गंभीर मैम का निर्माण कर उपयोग शुरू हुए करीब 31 वर्ष हो चुके हैं। डैम को 2250 एमसीएफटी पानी स्टोर करने की क्षमता का बनाया गया था। आज भी इसकी अधिकतम क्षमता यही मानी जाती है जबकि आशंका है कि इन 31 सालो के दौरान गंभीर नदी का उथलापन बढ़ा होगा। शहर की एक सामाजिक संस्था सॉलिसिटस सोशल सोसायटी ने इस मुद्दे को उठाया भी है। संस्था अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता ने मुख्यमंत्री, कलेक्टर, निगमायुक्त आदि को पत्र लिख गंभीर के गहरीकरण की मांग की है। उन्होंने दावा किया है कि प्रतिवर्ष बारिश के कारण डैम में गाद जमी है जिसके कारण इसकी क्षमता काफी कम हो चुकी है। बारिश से पूर्व हर वर्ष डैम में सूखे के हालात बनने के पीछे, इसे बड़ा कारण बताया है। गुप्ता ने आरोप लगाया कि है पीएचई द्वारा वर्तमान में भी डैम की क्षमता 2250 एमसीएफटी होने की झूठी जानकारी दी जा रही है। हालांकि उनके दावे तकनीकी रूप से कितने सही है, इसकी पुष्टी नहीं हुई है। कुछ जानकार इस दावे से असहमत भी हैं। विभाग के ही तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि नदी की गहराई कम होती है जबकि फैलाव ज्यादा रहता है। पानी इस फैलाव में जमा होता है। डैम के गेट नदी के तल में लगते हैं। गंभीर नदी का तल 466 मीटर पर है जबकि गेट 469 मीटर पर लगे हैं। ऐसे में नीचे का सौ एमसीएफटी पानी डेड स्टोरेज ही माना जाता है। बारिश के दौरान गेट खोते जाते हैं तो अधिकांश गाद बहकर आगे निकल जाती है। इस कारण नदी के अंदर काफी कम मात्रा में गाद जमा होती है क्योकि शेष फैलाव क्षेत्र ही होता है।
दो गुनी हो चुकी है शहर की प्यास
सिंहस्थ 1992 के लिए गंभीर पर 2250 एमसीएफटी क्षमता का डैम बनाया गया था। वर्ष 1991 में डैम तैयार कर पानी रोक लिया गया था। इसके बाद से डैम उज्जैन शहर की प्यास बुझाने का मुख्य स्रोत बन गया था। तब शहर की जनसंख्या करीब 3.25 लाख थी और पानी सप्लाई के लिए 13 टंकियां थीं। जब डैम बनाया गया, तब इसकी क्षमता शहर की मांग की तुलना में काफी अधिक थी । अब शहर की जनसंख्या 6.50 लाख से अधिक है और टंकियाें की संख्या भी 40 से अधिक हो चुकी । अमूमन हर बारिश के मौसम में डैम पूरी क्षमता से भर जाता है और लेवल मेंटेन करने कई बार इसके गेट खोलना पड़ते हैं। इसके बावजूद गर्मी आते-आते डैम शहर की जरूरत के आगे हाफने लगता है। मानसून से पूर्व डैम में डेड स्टोजेज सहित 200-250 एमसीएफटी पानी ही बचता है। ऐसे में कई बार गर्मी के दिनों में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय नौबत बनती है और गर्मी में शहरवासियों को जलसंकट झेलना पड़ता है। नि: संदहे हर साल जलसंकट की कगार पर पहुंचे के पीछे बड़ा कारण बढ़ती मांग तो है ही लेकिन अन्य कारण भी संभावित हैं। पूर्व में जहां शहर की प्यास बुझाने प्रतिदिन 3 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती थी और तब गर्मी में औसत 7 एमसीएफटी पानी गंभीर से कम होता था। वर्तमान में प्रतिदिन करीब 4.5 एमसीएफटी पानी सप्लाई हो रहा है जबकि गंभीर से रोज 10 एमसीएफटी से अधिक पानी कम हो रहा है।
14 साल पहले गहरीकरण लेकिन फायदा नहीं
वर्ष 2008-09 भीषण जलसंकट हुआ था और गंभीर नदी पूरी तरह सूख गई थी। तब अमलावदाबिका से पाइप लाइन डाल पानी की व्यवस्था करना पड़ी थी। उस समय डैम के नजदीक नदी के गहरीकरण की मुहिम भी शुरू की गई थी लेकिन इससे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ था।
इनका कहना
गंभीर डैम 2250 एमसीएफटी पानी संग्रहण की क्षमता का बनाया गया था। गाद जमने की िस्थति भी बनती है। डैम क्षेत्र में पानी कम होता है तो वर्तमान में क्या िस्थति है, इसका परीक्षण कराया जाएगा।
- प्रमोद उपाध्याय, कार्यपालन यंत्री पीएचई