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राजा महाकाल की झलक देख श्रद्धालु हुए निहाल

locationउज्जैनPublished: Nov 05, 2019 12:00:15 am

Submitted by:

rishi jaiswal

कार्तिक माह की पहली सवारी में उमड़ा आस्था का सैलाब, प्रजा का हाल जानने ठाठ-बाट से निकले भोले

राजा महाकाल की झलक देख श्रद्धालु हुए निहाल

कार्तिक माह की पहली सवारी में उमड़ा आस्था का सैलाब, प्रजा का हाल जानने ठाठ-बाट से निकले भोले

उज्जैन। राजाधिराज भगवान महाकाल का वैभव कार्तिक मास की प्रथम सवारी में भी नजर आया। सावन-भादौ मास की तरह भूतनाथ भगवान महाकाल पूरे लाव-लश्कर के साथ नगर भ्रमण पर निकले, तो प्रजा भी पलक पावड़े बिछाए अपने आराध्यदेव के दर्शनों के लिए लालायित थी।
ढोल-ताशे, झांझ-डमरु और भक्तों के जयकारों से पूरा मार्ग गुंजायमान रहा। आरती की थाली लिए मार्ग पर कई भक्त बाबा की पालकी के आने का इंतजार कर रहे थे। मार्ग के दोनों किनारों पर बच्चों के साथ महिलाएं और पुरुष हाथ जोड़े टकटकी बांधे खड़े थे। जैसे ही पालकी उनके समक्ष पहुंची, जयकारे लगाने लगे।
सभा मंडप में विधिवत पूजन किया
भगवान महाकाल की कार्तिक माह में पहली सवारी अपराह्न 4 बजे मंदिर से आरंभ हुई। इससे पहले सभा मंडप में भगवान मनमहेश का विधिवत पूजन किया गया। पूजन के दौरान मंदिर समिति के प्रशासक एसएस रावत, उपप्रशासक आशुतोष गोस्वामी, समिति सदस्य आशीष पुजारी, दीपक मित्तल, सहायक प्रशासक चन्द्रशेखर जोशी, मूलचंद जूनवाल, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी आदि उपस्थित थे। मुख्य द्वार पर पुलिस जवानों द्वारा सलामी दी गई।
इसलिए बदल जाता है इस सवारी का मार्ग
कार्तिक माह में जो सवारी निकाली जाती है, उसका मार्ग सावन-भादौ की सवारियों जैसा नहीं रहता, इसमें आंशिक बदलाव होता है। मंदिर से जुड़े पुजारियों ने बताया कि माता पार्वती कार्तिक मास स्नान के बाद जब वापस जाती थीं, तो गणगौर दरवाजे से निकलती थीं, इस कारण सवारी मार्ग में बदलाव होता है। इसलिए कार्तिक-अगहन मास में महाकाल की पालकी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट क्षिप्रा तट पहुंचती है, जहां भगवान का क्षिप्रा के जल से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए पुन: मंदिर पहुंचती है।
सवारी के साथ पुलिस बैंड में केवल तीन लोग
कार्तिक मास की प्रथम सवारी में पुलिस बैंड भी शामिल होता है। लेकिन इस बार केवल तीन लोग ही बैंड में शामिल थे। इन तीन में से भी एक व्यक्ति तो रिटायर हो चुका है, फिर भी बाबा महाकाल के प्रति अपनी आस्था और भावना के चलते बैंड में सेवा देने पहुंचा, वहीं दूसरे व्यक्ति को किराए से लाए थे।
होमगार्ड की लड़कियों ने की धक्का-मुक्की
सवारी के दौरान होमगार्ड की लड़कियों ने झांझ-डमरु बजाने वाले भक्तों के साथ जमकर धक्का-मुक्की की और उन्हें झिड़कते हुए आगे चलने को कहती रहीं। इससे कई लोग भीड़ में गिरते-गिरते बचे। जब उनसे ऐसा करने के विषय में पूछा गया तो कहने लगीं, हम व्यवस्था नहीं बनाएंगे, तो कौन बनाएगा।
हरिहर मिलन की सवारी 10 नवंबर की रात 11 बजे
भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में दूसरी सवारी 11 नवंबर, तीसरी 18 तथा शाही सवारी 25 नवंबर को निकाली जाएगी। हरिहर मिलन की सवारी 10 नवंबर को रात 11 बजे निकाली जाएगी।
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