शनिवार को गुना के राघौगढ़ निवासी ५० वर्षीय रामभरोसे पिता मूलचंद की टेस्टीक्यूलर सर्जरी की गई। सर्जन डॉ.अजय दिवाकर, एनेस्थेटिक डॉ.एस एल गुप्ता, सिस्टर संध्या सोनी की टीम ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद अंडकोष में डेढ़ किलो वजनी गठान को निकाला। डॉ.दिवाकर ने बताया कि गुरुवार को मरीज को भर्ती किया गया था। जांच आदि के बाद शनिवार को ऑपरेशन किया गया। माधव नगर अस्पताल में पहली बार इस प्रकार की सर्जरी हुई है। एक लाख में से एक व्यक्ति को इस प्रकार की गठान होती है। इसमें अचानक अंडकोष में गठान होने लगती है। जिसका वजन तेजी से बढ़ता है। जिस वजह से मरीज को उठने, बैठने, चलने, लेटने सहित दिनचर्या की सभी काम करने में परेशानी होती है।
सीएमएचओ के निर्णय का किया था विरोध
माधव नगर अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को उपचार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से हाल ही में सीएमएचओ डॉ.राजू निदारिया ने जिला अस्पताल के सर्जन डॉ.अजय दिवाकर को माधव नगर अस्पताल में नियुक्त किया था। डॉ.निदारिया के इस निर्णय का विरोध भी हुआ था, लेकिन अब इसके परिणाम सामने आने लगे हैं। अब यहां हर रोज सर्जरी की जा रही है।
बॉयोप्लर कॉट्री को किया गया शिफ्ट
ऑपरेशन के लिए मरीज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला अस्पताल से वेसल सिलर विथ बॉयोप्लयर कॉट्री मशीन को माधव नगर की ओटी में शिफ्ट किया गया। ९ लाख की लागत से जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा दो वेसल सिलर विथ बॉयोप्लर कॉट्री मशीन मंगाई गई थी। यह मशीन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में विशेषज्ञ सर्जन द्वारा उपयोग की जाती है। यह मशीन रिमोट से काम करती है। जिसमें लगे हेंग सेंसर के जरिए इसे कंट्रोल किया जाता है। डॉ. अजय दिवाकर ने बताया कि मशीन में हार्मोनिक सेंसर होता है जो सर्जरी के दौरान निकलने वाले अधिक रक्त बहाव का नियंत्रित करता है। इसके अलावा इस मशीन की खास बात ये है कि ऑपरेशन के दौरान यदि सर्जन से गलती से अधिक कट भी लग जाता है तो ये मशीन लगे सेंसर अलार्म के जरिए तुरंत सर्जन को बता देती है और कट को जरूरत के अनुसार कम कर देती है। ऐसे वक्त पर ये मशीन एक स्टेपलर की तरह कार्य करती है जो अधिक नसों अथवा शरीर में कहीं भी लगे अधिक कट को कम कर देती है, जिससे अधिक बहाव नहीं होता है।
जुटा रहे संसाधन
सीएमएचओ डॉ.राजू निदारिया ने बताया माधव नगर अस्पताल को योजनाबद्ध तरीके से सर्वसुविधा युक्त अस्पताल बनाया जाएगा। वर्तमान में इस अस्पताल में आधी-अधूरी व्यवस्था होने से मरीजों को परेशान होना पड़ता है। यहां ओटी लंबे समय से बंद पड़ी हुई थी, जिसे अब शुरू कर दिया गया है। इसके बाद जरूरत अनुसार संसाधन जुटा रहे हैं।