10 गांवों के 2 हजार घरों में नहीं जला चूल्हा
पंथ पिपलौदा में 53वें साल में महायज्ञ का आयोजन हुआ
उज्जैन
Updated: February 17, 2022 12:47:07 am
नागदा. तहसील मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर कंजरोंं के नाम से मशहूर रतलाम जिले के गांव पंथ पिपलौदा में 53वें साल में महायज्ञ का आयोजन हुआ। सकल पंच समिति व समस्त ग्रामीणों की तरफ से गांव के गायत्री मंदिर में पांच दिनों से चल रहे महायज्ञ के समापन पर बुधवार को गांव में भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। सुबह से शाम तक चले भंडारे के चलते पंथपिपलौदा सहित इससे जुड़े लगभग 10 गांवों के 2 हजार घरों में चूल्हा नहीं जला। इस अवसर पर गांव में भव्य मेला भी लगा।
अनुमानित लगभग 5 हजार श्रद्धालु भोजन प्रसादी ग्रहण करने पहुंचे। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए भंडारे में क्विंटलों में सब्जी, पूरी व मीठे में नुक्दी बनाई गई। गांव की खुशहाली, सुख-शांति व बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयोजित महायज्ञ में यज्ञाचार्य प्रवीण जोशी, आशीष जोशी, प्रहलाद जोशी के आचार्यत्व में लगातार पांच दिनों तक 15 जोड़ों ने आहुतियां दी। बड़ी बात यह है कि कोरोना की पिछली दो लहरें भी महायज्ञ की परंपरा को नहीं तोड़ पाई। इस साल भव्य आयोजन के बावजूद तीसरी लहर में कोरोना का एक भी केस नहीं आया है।
ऐसे हुई महायज्ञ की शुरुआत
दरअसल, 53 साल पहले ग्राम इटावा में यज्ञ चल रहा था। तब गांव के स्व. नाथुराम पटेल ने गांव में यज्ञ की शुरुआत की। तब ही से गांव में छोटे स्तर से शुरू हुआ महायज्ञ का स्वरुप बदलते समय के साथ बढ़ता गया। यह आयोजन एक तरह से गांव की परंपरा बन गया है। जिसका निर्वहन 53 सालों से किया जा रहा है। महायज्ञ के लिए बकायदा सकल पंच समिति का गठन किया गया। जिसमें आम ग्रामीणों के अलावा पंच, सरपंच आदि की भी सहभागिता रहती है। लगभग 10 दशकों के चल रहे यज्ञ में आयोजन के प्रेरणास्त्रोत स्व. नाथुराम पटेल की वर्तमान पीढिय़ां का भी सहयोग रहता है।
निर्धन बेटी का विवाह करना था, निरस्त करना पड़ा
गांव के उपसरपंच गोविंद कुमावत ने बताया कि हर साल महायज्ञ के साथ सामाजिक गतिविधियां आयोजित की जाती है। इस साल निर्धन बेटी के विवाह की योजना थी, लेकिन कोरोना गाइडलाइन लागू होने से यह कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा। उपसरपंच कुमावत ने बताया कि पंथपिपलौदा के आसपास लगने वाले लगभग 10 गांवों में एक मात्र यही गांव है। जहां भव्य पैमाने पर महायज्ञ व भंडारे का आयोजन होता है। इस आयोजन में आसपास के इन सभी गांवों के ग्रामीणों की सहभागिता के साथ सहयोग भी रहता है। बुधवार को समापन अवसर पर नागदा, लुनी, कोटकराडिया, बर्डिया गोयल, रजला, भटबर्डिया, आक्या, कराडिया आदि गांवों के 50 आश्रमों के संत पहुंचे। जिनका ग्रामीणों द्वारा सम्मान किया गया। समापन अवसर पर गांव में जुलूस भी निकला। जिसमें श्रद्धालु शामिल हुए। जुलूस के दौरान खाट पर खड़ी घोड़ी की पीठ पर युवक ने नृत्य की प्रस्तुति दी।

पंथ पिपलौदा में 53वें साल में महायज्ञ का आयोजन हुआ
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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