scriptसवारी के अभाव में टूट रहा ‘सूत्र’, परमिट नहीं मिलने से तीन एसी बस बनी शो-पीस | The 'formula' broken in the absence of the ride | Patrika News

सवारी के अभाव में टूट रहा ‘सूत्र’, परमिट नहीं मिलने से तीन एसी बस बनी शो-पीस

locationउज्जैनPublished: Jul 26, 2019 12:16:18 am

भोपाल, मंदसौर व नीमच मार्ग पर संचालित बस बंद होने की कगार में, झाबुआ-ब्यावरा रूट पर आपत्ति के चलते नहीं मिले परमिट

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उज्जैन. स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के लिए सरकार की ओर से शुरू कराई गई सूत्र सेवा (एसी बस) सवारी के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही हैं। आरामदायक सफर कराने वाली ये नॉन स्टॉप बस लगातार घाटे में चलने से बंद होने की स्थिति में आ गई हैं। कुल १० एसी बस ५ रूट पर चलना तय हुआ था। इसमें ७ ही ऑन रोड हुई बाकि की ३ परमिट नहीं मिलने से शो पीस बनकर निगम डिपो में खड़ी हैं। करीब ५० लाख की कीमत वाली इन बसों को अपेक्षित सवारी नहीं मिल पा रही। एेसे में पुणे की संचालक कंपनी बस संचालन से हाथ खींचने की तैयारी में है। सूत्र सेवा को बेहतर बनाने निगम व स्मार्ट सिटी अधिकारियों ने कोई खास रुचि नहीं ली।
७ अगस्त २०१८ से उज्जैन-नीमच मार्ग पर दो लग्जरी एसी बसों का संचालन सूत्र सेवा में शुरू हुआ था। इसके बाद भोपाल व कुछ माह बाद ग्वालियर रूट पर स्लीपर बस चली। सरकार के हब एंड स्पोक मॉडल में शुरू की गई इन बसों का संचालन शुरुआती दौर में ठीक रहा लेकिन बाद में यात्रियों की बेरुखी व मार्ग पर पर्याप्त बस साधन होने से ये सेवा नुकसान में चली गई। पुणे की जिस कंपनी ने ये बस खरीदकर योजना में संचालन शुरू कराया था, वह भी अब घाटापूर्ति नहीं कर पा रही। तीन बार कंपनी सेवा से विमुक्त होने का पत्र यूसीटीएसएल को दे चुकी।

ये थी अवधारणा व सुविधाएं
– सरकार ने अमृत मिशन में हब एंड स्पोक मॉडल बनाया था।

– चुनिंदा शहरों में लागू इस सेवा में निजी भागीदारी से बसें लेकर शहरों में कनेक्टिविटी बढ़ाई जाने लक्ष्य था।
– सभी बस एयर कंडिशन हैं। पुश बैक सीट से लैस हैं। प्रत्येक सीट पर मोबाइल चॉर्जिंग पाइंट सुविधा है।

– सवारी के अभाव ये बस सेवा आखिरी सांसें गिन रही हैं।
– चार्टर्ड बस सेवा से कम किराया होने के बावजूद अधिक समय सेवा नहीं दे पाई।

इन मार्गों पर आपत्ति होने से परमिट नहीं
यूसीटीएसएल ने उज्जैन-राजगढ़-ब्यावरा, उज्जैन-झाबुआ मार्ग के लिए भी क्लस्टर तय किया था लेकिन इस मार्ग पर अन्य निजी बस ऑपरेटरों की आपत्ति होने से परमिट ही जारी नहीं हो सके। बाद में मामला हाइकोर्ट तक भी पहुंच गया था। इस कारण इस रूट के लिए आई तीन बस मक्सी रोड स्थित निगम डिपो में ही खड़ी है। इनका हजारों का स्पेयर टैक्स भी बकाया हो गया।

नुकसान में जाने के ये भी कुछ कारण
– सरकार ने नीतियों तो बना ली, लेकिन कुछ व्यवहारिक जटिलता आने पर भी समाधान नहीं किया।

– बड़ा निवेश करने के बाद बस संचालकों को अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल पा रहा।
– सूत्र सेवा बसों का प्रचार-प्रसार ठीक से नहीं व टिकट विंडो की शुरुआत करने में लंबी देरी।

– एक बड़े तबके की यह सोच कि एसी बस में किराया अधिक लगता है, इस कारण भी यात्रियों का अभाव।
– रूट तो अच्छे चयन किए, लेकिन इनमें से कुछ में अन्य निजी बसों की पहले से अधिकता।

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