इकाई, एबीवीपी

इनका कहना है

भाजपा सरकार ने अपने 15 साल के शासन में चंद वर्ष ही चुनाव करवाए। एनएसयूआई हमेशा चुनाव की मांग उठाती रही है। इस बार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की उम्मीद है।
अंबर माथुर, जिलाध्यक्ष एनएसयूआई।

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