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इस छोटे गांव की मटरफली की मिठास घोल रही लोगों के जीवन में मिठास

locationउज्जैनPublished: Nov 30, 2019 12:06:20 am

Submitted by:

Ashish Sikarwar

संपूर्ण मालवा क्षेत्र में खाचरौद तहसील हरी सब्जियों के उत्पादन में सबसे अग्रणी स्थान रखती है। यहां पैदा हुई सब्जियां दूर-दूर तक जाती हैं। खासकर यहां पैदा हुई हरी मटर अपनी मिठास के कारण पूरे देशभर में प्रसिद्ध है।

Sweetness of peanuts in this small village

संपूर्ण मालवा क्षेत्र में खाचरौद तहसील हरी सब्जियों के उत्पादन में सबसे अग्रणी स्थान रखती है। यहां पैदा हुई सब्जियां दूर-दूर तक जाती हैं। खासकर यहां पैदा हुई हरी मटर अपनी मिठास के कारण पूरे देशभर में प्रसिद्ध है।

खाचरौद. अरिवंद बुड़ावनवाला
संपूर्ण मालवा क्षेत्र में खाचरौद तहसील हरी सब्जियों के उत्पादन में सबसे अग्रणी स्थान रखती है। यहां पैदा हुई सब्जियां दूर-दूर तक जाती हैं। खासकर यहां पैदा हुई हरी मटर अपनी मिठास के कारण पूरे देशभर में प्रसिद्ध है। यही कारण है यहां हर वर्ष मटर की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। तहसील का कोई गांव ऐसा नहीं है जहां इसकी खेती नहीं की जाती हो। इन दिनों तहसील मुख्यालय के चारों ओर के 25-30 किमी के क्षेत्र में मटर लहलहा रही है। खाचरौद से रोज मटर ट्रकों व ट्रेनों में लोड होकर मुंबई, दिल्ली, वडोदरा, सूरत, उदयपुर, कोटा, भरतपुर, चित्तौडग़ढ़, रामगंजमंडी, अहमदाबाद पहुंच रही है।
इस वर्ष मौसम की मार
इस वर्ष मौसम की वजह से किसानों को दोहरी मार पड़ रही है। जहां बारिश अक्टूबर तक जारी रही। इस वजह से मटर की बोवनी लेट हुई। उसके बाद मौसम में ठंडक आशानुरूप नहीं आने से खेतों में फली की स्थिति कमजोर है। इस वजह से मटर फली की बैठक भी कम उतर रही है।
सीजन में भाव आसमान पर थे
मटर के सीजन की शुरुआत में खाचरौद की फुटकर मंडी में मटर 120 रुपए किलो थी। वर्तमान में आवक बढऩे से भाव घटकर 25 से 30 रुपए किलो रह गया है। आने वाले समय में भाव में और गिरावट आने की संभावना है।
किसानों की मेहनत का फल
इस फसल के व्यापार में किसानों को पैसा नकद मिलता हैं। इस कारण तहसील का किसान रात दिन मेहनत कर सोयाबीन की कटाई के बाद छोटे से रकबे में मटर बोता है। किसान सुबह 5 से रात 1 बजे तक इस कार्य में लगा रहता है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए रात में बिजली उपलब्ध होती है तो कई क्षेत्रों में दिन में व सुबह। पौधों में फल आने के बाद किसान सुबह 8 से शाम 5 बजे तक मजदूरों से फलियां तुड़वाते हैं। फिर उन्हें बोरों में भरकर स्थानीय थोक मंडी व रेलवे स्टेशन लाते हैं। थोक सब्जी मंडी में आढ़तिए फली की नीलामी में खरीद अन्य बड़े शहरों में भेजते हैं। कई किसान रेल से बड़े शहरों के आढ़तियों को सीधे मटर भेजते हैं।
मजदूरों को मिलती है मजदूरी
हरी मटर की बंपर पैदावार होने से हजारों मजदूरों को रोजगार मिलता है। ये मजदूर 250 से लेकर 300 रुपए रोज के हिसाब से फली तोड़ते हैं। इस कारण वर्तमान में बाजार में मजदूरों का टोटा दिखाई पड़ता है। इसी कारण राजस्थान व गुजरात से भी मजदूर फली तोड़ते हैं।
2500 से 3000 रुपए क्विंटल का भाव
वर्तमान मे थोक मंडी में मटरफली का भाव 2500 से 3000 रुपए क्विंटल है। 10 दिन पहले यह भाव 4500 से 5000 रुपए तक का था। फली की बंपर आवक को देखते हुए भाव में और कमी आने की संभावना हैं।
शासकीय जमीन पर हो रहा मंडी का संचालन
बता दें खाचरौद की मटरफली मंडी आसपास के क्षेत्र में मशहूर है। उज्जैन जिले में फली की सबसे बड़ी मंडी शायद खाचरौद में ही है। इस कारण स्थानीय मंडी प्रांगण में फली मंडी का संचालन नहीं होने के कारण विगत कई वर्षों से नगर के व्यापारियों द्वारा निजी भूमियों को किराये पर लेकर मंडी का संचालन किया जा रहा था। व्यापारियों द्वारा कई वर्षों से मंडी हेतु शासकीय भूमि उपलब्ध कराने की मांग भी की जा रही थी। जिस पर मुहर लगाते हुए विगत वर्ष कलेक्टर ने नागदा रोड कॉलेज के सामने स्थित शासकीय भूमि पर मंडी लगाने की स्वीकृति प्रदान की थी। इस वर्ष भी उसी भूमि पर मंडी का संचालन किया जा रहा है। इससे व्यापारियों में हर्ष है।

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