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पत्रिका संडे पॉलिटिकल मीटिंग: बेबाकी से महिलाओं ने रखी अपनी बात

locationउज्जैनPublished: Mar 18, 2019 12:35:41 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

हम देखें उम्मीदवार समस्याएं हल करवा पाएगा या नहीं, फिर करें मतदान करने की बात

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महिदपुर. लोकसभा चुनाव को लेकर महिदपुर के रामलीला मैदान में पंजाबी समाज की महिलाओं के साथ पत्रिका ने बात की। पत्रिका संवाददाता रमेशचंद्र गौड़ ने उनके बीच पहुंच राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की छवि कैसी होनी चाहिए। वे किस प्रकार के कार्य जनहित में करवाएं जिससे मतदाता संतुष्ट हो सकें जैसे मुद्दों पर उनके विचार जाने तो महिलाओं ने बड़ी बेबाकी से बात रखी।

गंभीर समस्याओं का समाधान करें

महिलाओं ने कहा वोट मांगने आने से पहले राजनीतिक दल क्षेत्र की गंभीर समस्याओं का समाधान करें। मुख्य रूप से नगरवासियों को प्रदूषण मुक्त कर स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए नगर को धूल मुक्त करने, सफाई व्यवस्था में और सुधार की आवश्यकता, पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध करवाने में जिम्मेदारों की विफलता, कृषि बहुल क्षेत्र होने के बाद भी बच्चों के लिए कृषि से संबंधित शिक्षा के लिए कृषि कॉलेज की स्थापना न हो पाना, व्याप्त बेरोजगारी को दूर करने के लिए जिम्मेदार प्रयास न किए जाने तथा औद्यौगिक क्षेत्र घोषित कर लघु व मध्यम उद्योग स्थापित किए जाने जैसी क्षेत्रवासियों की ज्वलंत समस्याओं को हल करवाने के बाद ही अपने पक्ष में मतदान करने की बात करने जैसे मसलों पर खुलकर अपने विचार रखे।

स्वच्छता वर्तमान में समय की मांग

संगीता कालरा ने कहा राजनीति में स्वच्छता वर्तमान में समय की मांग है हमारे राजनेता जनसेवा के लिए राजनीति का क्षेत्र चुनने की बात तो करते हैं परंतु जीत मिलने के बाद जनसेवा के वादे को भूल जाते हैं। यह मतदाताओं के साथ वादाखिलाफी नहीं तो और क्या माना जाए। महिदपुर का ही उदाहरण लें। रहवासी धूल खाने के लिए विवश हैं। उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। कहां हैं हमारे जनसेवक सामने आएं व जनता के लिए नगर को धूल मुक्त करने का बीड़ा उठाएं।

मतदाताओं को भूल जाते हैं

पुष्पा टक्कर ने कहा हमारे राजनेता चुनावी फसल काटने के लिए लोकलुभावन फसल के उत्पादन का भरोसा देकर जीतने के बाद खुद को चुनने वाले उन्हीं मतदाताओं को भूल जाते हैं। उनकी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए बार-बार चक्कर लगवा उन्हें मानसिक तौर पर प्रताडि़त भी करते हैं। महिदपुर की बिगड़ी सफाई व्यवस्था को ही देख लें। यहां स्वच्छता के क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता है लेकिन हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे मामलों में पीछा छुड़ाने का प्रयास कर मतदाताओं के साथ छलावा करते हैं। ऐसे माहौल को देखते हुए राजनीति में स्वच्छता व ईमानदार लोगों का आगे आना बहुत जरूरी है मैं पत्रिका की मुहिम का समर्थन करने के साथ ही उसे आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को अच्छे उम्मीदवार को चुनने के लिए जागरूक करूंगी।

मतदाताओं को यूज एंड थ्रो समझते हैं

सरिता कालरा ने तल्ख लहजे में कहा राजनेता हम मतदाताओं को यूज एंड थ्रो समझते हैं। यहां वे यह भूल जाते हैं आज का मतदाता जागरूक हो रहा है। उनके विचारों में स्पष्टता का समावेश हो रहा है अब आसानी से झांसे में नहीं लिया जा सकता है। राजनेताओं को जनहित में कदम उठाने होंगे। अन्यथा आज का मतदाता उन्हें नकारने से नहीं हिचकेगा। हम नगरवासियों को हर गर्मी में जलसंकट का सामना करना पड़ता है। यही नहीं खान नदी का गंदा पानी पीने को विवश किया जा रहा है। नगरवासियों को शुद्ध पानी कब उपलब्ध होगा यह बताएं। आज राजनीति में अच्छे लोगों को चुनना समय की मांग है।

राजनेता विश्वनीयता खोते जा रहे

कृष्णा कालरा ने कहा राजनेता विश्वनीयता खोते जा रहे हैं। पत्रिका की मुहिम का जब पूरे देश में असर होगा तब ही मतदाता समझ पाएंगे कि दृढ़ संकल्प से व्यवस्था परिवर्तन कैसे हो सकता है। पत्रिका बधाई की पात्र ही नहीं बल्कि सच्चा जनहितैषी भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी पर अंकुश लगे, तभी लोकतंत्र के प्रति हमारी निष्ठा बढ़ेगी साथ ही राजनीति भी स्वच्छ होगी

राजनीति में अच्छे लोग आएं

वीरादेवी टक्कर ने कहा राजनीति में अच्छे लोग आएं ताकि जन समस्याओं का समाधान हो सके। हमारा क्षेत्र कृषि बहुल्य होकर भी बच्चे बेरोजगारी के शिकार हो रहे हैं। जनप्रतिनिधि चाहें तो इसका समाधान हो सकता है। चाहिए दृढ़ इच्छाशक्ति महिदपुर में कृषि कॉलेज की स्थापना हो। साथ ही इसी से संबंधित छोटे-बड़े उद्योगों की शृंखला स्थापित हो। क्षेत्र की उन्नति के साथ ही बेरोजगारी पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। मैं तो ऐसी इच्छा शक्ति वाले को ही चुनना चाहूंगी।

चुनाव जीतना क्या यही लोकतंत्र है

नारायणीदेवी अरोड़ा ने कहा मैं आज की राजनीति पर बात करने से बचना चाहूंगी। स्वार्थ लोलुपता, अविश्वसनीयता, झूठ, तथा भ्रष्ट तरीकों से चुनाव जीतना क्या यही लोकतंत्र है। हमें भी इसमें सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। यह लोकतंत्र बचाने का नेक काम किसी एक या दो की जिम्मेदारी नहीं हम सभी को अपना योगदान देना होगा तभी लोकतंत्र सुरक्षित रह पाएगा। मैं पत्रिका के महाअभियान के साथ हूं। यह वादा भी करती हूं इसे मंजिल तक पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास करती रहूंगी। पत्रिका को साधुवाद।

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