उज्जैन

Lunar eclipse 2019 : लगातार दूसरे वर्ष श्रावण मास के पहले दिन ग्रहण

ग्रह गणना के अनुसार इस बार आषाढ़ी पूर्णिमा पर 16 जुलाई को खंडग्रास चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। यह ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। वर्ष 2018 में भी 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण था।

उज्जैनJul 15, 2019 / 07:12 pm

anil mukati

Chandra Grahan Impact,Chandra Grahan ke Totke,chandra grahan nivaran,Chandra Grahan Time,Chandra grahan 2019,Lunar Eclipse 2019,Chandra Grahan Tithi,chandra grahan 2019 ka sutak samay,Rashi Ke Anusar Chandra Grahan,

उज्जैन. ग्रह गणना के अनुसार इस बार आषाढ़ी पूर्णिमा पर 16 जुलाई को खंडग्रास चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। यह ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। वर्ष 2018 में भी 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण था। ज्योतिषियों के अनुसार 16-17 जुलाई की दरमियानी रात 1.32 बजे ग्रहण का स्पर्श होगा। रात्रि 3.01 बजे ग्रहण का मध्य रहेगा। रात्रि 4.30 बजे ग्रहण का मोक्ष होगा। ग्रहण का कुल समय 2 घंटे 58 मिनट का रहेगा। मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समत काल और ग्रहण की अवधि में भगवान का स्पर्श वर्जित रहता है। इस दौरान मंदिर के पट बंद रखे जाते हैं। महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा संचालित नि:शुल्क अन्नक्षेत्र 16 जुलाई को अपराह्न 4:00 बजे बाद बंद रहेगा।

महाकाल को जल अर्पित नहीं कर सकेंगे

16 जुलाई को चंद्रग्रहण के कारण सावन के पहले दिन भक्त भस्म आरती के पहले भगवान महाकाल को जल अर्पित नहीं कर सकेंगे। वहीं भस्म आरती भी सुबह ५ बजे होगी। महाकाल मंदिर में लगातार दूसरे वर्ष श्रावण मास के पहले ही दिन भस्म आरती तय समय से दो घंटे विलंब से होगी। दरअसल, ग्रहण के दौरान भगवान को स्पर्श करना वर्जित है। गुरु पूर्णिमा पर 16 जुलाई को खंडग्रास चंद्र ग्रहण रहेगा। 1७ जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत हो रही है। पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि श्रावण में भस्म आरती तड़के 4 की बजाय रात्रि 3 बजे से होती है। ऐसे में श्रावण मास की पहली भस्म आरती रात्रि 3 बजे की बजाय तड़के 5 बजे से होगी, क्योंकि ग्रहण का मोक्ष रात्रि 4.30 बजे है। इसके बाद मंदिर को धोया जाएगा, फिर मंदिर के पट खुलेंगे तथा भगवान को भी स्नान कराया जाएगा।

जलाभिषेक संभव नहीं

चंद्र गहण काल रहने से भस्म आरती के पहले परंपरा अनुसार भक्तों के द्वारा भगवान का जलाभिषेक संभव नहीं है। एेसे में भक्तों को भस्मआरती के पहले जल चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल के बाद स्नान करके ही मंदिर में प्रवेश एवं दर्शन करना चाहिए। मंदिर की व्यवस्थाओं के अंतर्गत पूर्वानुसार ग्रहणकाल के बाद आगंतुक भस्म आरती दर्शनार्थी बाबा की आरती के दर्शन का लाभ लें। समयाभाव के कारण भस्मआरती दर्शनार्थियों के जल चढ़ाने की संभावना कम हैं। वहीं १६ जुलाई को ग्रहण सूतक काल के दौरान भगवान के दर्शन जारी रहेंगे।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.