ये थी अवधारणा व सुविधाएं
– सरकार ने अमृत मिशन में हब एंड स्पोक मॉडल बनाया था।
– चुनिंदा शहरों में लागू इस सेवा में निजी भागीदारी से बसें लेकर शहरों में कनेक्टिविटी बढ़ाई जाने लक्ष्य था।
– सभी बस एयर कंडिशन हैं। पुश बैक सीट से लैस हैं। प्रत्येक सीट पर मोबाइल चॉर्जिंग पाइंट सुविधा है।
– सवारी के अभाव ये बस सेवा आखिरी सांसें गिन रही हैं।
– चार्टर्ड बस सेवा से कम किराया होने के बावजूद अधिक समय सेवा नहीं दे पाई।
इन मार्गों पर आपत्ति होने से परमिट नहीं
यूसीटीएसएल ने उज्जैन-राजगढ़-ब्यावरा, उज्जैन-झाबुआ मार्ग के लिए भी क्लस्टर तय किया था लेकिन इस मार्ग पर अन्य निजी बस ऑपरेटरों की आपत्ति होने से परमिट ही जारी नहीं हो सके। बाद में मामला हाइकोर्ट तक भी पहुंच गया था। इस कारण इस रूट के लिए आई तीन बस मक्सी रोड स्थित निगम डिपो में ही खड़ी है। इनका हजारों का स्पेयर टैक्स भी बकाया हो गया।
नुकसान में जाने के ये भी कुछ कारण
– सरकार ने नीतियों तो बना ली, लेकिन कुछ व्यवहारिक जटिलता आने पर भी समाधान नहीं किया।
– बड़ा निवेश करने के बाद बस संचालकों को अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल पा रहा।
– सूत्र सेवा बसों का प्रचार-प्रसार ठीक से नहीं व टिकट विंडो की शुरुआत करने में लंबी देरी।
– एक बड़े तबके की यह सोच कि एसी बस में किराया अधिक लगता है, इस कारण भी यात्रियों का अभाव।
– रूट तो अच्छे चयन किए, लेकिन इनमें से कुछ में अन्य निजी बसों की पहले से अधिकता।