दोनों घाटों पर तेजी से हो रहा मिट्टी का कटाव, ऐसी स्थिति रही तो कुछ सालों में मैदानी हो जाएंगे घाट, कई जगह पीचिंग और रिटर्निंग वॉल की जरूरत
उज्जैन. नदी संरक्षण की सरकारी कवायदों के बीच शिप्रा पर मिट्टी कटाव का संकट खड़ा हो गया है। शहरी क्षेत्र में नदी के दोनों ओर तेजी से मिट्टी अपनी जगह छोड़ रही है। इसे रोकने के लिए यदि समय रहते कदम नहीं उठे तो कुछ सालों में नदी के घाट मैदानी रूप ले लेंगे।
किनारे पर मिट्टी कटाव
सिंहस्थ को लेकर शिप्रा के दोनों ओर करीब आठ किलोमीटर लंबे सीमेंट कांक्रीट के घाट बनाए गए हैं। इनके साथ ही कुछ जगह रिटर्निंग वॉल बनाई गई हैं वहीं कुछ जगह जमीन खुली छोड़ दी गई। बारिश और शिप्रा में पानी बढऩे के बाद अब दोनों किनारे पर मिट्टी कटाव हो रहा है। जहां रिटर्निंग वॉल बनी है, वहां तो मिट्टी फिर भी रुकी हुई है, लेकिन खाली जगह पर बड़ी मात्रा में कटाव हो चुका है। कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे तक हो गए हैं। जानकारों के अनुसार नदी के किनारों पर मिट्टी का कटाव नदी के लिए अच्छे संकेत नहीं है। विभाग मिट्टी के इस कटाव से बेखबर है।
पेड़ों की जमीन भी बही
मिट्टी का कटाव इस कदर हो रहा है कि शिप्रा किनारे लगे कुछ बड़े पेड़ों की मिट्टी ने भी साथ छोड़ दिया है। कुछ बड़े पेड़ की जड़ें बाहर आ गई हैं और यह कभी भी धरायायी हो सकते हैं। इसके अलावा ऐरन से की गई पीचिंग भी टूट गई है। आसपास की मिट्टी बहकर नदी में व घाटों पर जमा हो गई है।
भौगोलिक स्थिति पर निर्माण का असर
सिंहस्थ से पूर्व भी नदी उफान पर आती थी और पानी खेतों तक पहुंच जाता था, लेकिन तब मिट्टी का इतना कटाव नहीं होता था। जानकारों का मानना है कि घाटों के निर्माण के लिए नदी के आसपास मिट्टी को काटा गया, भारी मशीनें भी लगातार चली, जिससे वहां की वर्षों पुरानी संरचना बिगड़ गई। मिट्टी की मजबूत पकड़ खत्म हो गई। सिंहस्थ के बाद बारिश के दौरान शिप्रा में उफान आया तो कमजोर पड़ी मिट्टी ने जगह छोडऩा शुरू कर दिया। ऐसी ही स्थिति रही तो कुछ वर्षों में रिर्टनिंग वॉल का पिछला हिस्सा भी खोखला हो जाएगा।
बचाव के लिए यह हो प्रयास
- जहां कटाव अधिक है, वहा रिटर्निंग वॉल बनाएं।
- अधिक ऊचें टीलों पर पीचिंग वर्क करें।
- नदी किनारे पौधरोपण को बढ़ावा, इससे मिट्टी बंधेगी।
- जहां कटाव का खतरा अधिक है, वहां भारी वाहनों आवाजाही पर रोक लगे।
एक्सपर्ट व्यू
बारिश में थोड़ा कटाव प्राकृतिक है, पर अधिक कटाव होता है तो नदी की गहराई पर असर पड़ता है। जमीन की पुरानी संरचना बिगड़ती है तो अधिक कटाव होने की स्थिति बन सकती है।
– डॉ. प्रमेंद्र देव, भू-गर्भ शास्त्र
दिखवाते हैं
” बारिश में भी शिप्रा का पानी ऊपर आता था। मुझे नहीं लगता घाटों के निर्माण से मिट्टी के कटाव जैसी स्थिति बनी होगी। इसे दिखवाया जाएगा।”
– मुकुल जैन, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन