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सरप्राइज एंट्री का क्रेज: जब दुल्हा-दूल्हन मुख्य आकर्षण तो फिर एंट्री खास क्यों न हो

locationउज्जैनPublished: May 30, 2023 02:19:10 am

Submitted by:

Mukesh Malavat

शादियों में इवेंट प्लाङ्क्षनग का क्रेज, महिला संगीत की तरह हल्दी-मेहंदी को भी बना रहे विशेष इवेंट

Surprise entry craze: When the bride and groom are the main attraction

शादियों में इवेंट प्लाङ्क्षनग का क्रेज, महिला संगीत की तरह हल्दी-मेहंदी को भी बना रहे विशेष इवेंट

उज्जैन. विवाह कार्यक्रम वैसे तो आयोजकों के लिए हमेशा से यादगार पलों में शामिल है लेकिन इवेंट प्लाङ्क्षनग ने इन्हें आगंतुकों के लिए भी अमिट छाप बना दिया है। विशेषकर मेहमान यह देखने को सबसे ज्यादा उत्सुक रहते हैं कि दुल्हा-दुल्हन की एंट्री कैसी होगी। यही कारण है कि सरप्राइज एंट्री का क्रेज बढ़ा है। ऐसा हो भी क्यों न, जब पूरे आयोजन का मुख्य आकर्षण ही दुल्हा-दुल्हन हो तो फिर उनकी एंट्री आम कैसे हो सकती है।
10 से 50 हजार रुपए तक खर्च किए जा रहे
शादी के अलावा पहले महिला संगीत और रिसेप्शन का ही क्रेज रहता था लेकिन अब हल्दी, मेहंदी और मायरा जैसे दिन के इवेंट को भी वेल आर्गेनाइज्ड बनाया जा रहा है। इनके अलावा कपल एंट्री मुख्य आकर्षण हो गया है। खास बात यह हैं एंट्री भी कई प्रकार से हो रही है जिन पर 10 हजार से 50 हजार रुपए तक खर्च किए जा रहे हैं।
अब हल्दी-मेहंदी भी हुई म्यूजिकल
महिला संगीत या रिसेप्शन जैसे रात के इवेंट को ही आकर्षक बनाया जाता था लेकिन अब हल्दी, मेहंदी या मायरा जैसे परंपराओं को भी वेल प्लांड किया जा रहा है। इनमें भी विशेषकर हल्दी का आयोजन दो-तीन घंटे का किया जा रहा है। इसमें इवेंट कंपनी के आर्टिस्ट हल्दी लगवाने से लेकर नाच-गाना तक करवाते हैं। इसके अलावा दुल्हा या दुल्हन के लिए स्टेज, डेकोरेशन, संगीत, सेल्फी कार्नर, कलर स्मोक के साथ गाड़ी से एंट्री, फूलों की होली आदि किया जाता है। इसी तरह मेहंदी व मायरा में भी डेकोरेशन के साथ गीत-संगीत होता है।
कुछ एंट्री जिनका अधिक चलन
1. ड्राय आइस एंड पायरो- बेसिक एंट्री है। जमीन पर रखे पॉट से सफेद धुआं छोड़ते हैं व पायरो (अनार बम की तरह रिमोट चलने वाले इलेकट्रीक आइटम ) चलाते हैं। इनके बीच से दुल्हा-दुल्हन आते हैं। औसत खर्च 10 हजार रुपए है।
2. ङ्क्षवटेज एंट्री विद कलर स्मोक- ङ्क्षवटेज कार में कपल आते हैं। इनके साथ ही कलर स्मोक बम या पायरो चलाकर इसे और आकर्षक बनाया जाता है। औसत खर्च 10 हजार रुपए है।
3. एटीवी- ङ्क्षवटेज कार की तरह एटीवी गाड़ी पर कपल सवार होते हैं। इसमं भी कलर स्मोक बम, पायरो या बेलून बंच से आकर्षण बढ़ाया जाता है। औसत खर्च 10 हजार रुपए है।
4. रथ विद लवाजमा- बड़े मैरिज गार्डन होने से रथ पर एंट्री का क्रेज है। मैन्युअल ऑपरेङ्क्षटग होते हैं। इनमें पद्मावट, बाहुबली, लोटस कार्ट, फेस कार्ट आदि थीम होती है। पायरों का भी उपयोग। रथ के साथ हाथ में मखमली छतरी, शहनाई आदि लिए 6 या इससे अधिक लोगों का लवाजमा चलता है। लागत 31 हजार रुपए व आइटम अनुसार इससे अधिक होती है।
एक-एक पल खास है तो लगना भी चाहिए
अपने महत्व के कारण विवाह आयोजन प्रारंभ से ही खास रहा है लेकिन यदि इसे सुनियोजित व आकर्षक बनाया बनाया जाए तो और भी विशेष बन जाता है। इस आयोजन का एक-एक पल, एक-एक रीति-रिवाज का अपना महत्व है, इसलिए यह खास और महत्वपूर्ण लगना भी चाहिए। आयोजन सुनियोजित और हटकर होता है, उतना ही यादगार बन जाता है। इवेंट प्लाङ्क्षनग से ऐसा संभव हो पा रहा है। आज हल्दी, मेहंदी से लेकर दुल्हा-दुल्हन की एंट्री और विदाई तक, सभी फंक्शन को असाधारण बनाया जाता है। यहां के धार्मिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता, तुलनात्मक कम खर्च और पर्याप्त स्थान के कारण कई बाहरी लोग भी यहां आकर शादी कर रहे हैं।
– आरजे रोहित, अध्यक्ष उज्जैन इवेंट एसोसिएशन
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