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महाकाल मंदिर में 15 दिन भी नहीं चल पाई वीआइपी कल्चर को विराम देने वाली व्यवस्था

locationउज्जैनPublished: Sep 03, 2019 10:54:50 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: महाकाल मंदिर में वीआइपी कल्चर को विराम देने वाली व्यवस्था 15 दिन भी नहीं चल पाई। पहले कहा जा रहा था कि मंदिर में कोई वीआईपी नहीं, सब बराबर हैं।

The system to stop VIP culture failed in Mahakal temple

Ujjain News: महाकाल मंदिर में वीआइपी कल्चर को विराम देने वाली व्यवस्था 15 दिन भी नहीं चल पाई। पहले कहा जा रहा था कि मंदिर में कोई वीआईपी नहीं, सब बराबर हैं।

उज्जैन. महाकाल मंदिर में वीआइपी कल्चर को विराम देने वाली व्यवस्था 15 दिन भी नहीं चल पाई। पहले कहा जा रहा था कि मंदिर में कोई वीआईपी नहीं, सब बराबर हैं। सावन माह में सबने देखा कि…कौन सामान्य रूप से कैसे अंदर तक दर्शन करने गया। फिर नियम बना वीआइपी के लिए सुबह और शाम में 1-1 घंटे दर्शन सुविधा रहेगी। इसमें भी आम दर्शनार्थी पहले जहां खड़ा था, वह वहीं खड़ा रह गया। अब फिर से नियम बदले हैं कि वीआइपी को दो-दो घंटे विशेष दर्शन सुविधा दी जाए।

वीआइपी का निर्धारित समय बढ़ाया जा रहा

राजाधिराज भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों के लिए वीआइपी का निर्धारित समय बढ़ाया जा रहा है। संभवत: यह व्यवस्था बुधवार से शुरू हो जाएगी। पूर्व में वीआइपी के लिए सुबह और दोपहर में 1-1 घंटे का समय निर्धारित किया गया था। सोमवार को इंदौर रेसीडेंसी में प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने बैठक बुलाई, जिसमें निर्णय लिया गया कि अब वीआइपी के लिए दो-दो घंटे का समय रहेगा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्या वजह रही कि इनका समय बढ़ाया जा रहा है।

इस कारण बढ़ाना पड़ा समय

प्रशासक एसएस रावत के अनुसार पूर्व निर्धारित वीआइपी के समय को इसलिए बढ़ाना पड़ा, क्योंकि इस अवधि में प्रोटोकॉल, वीआइपी और पुजारी परिवार के सदस्य भी आते हैं। रसीद लेकर आने वाले भी अधिक होते हैं, इसके लिए यह समय कम पड़ रहा था। प्रभारी मंत्री ने बैठक में निर्णय लेकर व्यवस्था में बदलाव किया है। इस में यदि वीआइपी-प्रोटोकॉल वालों की संख्या कम रही तो आम दर्शनार्थियों को गर्भगृह से दर्शन कराए जाएंगे।

प्रतिदिन 25 से 30 वीआइपी भी नहीं आते मंदिर
सामान्य दिनों की बात की जाए, तो प्रतिदिन 25 से 30 वीआइपी भी मंदिर में दर्शन करने नहीं आते हैं। सूत्रों के अनुसार इनके लिए एक घंटे का समय पर्याप्त रहता है, इसमें सभी को दर्शन का काफी समय मिलता है। किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती। मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि वीआइपी के लिए जो एक घंटे का समय बढ़ाया है, उसकी बजाय आम दर्शनार्थियों का समय बढ़ाते तो अच्छा था।

क्या बोले शहरवासी

वीआईपी कल्चर को लेकर शहरवासियों से चर्चा की तो उन्होंने कहा १५ दिन पहले महाकाल मंदिर में लागू हुई वीआइपी व्यवस्था को आखिर इंदौर में बैठक बुलाकर क्यों बदलना पड़ा। यह कहना है फ्रीगंज निवासी जगदीश परमार का, उन्होंने कहा क्या इन दिनों इतने वीआइपी आ गए कि एक घंटे का समय इनके लिए कम पडऩे लगा था, जिसमें संशोधन करके दो घंटे करना पड़ा। राकेश राठौर ने कहा कि जो नीतियां बनाई जाती हैं, बाद में उन्हें क्यों तोड़ दिया जाता है।

नई व्यवस्था का कैसा होगा असर, देखें एक नजर
– सुबह 7.45 से 9.45 तक और दोपहर में 3 से 5 बजे तक वीआइपी दर्शन की व्यवस्था रहेगी।

– आम श्रद्धालुओं को महाकाल पर जल चढ़ाने के लिए 4-5 घंटे से अधिक समय नहीं मिल पाएगा।
– प्रवेश खोलने और बंद करने में करीब आधे से पौन घंटे का समय लगता है। ऐसे में आम श्रद्धालुओं के लिए आने वाले दिनों में परेशानी खड़ी होगी।

– वीआइपी समय में किसी अन्य श्रद्धालु को दर्शन करना हो, तो दो लोगों के बीच १७०० रुपए की रसीद कटवाना पड़ेगी। ऐसे में आम आदमी को दो घंटे तक इंतजार करना होगा।

इन्होंने कहा…

मैंने तो आम श्रद्धालुओं के लिए पूरे समय महाकाल मंदिर खोलने के आदेश जारी किए हैं। यदि कोई अव्यवस्था होगी, तो उसकी मॉनिटरिंग कर हल निकाला जाएगा।
– सज्जन सिंह वर्मा, प्रभारी मंत्री

आम श्रद्धालुओं के लिए महाकाल मंदिर के गर्भगृह से 8 से 10 घंटे दर्शन किया जाने का समय सुनिश्चित किया जाए।

– महेश परमार, तराना विधायक

– वीआइपी के लिए तय समयसीमा में आने वाले वीआइपी या प्रोटोकॉल सदस्यों की संख्या कम रहती है, तो ऐसे में उसी समयावधि में आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह से दर्शन कराने की व्यवस्था रहेगी। यदि वीआइपी की संख्या अधिक है, तो नंदीजी के समीप लाकर उन्हें रैम्प से बाहर निकाला जाएगा।
– शशांक मिश्र, कलेक्टर

नई दर्शन व्यवस्था के तहत आगंतुक प्रोटोकॉल एवं रसीदधारी श्रद्धालुओं का प्री-बुकिंग सिस्टम लागू कराया जाएगा। ताकि जब वे आएं तो दर्शन में किसी तरह की परेशानी न हो। बैठक में तय किए समयानुसार आकर वीआइपी गर्भगृह से दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद आने वाले प्रोटोकॉल व वीआइपी भी सामान्य दर्शनार्थी के समान ही दर्शन कर सकेंगे। उनके लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं रहेगी।

– एसएस रावत, प्रशासक महाकाल मंदिर।

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