पहली बैठक में इंदौर-उज्जैन रूट पर यातायात व्यवस्था सुधारने ६ बिंदु तय, ब्लैक स्पॉट भी चिन्हित होंगे
उज्जैन. बस दुर्घटना में प्रशिक्षु पटवारियों की मौत के बाद पुलिस-प्रशासन ने इंदौर-उज्जैन रूट पर हादसे रोकने की कवायद शुरू की है। इसके लिए हुई पहली बैठक में ही हादसों का बड़ा कारण एक रूट पर दर्जनों बसों को परमिट देना सामने आया। जिस बस से पटवारियों को टक्कर लगी, उसके संचालक व कांग्रेस नेता अशोक भाटी ने भी एक ही रूट पर हर एक-दो मिनट के अंतराल में परमिट जारी करने का कहा, फ्रिक्वेंसी में सुधार का सुझाव दिया। उन्होंने परमिट प्राप्ति से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें भी बताईं। विभिन्न सुझावों के अधार पर व्यवस्था सुधारने के लिए ६ बिंदु तय किए गए हैं। इंदौर-उज्जैन मार्ग पर सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए कलेक्टर शशांक मिश्र, एसपी सचिन अतुलकर व प्रभारी निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने आरटीओ व प्रबुद्धजनों के साथ मेला कार्यालय में बैठक की। इसमें बस ऑपरेटर भाटी, बंटी भदौरिया, जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष अशोक यादव आदि मौजूद थे। आरटीओ अरविंद कुशराम ने बताया कि इंदौर-उज्जैन रूट पर इंदौर का क्षेत्र अधिक लगने से बसों को इंदौर से परमिट जारी होता है। उन्होंने इस रूट पर करीब ५० बसें संचालित होने और एक दिन औसत १५० फेरे लगाने की जानकारी दी। कुछ अन्य जानकारों ने आपत्ति लेते हुए बताया कि इस रूट पर करीब १०० बसें चल रही हैं और जो लगभग ४०० फेरे लगाती हैं। इनके अलावा इसी रूट पर लंबी दूरी की ३०-४० बसें भी चलती हैं। एेसे में हर एक-दो मिनट के अंतराल में रूट पर बसें चल रही हैं। यात्री लेने की प्रतिस्पर्धा में दुर्घटनाओं की स्थिति बन रही हैं। बैठक के बाद कलेक्ट व एसपी ने कहा, यह पहली बैठक थी इसमें ६ प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। जल्द ही कुछ अन्य लोगों के साथ भी बैठकें की जाएंगी। व्यवस्था सुघारने के लिए प्राप्त महत्वपूर्ण प्रस्तावों को शासन को भेजा जाएगा। उज्जैन से मना तो इंदौर से परमिट बैठक में यह सवाल भी उठा कि पहले से ही बसों की अधिक संख्या के बावजूद परमिट कैसे जारी हो रहे हैं। आरटीओ कुशराम ने उज्जैन से परमिट नहीं होने का हवाला दिया। अन्य ने बताया कि यदि उज्जैन आरटीओ अपने दायरे में आने वाले आवेदनों को निरस्त करते या अनियमितता पाए जाने पर किसी का परमिट निरस्त करते हैं तो संबंधित व्यक्ति अपने आवेदन में ओंकारेश्वर या अन्य शहर जोड़कर रूट की दूरी बढ़ाते हुए इंदौर आरटीओ से परमिट प्राप्त कर लेता है। हाल में एेसे कुछ मामले हुए भी हैं। इसके लिए उज्जैन व इंदौर आरटीओ को समन्वय के साथ कार्य करना होगा। बैठक में ये मिले सुझाव बसों के परमिट को लेकर समीक्षा हो। समय सारणी में सुधार हो । इंदौर व उज्जैन के आरटीओ परमिट को लेकर संयुक्त समीक्षा करें। आचार संहिता बनाएं। बसों का समय चक्र देंखे। एक ही समय या नजदीक समय पर चलने वाली बसों पर रोक लगाएं। चालक-परिचालक का प्रशिक्षण, स्वास्थ्य परीक्षण हो। समय-समय पर जांच हो कि चालक-परिचालक नशा तो नहीं करते, उनके नाम पर कोई दूसरा वाहन नहीं चला रहा। चालक-परिचालक के नामों की सूची आरटीओ को उपलब्ध कराई जाए। दुर्घटना रोकने को ये ६ प्रस्ताव तैयार होंगे बसों की फ्रिक्वेंसी की समीक्षा होगी। समीक्षा कर बसों की परमिट की संख्या तय होगी। एक आरटीओ से आवेदन निरस्त हुआ तो दूसरे आरटीओ से मंजूरी न मिले। बस संचालन के बीच समय अंतराल तय होगा। शासन को प्रस्ताव भेजेंगे। चालक-परिचालकों की सूची तैयार व प्रशिक्षण होगा। नेत्र व स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। रूट के ब्लैक स्पॉट तय कर इन्हें खत्म किया जाएगा।