scriptगड्ढों में हिचकोले ले रहा नौनिहालों का भविष्य | The road to the school is bad since independence | Patrika News

गड्ढों में हिचकोले ले रहा नौनिहालों का भविष्य

locationउज्जैनPublished: Jun 25, 2022 05:21:56 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

सामान्य दिनों में इस टुकड़े को पार करने में वाहन चालकों को आधा घंटे का सफर करना पड़ता है, लेकिन बारिश में इसमें सफर जोखिमभरा हो जाता है।

गड्ढों में हिचकोले ले रहा नौनिहालों का भविष्य

गड्ढों में हिचकोले ले रहा नौनिहालों का भविष्य

उज्जैन. कीचड़ से सना और गड्ढाें पटा यह रोड घट्टिया तहसील के गांव मीण से भीलखेड़ा तक का है। इस मार्ग की लंबाई लगभग 3 किलोमीटर है, लेकिन यह आजादी के बाद से अपने विकास की बांट जो रहा है। सामान्य दिनों में इस टुकड़े को पार करने में वाहन चालकों को आधा घंटे का सफर करना पड़ता है, लेकिन बारिश में इसमें सफर जोखिमभरा हो जाता है। यूं मानो बारिश में यह बंद ही हो जाता है, लेकिन मीण से आने वाले स्कूली बच्चों को इसी से गिरते-पड़ते हाई स्कूल पहुंचना पड़ता है। इस मार्ग पर 3-4 से चार जगह खतरनाक नाले है जो बारिश में रोड को घंटो बंद कर देता है। मीण से कुछ ही दूरी पर जामुन के पेड़ के पास एक 4-5 फीट गहरा नाला है जो थोड़ी-सी बारिश में उफान पर आ जाता है। बच्चे और शिक्षक इसी नाले को पार कर स्कूल पहुंचते है। बारिश में अभिभावकों के मन में हमेशा डर बना रहता है। बारिश में आधे बच्चे तो स्कूल ही नहीं पहुंच पाते है। मीण से करीब 50 बच्चे स्कूल जाते है।

 

गांव भीलखेड़ा में 2007 में हाईस्कूल की सौगात मिल गई थी, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण 15 वर्ष बाद भी हाईस्कूल को खुद का भवन नहीं मिल पाया है। 2007 से ही माध्यमिक विद्यालय में हाईस्कूल की कक्षाएं लग रही है। दो कमरों के भवन में पांच कक्षाएं सुचारू रूप से संचालित करना किसी परेशानी से कम नहीं है। दो पाली में कक्षाएं लगती है, जिसमें पहली पाली में सुबह 7.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक हाई स्कूल के छात्र और दूसरी पाली में सुबह 10 बजे से 4.30 बजे तक माध्यमिक के विद्यार्थियाें को पढ़ाया जाता है।

टीचरों की भी समस्या

सड़क की समस्या सिर्फ स्कूली बच्चों तक ही सीमित नहीं है। स्कूल में पढ़ाने के लिए अधिकतर शिक्षक उज्जैन से आते है। सामान्य दिनों में तो शिक्षक पानबिहार से मीण होते हुए स्कूल पहुंचते है, लेकिन बारिश में पानबिहार-बिहारिया-कालूहेड़ा होते हुए स्कूल पहुंचते है। शिक्षकों को दूरी भी ज्यादा तय करना पड़ती है और समय भी ज्यादा लगता है।

बाहर से ज्यादा आते हैं बच्चे

हाईस्कूल और माध्यमिक स्कूल में भीलखेड़ा से ज्यादा आसपास के गांव से ज्यादा बच्चे पढ़ने आते है। हाईस्कूल होने के कारण सुतारखेड़ा, मीण, मेलानिया, बोरखेड़ी, किशनपुरा से बच्चे आते है, लेकिन सड़क की समस्या पढ़ाई में बाधा बन जाती है। यहीं कारण है कि धीरे-धीरे बाहरी बच्चों की संख्या कम होती जा रही है।

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मुरम का पैंचवर्क भी बेअसर

पूरी बारिश में पंचायत की ओर से जरूर एक-दो बार मुरम डालकर गड्ढों को भरा जाता है, लेकिन यह मुरम कुछ घंटों में ही गड्ढों में तब्दील हो जाती है। सड़क पक्की बन जाती है तो बच्चों के साथ-साथ कई गांवों के ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा।

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