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निगम में नए कक्ष के नाम इतनी फिजूलखर्ची

locationउज्जैनPublished: Jun 07, 2019 01:11:33 am

Submitted by:

rajesh jarwal

अच्छे कोटा स्टोन के ऊपर लगा रहे वेट्रीफाइड टाइल्स, विवाद बढ़ा तो साइट पर लगवाया ताला

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अच्छे कोटा स्टोन के ऊपर लगा रहे वेट्रीफाइड टाइल्स, विवाद बढ़ा तो साइट पर लगवाया ताला

उज्जैन. फिजूलखर्ची बंद करने के लिए प्रदेश सरकार भले कितने ही निर्देश दे, लेकिन अफसरों को इससे कोई सरोकार नहीं रहता। नगर निगम के शिवाजी भवन में लाखों की फिजूलखर्ची का मामला सामने आया है। पुराने प्रोजेक्ट सेल के हॉल को महापौर परिषद सदस्यों के कक्ष में तब्दील करने फ्लोर पर लगे अच्छे व मजबूत कोटा स्टोन के ऊपर ही वेट्रीफाइड टाइल्स लगाई जा रही है। करीब १२०० वर्गफीट के हॉल में आधे भाग में यह लग चुकी, यहीं नहीं यहां के पिलर को भी टाइल्स युक्त कर रहे हैं। कक्षों के नाम यहां ५० लाख रुपए खर्च करने की प्लानिंग है। महापौर परिषद के सदस्यों पर अफसरों की मेहरबानी विवादों में पड़ गई है। क्योंकि कुछ साल पहले ही इनके कक्ष रिनोवेशन, फर्नीचर व सेक्शन के नाम ३५ लाख रुपए खर्च किए गए थे।
निगम भवन स्थित पुराने प्रोजेक्ट सेल के हॉल में एमआइसी मेंबरों के लिए नए कक्ष निर्मित करने के लिए ५० लाख का टेंडर किया गया है। हाल ही इसका काम शुरू हुआ जो फिजूलखर्ची को लेकर विवादों में पड़ गया। हॉल में कुछ साल पहले ही कोटा स्टोन लगाया गया था, ये अच्छी स्थिति में है। बावजूद इसके ऊपर सीमेंट केमिकल से वेट्रीफाइड लगाई जा रही है।
जबकि इसके बगैर भी फ्लोर मजबूत व उपयोगी था। जब इस बेजा कार्य को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल हुई तो गुरुवार को इंजीनियरों ने हॉल के गेट पर ताला लगवा दिया।
खुद का रूतबा बढ़ाने सरकारी धन की बर्बादी
निगम भवन में सभी एमआइसी मेंबरों के लिए कक्ष है। कुछ काफी अच्छे व सर्व सुविधायुक्त हैं तो कुछ में छोटी-मोटी खामियां हैं।
जब से जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट व पीएम आवास सेल खाली हुआ। इस हॉल पर एमआइसी मेंबरों की नजर थी।
अपना रूतबा बढ़ाने व आने वाले लोगों के बीच झांकी दिखाने के लिए इन्होंने ५० लाख रुपए स्वीकृत करा लिए।
हॉल में केवल सेक्शन लगाकर भी कक्ष बन सकते थे, लेकिन फ्लोरिंग के नाम पर अतिरिक्त धन खर्च किया जा रहा है।
निगम इंजीनियर भी महापौर के मंत्रिमंडल पर मेहरबान हुए और उनके मनचाही प्लानिंग बनाकर काम शुरू करवा दिया।
प्रदेश सरकार ने हाल ही में फिजूलखर्ची रोकने के स्थायी निर्देश दिए हैं, लेकिन इंजीनियर अपनी पुरानी आदत अनुसार ही काम कर रहे हैं।
लाखों की पुडि़या तो यूं ही दौड़ जाती है
एमआइसी मेंबरों के मौजूदा कक्ष में कुछ सामान व रिनोवेशन के नाम पर १ से २ लाख रुपए तक की पुडि़या (ऑफ लाइन टेंडर) तो निगम में यूं ही दौड़ जाती है। मौजूदा बोर्ड के कार्यकाल में इन कक्षों पर कब कितने काम हो चुके इसका तो अलग से रिकॉर्ड ही मेंटेन नहीं। जब जिस मेंबर की इच्छा होती है वह निगम कार्यालय मद या खुद की निधि से ये काम करा लेते हैं, लेकिन अब सदस्य और आधुनिक होना चाहते हैं, इस कारण पूरे ५० लाख की प्लानिंग ही तैयार करा ली।
&किसी भी कार्य का एस्टीमेट इंजीनियर तैयार करते हैं, जो जरूरी होगा वह कार्य शामिल किया होगा। फिर भी देखेंगे कि कहीं अनावश्यक खर्च जैसी स्थिति तो नहीं।
मीना जोनवाल, महापौर
& वैसे कोटा स्टोन के ऊपर वेट्रीफाइड टाइल्स नहीं लगाना चाहिए। अगर मौके पर एेसा हो रहा है तो इसे रुकवाएंगे।
सत्यनारायण चौहान, लोक निर्माण समिति प्रभारी, नगर निगम
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