जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों के आइसीयू वार्ड में सोमवार रात चलता पंखा गीर गया था। गनीमत रही कि वार्ड में भर्ती मरीज, परिजन या कोई स्वास्थ्यकर्मी इसकी चपेट में नहीं आया। बताया जा रहा है कि जाम होने के कारण कई दिनों से पंखा हिल-हिलकर घूम रहा था। इससे उसको उसका नट व शाफ्ट पीन कट गई और पंखा नीचे गीर गया। जिला अस्पताल में अधिकांश पंखों स्थिति ऐसी ही हो रही है। सूत्रों की मानें तो लंबे समय से जिला अस्पताल की विद्युत व्यवस्था की विस्तृत जांच ही नहीं हुई है। महज कोई उपकरण खराब होने या इलेक्ट्रीक बोर्ड बंद होने जैसी समस्या की शिकायत पर इसका निराकरण कर दिया जाता है। इलेक्ट्रीसिटी ऑडिट नहीं होने के कारण आइसीयू सहित जिला अस्पताल में कभी भी शॉट सर्किट से आग लगने, करंट फैलने, पंखा गीरने आदि के कारण बड़े हादसे का खतरा बना हुआ है।
10 बेड के आसीयू में दो एसी बंद
अस्पताल में 10 बिस्तर का आइसीयू वार्ड है। अधिकांश समय आइसीयू के बेड पूरी क्षमता से भरे रहते हैं। आइसीयू में गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता है, ऐसे में इसका वातानुकुलित होना अनिवार्य है। इसके बावजूद जिला अस्पताल आइसीयू वार्ड के दो एसी बंद हैं। इस खामी के कारण चार बेड के मरीजों को पंखों के सहारे रहना पड़ता है। यह पंखे पुराने है जो हिलते व शोर करते हुए चलते हैं।
गर्मी में धीमे पंखों का सहारा
पारा 40 डिग्री सेल्सियस पार है और गर्मी में बड़ी संख्या में मरीज जिला अस्पताल में भर्ती हैं। इक्का-दुक्का को छोड़ सभी वार्डों में ठंडक के लिए सिर्फ पंखें ही उपलब्ध हैं। अधिकांश पंखे पुराने होने के कारण बेहद धीमी गति से चलते हैं जिसके कारण मरीज, अटेंडर व स्टॉफ को भीषण गर्मी में परेशान होना पड़ रहा है।
दीवारों पर पुराने तारों का जंजाल
जिला अस्पताल की बिल्डिंग वर्षों पुरानी है। यहां की गई लाइट फिटिंग में से भी एक बड़ा भाग काफी पुराना हो चका है। दीवारों पर जहां तार के जंजाल है वहीं कई जगह होल्डर-कटआउट आदि खुले पड़े हैं। तारों पर केसिंग भी नहीं है। इनसे बारिश के दौरान करंट फैलने का खतरा बना रहता है।