प्रभारी निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने शनिवार को निगम कंट्रोल रूम पर बैठक लेते हुए शहर की वर्तमान स्थिति के साथ ही निगम से संबंधित विभिन्न कार्यों की समीक्षा की। सिंघल ने कहा, नगर निगम के जिम्मे जो नागरिक सेवाएं और जनहित के कार्य आते हैं, उनका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष संबंध शहर की कानून व्यवस्था से होता है। संवेदनशील परिस्थितियों और क्षेत्रों में निगम की जरा-सी चूक भी हानिकारक हो सकती है। इसलिए निगम अमला सूझबूझ के साथ कार्य करते हुए दायित्वों का निर्वहन करे। उन्होंने निर्देश दिए कि सड़कों पर पड़ी निर्माण सामग्री व भवनों का मलबा आदि तत्काल उठवाएं। जोनल अधिकारी यह प्रमाण पत्र भी दें कि उनके क्षेत्र में अब कहीं किसी भी सड़क या गली में निर्माण सामग्री नहीं है। जो भवन स्वामी स्वयं मैटेरियल नहीं उठाए, उनका मैटेरियल निगम द्वारा उठाया जाकर नियमानुसार शुल्क वसूली की जाए।
आवारा मवेशियों को लेकर सख्ती बरतें
प्रभारी निगमायुक्त ने आवारा मवेशियों और अतिक्रमण की समस्या का निदान सख्ती से करने निर्देश दिए हैं। उनके अनुसार किसी भी क्षेत्र में कहीं भी आवारा मवेशी दिखाई न दें व सड़कों-गलियों, शासकीय जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर शहर को इन समस्याओं से मुक्ति दिलाएं।
वरिष्ठ अधिकारी सुरक्षा प्रदान करें
बैठक में सिंघल ने कहा, उच्च पदों पर आसीन वरिष्ठ अधिकारी मात्र मार्गदर्शन करते हैं, जबकि कार्य अधीनस्थ अमला करता है। लिहाजा निगम के वरिष्ठ उच्च अधिकारियों को चाहिए कि वे अपने अधीनस्थ अमले को संरक्षण और सुरक्षा प्रदान करें।
यह निर्देश भी दिए
– शहर की पथ प्रकाश व्यवस्था का संधारण सुव्यवस्थित रूप से हो। बंद लाइटों को चालूू किया जाए।
– सफाई व्यवस्था अपने निर्धारित कार्यक्रम अनुसार जारी रखने के साथ ही त्योहारों और मेलों के अवसरों पर विशेष सफाई व्यवस्था कराई जाए।
– छुट्टी के दिन यदि सफाई कर्मियों को कार्य पर लगाया गया है तो इसके बदले अन्य कार्य दिवस में उन्हें अवकाश का लाभ दिया जाए।
– बिना अनुमति लगे सभी फ्लैक्स होर्डिंग हटाए जाने की कार्रवाई युद्ध स्तर पर की जाए। बिना किसी पक्षपात के सभी अवैध होर्डिंग्स हटाएं जाएं।
– निगम अमले को जो कार्य करने के निर्देश दिए हैं, उनका संबंध कानून व्यवस्था से भी है। हमें अपने दायित्वों का निष्पक्ष निर्वहन करते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करना है।
– कार्तिक मेले में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कवि सम्मेलन, मुशायरे आदि को अंतिम रूप दें। यदि समितियां 10 नवंबर तक कार्यक्रम तय नहीं करती हैं तो अब और अधिक प्रतीक्षा न करते हुए अधिकारी ही अपने स्तर पर आयोजनों को अंतिम रूप दें