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फसल बोवनी के सीजन में अमानक खाद-बीज, जिम्मेदारों का यह रवैया

locationउज्जैनPublished: Jun 08, 2019 01:29:15 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

एेसे मामले सामने आने के बावजूद अधिकांश जिलो में कृषि उपसंचालकों द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती।

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उज्जैन. अमूमन हर फसल बोवनी के सीजन में अमानक खाद-बीज बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश तो दिए जाते हैं, लेकिन एेसे मामले सामने आने के बावजूद अधिकांश जिलो में कृषि उपसंचालकों द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती। किसान के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों के प्रति जिम्मेदारों का यह सहयोगताम्क रवैया वरिष्ठ अधिकारियों से भी नहीं छिपा है। एेसे में अब कृषि उत्पादन आयुक्त ने कलेक्टर्स को हिदायत दी है कि इस प्रकार के मामले सामने आने पर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए एफआइआर दर्ज कराई जाए।

2019 की तैयारियों को लेकर बैठक हुई

अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल की अध्यक्षता में शुक्रवार को मेला कार्यालय में संभाग की रबी 2018-19 की समीक्षा और खरीब 2019 की तैयारियों को लेकर बैठक हुई। इस दौरान रासायनिक उर्वरक, बीज आदि के सैंपल अमानक पाए जाने का मुद्दा भी उठा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा, रसायनिक उर्वरक, बीज व कीटनाशक के सेम्पल अमानक पाए जाने पर विभिन्न जिलों में कृषि उप संचालकों द्वारा कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जाती है। उन्होंने सभी जिला कलेक्टर्स को हिदायत दी कि वे अमानक सैंपल पाए जाने पर संबंधित कंपनी के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही और एफआइआर दर्ज करवाएं। प्रभांशु कमल ने कहा, जिलों में देखा गया है कि कृषकों द्वारा रसायनिक खाद का अग्रिम उठाव नहीं किया गया है। सभी कलेक्टर अपने जिलों में अग्रिम उठाव योजना का प्रचार-प्रसार करें और इसके लक्ष्य की पूर्ति नहीं होने के कारणों की समीक्षा करें। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न उपायों की सतत समीक्षा की जाए व उन्नत तकनीक रासायनिक उर्वरक, खेती की लागत को कम करने जैसे उपायों पर जोर दिया जाए। उन्होंने खरीफ फसल में सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक का उपयोग करने का भी व्यापक प्रचार-प्रसार करने का कहा। सोयाबीन की उत्पादकता जब तक 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर नहीं होगी, तब तक किसानों के लिए यह लाभकारी नहीं हो सकती। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेकर जिलों में विभिन्न तकनीकों जिनमें रेस्ड बेड सिस्टम, उन्नत बीज आदि को अपनाकर उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। बैठक में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव अजीत केसरी, संभागायुक्त अजीत कुमार, सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल, बीज विकास निगम के प्रबंध संचालक रमेश भंडारी, संचालक कृषि मुकेश शुक्ला, संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ व कृषि विभाग के उप संचालक मौजूद थे।

2160 हजार हेक्टेयर में खरीफ का लक्ष्य
बैठक में तय किया गया कि इस बार खरीफ फसल में संभाग में कुल 2 हजार 160 हजार हेक्टेयर में खरीफ का क्षेत्राच्छादन किया जाएगा। इसमें 1807 हजार हेक्टेयर सोयाबीन, 142 हजार हेक्टेयर में मक्का, 4.22 हजार हेक्टेयर में ज्वार, 1.11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान, 101.5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द, 23.1 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग, 20.55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूंगफली, 6.15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में तिल-रामतिल और 31.60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास व अन्य फसलें बोई जाएगी।

उज्जैन छोड़ सभी जिलों में कम बीमा

बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की समीक्षा की गई। बताया गया कि संभाग के आगर, नीमच, मंदसौर, देवास, रतलाम और शाजापुर जिलों में अऋणी कृषकों का बीमा अत्यधिक कम हुआ था, इसे इस वर्ष बढ़ाया जाए। बता दें कि संभाग में वर्ष 2018 में 7 लाख 81 हजार 275 ऋण्ी कृषकों का व 15 हजार 40 अऋणी कृषकों का बीमा करवाया गया।

संभाग में बीज और जरूरत
बैठक में बीज उपलब्धता की समीक्षा की व कमी होने पर बीज निगम को पहले से मांग भेजने का कहा, संभाग में बीज की पर्याप्त उपलब्धता होना बताया गया।

बीज जरूरत उपलब्ध
ज्वार 341 १९२
मक्का 26280 १२१५०
अरहर 2247 ९२४
उड़द 7438 ५४९३
सोयाबीन 429009 ४८७८५९
मूंगफली 554 १३३
तिल 51 २०

इन नई किस्मों को प्रोत्साहन के निर्देश
सोयाबीन -जेएस 20-29, जेएस 20-34, आरवीएस 2001-2004, जेएस 95-60, जेएस 93-05, जेएस 97-92, एनआरसी 37
मक्का-एचक्यूपीएम-1, एचक्यूपीएम-5, पीएमएच-05
मूंग- एचयूएम-16, टीजेएम-3, टीजेएम-37
उड़द- पीयू-30, केयू-96-3, विश्वास, बीयू-3
अरहर- टीजेटी-501, टीटी-401, आईसीपीएच-2671, आरबीए-28, जेकेएम-189

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