सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव
surya grahan 2018 का सूतक काल शुरू होते ही राजधानी के प्रसिद्ध मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। भोपाल के ज्योतिषाचार्य पंडित जगदीश शर्मा बताते हैं कि सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस कारण प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा-अर्चना बंद कर दी जाएगी। ग्रहण खत्म होने के बाद ही मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे। ब्रह्मांड में होने वाली इस खगोलीय घटना को सनातन धर्म में पूजा-पाठ से भी जोड़कर देखा जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चूंकि सूर्य सभी राशियों का स्वामी होता है तो सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। surya grahan 2018 timings इस दौरान पूजा-अर्चना भी निषेध मानी जाती है।
महाकालेश्वर मंदिर,उज्जैन
महाकालेश्वर मंदिर,उज्जैन में सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा। वहीं प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर में आरती देरी से होगी। इस अवधि में घरों में पूजा-पाठ आदि कर्म नहीं किए जा सकेंगे। सिर्फ भगवान के भजन कर सकेंगे। ग्रहण समाप्त होने पर लोग रामघाट पर शिप्रा स्नान कर पंडितों को दान-पुण्य करेंगे। महाकाल मंदिर के शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु ने बताया ग्रहण के बाद कोटितीर्थ कुंड के जल से गर्भगृह शुद्ध होगा। इसके बाद दध्योदक आरती में भगवान को भोग लगेगा।
पीतांबरा देवी मंदिर ( दतिया)
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूतक काल के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही है। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले और ग्रहण के 12 घंटे बाद के समय को सूतक काल कहा जाता है। इस दौरान मंदिरों के द्वारा बंद रहते हैं और वहां पूजा भी नहीं की जाती है। पीतांबरा देवी मंदिर में भी 16 फरवरी को कपाट बंद कर जिए जाएंगे। सूर्यग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर में आरती की जाएगी।
शारदा देवी का मंदिर (मैहर शहर)
मैहर शारदा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जिला सतना की मैहर तहसील के समीप त्रिकूट पर्वत पर मैहर देवी का मंदिर है। मैहर नगरी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर शारदा माता का मंदिर है। यह न सिर्फ आस्था का केंद्र है, अपितु इस मंदिर के विविध आयाम भी हैं। इस मंदिर की चढ़ाई के लिए 1063 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों की भारी भीड़ जमा होती है। सूर्यग्रहण के दिन इस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे लेकिन दाम-पुण्य का कार्य जारी रहेगा।
सलकनपुर मंदिर ( सीहोर)
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में है सलकनपुर नामक गांव। यहां स्थित 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजमान है बिजासन देवी। यह देवी मां दुर्गा का अवतार हैं। देवी मां का यह मंदिर MP की राजधानी भोपाल से 75 किमी दूर है। वहीं यह पहाड़ी मां नर्मदा से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का रास्ता पार करना पड़ता है। जबकि इस पहाड़ी पर जाने के लिए कुछ वर्षों में सड़क मार्ग भी बना दिया गया है। इस मंदिर के ज्योतिषाचार्य का कहना है कि ग्रहण का सभी मनुष्यों पर अनुकूल और प्रतिकूल असर पड़ सकता है। लेकिन, राजनेताओं और अफसरों पर अधिक प्रभाव होगा। सूर्य और चंद्रमा का विषयोग बनने से प्रकृति और सामान्य जीव प्रभावित होगा। इसलिए ग्रहण के वक्त ध्यान , दान, जप और यज्ञ आदि किया जा सकता है। ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
करें ये छोटा सा उपाय तो बदल जाएगी किस्मत
सूतक के समय भोजन आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए और जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहीत करने की अद्भुत शक्ति होती है। ग्रहण के बाद पानी को बदल लेना चाहिए। अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में अगर उसके पेट में दूषित अन्न या पानी चला जाएगा तो उसके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद जरूर करें ये काम…
– स्नान करें और अन्न, वस्त्र, धनादि का दान करें.
– ग्रहण के पहने गए कपड़ों को भी दान कर दें.
– ग्रहण काल में मंत्र जाप व चिंतन के कार्य करने का विधान है. इसलिए ग्रहण का मोक्ष काल समाप्त होते ही भगवान के दर्शन करना विशेष शुभ फल देता है.
– सूर्य ग्रहण के बाद मंदिर की सफाई करें और भगवान को नये कपड़े पहनाएं
– सूर्य ग्रहण के बाद तुलसी और शमी पर भी गंगाजल छिड़क इन्हें शुद्ध किया जाता है.
– ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगा जल छिड़कें.
साल 2018 में कब-कब होगा सूर्यग्रहण