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बिना प्रक्रिया के बदल गया सिंधिया प्राच्य संस्थान का नाम

locationउज्जैनPublished: May 07, 2019 08:36:53 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

कमेटी ने विभाग को भेजा प्रतिवेदन, विवि के दस्तावेजों पर सदस्यों को आपत्ति

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय के शैक्षणिक स्टाफ और अध्ययनशालाओं से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट कमेटी ने पूरी कर ली है। कमेटी ने अपना प्रतिवदेन उच्च शिक्षा विभागा को भेज दिया है। इस जांच के बाद शिकायतों के कई बिंदुओं में दम निकला है। इसमें सहयोगी स्टाफ को शैक्षणिक स्टाफ में परिवर्तित कर दिया गया। इस संबंध में विवि प्रशासन ने किन नियमों के तहत प्रक्रिया अपनाई, यह स्पष्ट नहीं हो सका। इसी के साथ एक संस्थान को बिना प्रक्रिया के शोध केंद्र बना रखा है, जबकि वह शोध केंद्र नहीं है। हालांकि इस मामले में यह बताया जा रहा है कि उक्त संस्थान का सिर्फ नाम बदला गया।

विक्रम विवि में सिंधिया प्राच्य संस्थान

विक्रम विवि में सिंधिया प्राच्य संस्थान है। विवि प्रशासन ने कुछ सालों पूर्व इसका नाम सिंधिया प्राच्य एवं शोध संस्थान कर दिया। यह कैसे हुआ, इसका कोई भी दस्तावेजी प्रमाण नहीं मिला है। इसी के साथ उक्त संस्थान शोध केंद्र नहीं है। साथ ही यहां शोध की गतिविधि संचालित नहीं होती है। इसी के साथ यहां पदस्थ स्टाफ की नियुक्ति सहयोगी स्टाफ के रूप में हुई थी। विवि प्रशासन ने सालों पहले उक्त स्टाफ को शैक्षणिक स्टाफ बनाते हुए वरिष्ठता सूची में डाल दिया। यह किन नियमों के तहत हुआ। यह भी विवि प्रशासन स्पष्ट नहीं कर पाया है।

बिना आदेश के विभाग में पढ़ाई
विक्रम विवि के दस्तावेजों की जांच के दौरान बढ़ी बात सामने आई है। इसमें विभिन्न गैर शैक्षणिक स्टाफ बिना अनुमति के अध्ययनशालाओं में पढ़ाई करते रहे हैं। अब यह शिक्षक उक्त पढ़ाई को अनुभव बताकर शैक्षणिक होने का दावा कर रहे हैं, जबकि इन लोगों को कक्षाओं में पढ़ाने का कोई आदेश विवि प्रशासन की तरफ से पूर्व जारी नहीं किया गया।

इनका कहना है
सदस्यों ने जो दस्तावेज मांगे थे। वह उपलब्ध करवा दिए गए। यह जांच नहीं है, विभाग को प्रतिवेदन सौंपा है। इसके बाद जो निर्देश मिलेंगे। उसके अनुसार कार्रवाई होगी।

– डीके बग्गा, कुलसचिव, विक्रम विवि

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