scriptपहले लागत में किया फेर और अब टेंड निकाल करने लगे खेल | The first thing to do in the cost and now the trend started | Patrika News

पहले लागत में किया फेर और अब टेंड निकाल करने लगे खेल

locationउज्जैनPublished: Jul 31, 2019 01:41:46 am

Submitted by:

rishi jaiswal

दो करोड़ रुपए बढ़ा दी, रखरखाव के लिए अब अलग से टेंडर भी निकाल दिया, रखरखाव की शर्त होने से अधिक रेट में गया ठेका, अब अधिकारियों ने नए सिरे से संचालन-संधारण के लिए निकाला टेंडर

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उज्जैन. नगर निगम के पीछे निर्मित हो रहे स्मार्ट स्वीमिंग पूल प्रोजेक्ट में बड़ी पोल उजागर हुई है। इसके निर्माण के लिए जारी टेंडर में ५ साल तक पूल के मेंटेनेंस की शर्त शामिल थी। इसी आधार पर कंपनियों ने निर्माण लागत के रेट दिए। लेकिन काम पूरा होने की स्थिति में आने पर अब निगम ने पूल के संचालन एवं संधारण का नया टेंडर जारी कर उलझन खड़ी कर दी। जब निर्माणकर्ता कंपनी को ही मेंटेनेंस करना था तो फिर नए सिरे टेंडर क्यों यह बड़ा सवाल है। पूल की पहले लागत ६ करोड़ थी, इसे भी बढ़ाकर ८ करोड़ कर दिया गया। इस पर अधिकारियों का तर्क है कि प्रोजेक्ट में कुछ नए काम जोडऩे से एेसा हुआ।
नजरअली मिल की भूमि पर बन रहे पुराने शहर के पहले स्वीमिंग पूल के काम में अधिकारियों की ये मनमानी सवालों के घेरे में है। दरअसल जब पूल निर्माण का टेंडर हुआ, इसमें निर्माण के बाद ५ साल तक का मेंटेनेंस संबंधित कंपनी को करने की शर्त थी। काम पूरा होने को है। अब निगम ने इसके संचालन-संधारण के लिए पृथक से टेंडर लगा दिया। जानकारों की मानें तो एेसी स्थिति से टेंडर में प्रतिभागी रही कंपनियों ने मेंटेनेंस लागत शामिल करते हुए निविदा दर प्रस्तुत की। यदि ये शर्त पहले नहीं होती तो मूल लागत से कम प्रतिशत में ये काम हो सकता था।
लागत से 2.20 प्रतिशत अधिक में गया टेंडर
पूल निर्माण के टेंडर में गुजरात की कंपनी ने निगम की ओर से तय लागत से २.२० प्रतिशत अधिक दर में ये टेंडर लिया है। कंपनी ने अधिक रेट इसलिए डाले क्योंकि ५ साल तक पूल के मेंटेनेंस का जिम्मा उनका था। यदि मेंटेनेंस की शर्त तब जुड़ी नहीं होती तो इस कंपनी सहित अन्य प्रतिभागी तय दर से कम के रेट डालते। इससे शासन के फंड का बेजा नुकसान नहीं होता।
नए टेंडर में प्रवेश शुल्क व रखरखाव शामिल
निगम ने पूल के संचालन व संधारण के लिए पृथक से टेंडर किया है। इसमें बड़े व बच्चों के लिए मासिक, त्रैमासिक व दैनिक प्रवेश दर मांगी गई है। कंपनी को यह भी बताना होगा कि वह निगम को सालाना कितना राजस्व देगा। इस टेंडर में भी रखरखाव कार्य शामिल है। विसंगति यह है कि आखिर निर्माणकर्ता व संचालन टेंडर लेने वाली कंपनियां किस तरह का रखरखाव करेगी।
मई में पूरा हो जाना था, अब भी अधूरा
पूल निर्माण मई में पूर्ण हो जाना था। ताकि कुछ समय के लिए इसी सीजन में उपयोग शुरू हो जाता लेकिन कंपनी निश्चित समयावधि में इसे पूर्ण नहीं कर सकी। पिछले दिनों नगरीय प्रशासन विभाग पीएस के निरीक्षण में ठेकेदार ने दावा किया था कि २० दिन में काम पूरा हो जाएगा। लेकिन ढाई माह से अधिक समय बीतने पर भी काम अधूरा ही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट व कंसलटेंट टीम की मॉनिटरिंग ठीक नहीं होने से ये काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा।
दोनों टेंडर के रखरखाव कार्य में कुछ भिन्नता है। हमनें इसे स्पेसिफिक भी किया है। पूरा टेंडर डाक्यूमेंट देखकर और अधिक जानकारी दे पाऊंगा। यदि कुछ कमियां मिलती हैं तो इसे भी दूर कराएंगे।
धर्मेंद्र वर्मा, इइ, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स
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