विधि-विधान से पूजन
रविवार को परंपरा अनुसार अनेक स्थानों पर विधि-विधान से पूजन के बाद होली का दहन होगा। सबसे पहले महाकाल के आंगन में होली जलेगी। मंदिरों की नगरी उज्जैन में हर पर्व की शुरुआत राजाधिराज महाकालेश्वर के आंगन से होती है। ०१ मार्च को संध्या आरती में सबसे पहले महाकाल के आंगन में होली जलेगी। शयन आरती में बाबा भक्तों के साथ होली खेलेंगे। शुक्रवार ०२ मार्च को बाबा के भस्मी रमाने के बाद फिर से रंग-गुलाल उड़ेगा। महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली दहन की परंपरा है। इसके बाद 2 मार्च की अल सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शहरभर में होलिका का दहन किया जाएगा व धुलेंडी का पर्व मनेगा। महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु के अनुसार बताया भगवान महाकाल मृत्युलोक के राजा और उज्जयिनी के अधिपति हैं, इसलिए प्राचीन समय से भक्त सबसे पहले राजाधिराज के दरबार में आकर पर्व मनाते हैं। इसके बाद शहर व देश में पर्व मनता है।
संध्या आरती में सबसे पहले होली
मंदिर में गुरुवार को संध्या आरती में सबसे पहले होली मनेगी। पुजारी-पुरोहित भगवान महाकाल को हर्बल गुलाल लगाएंगे। शकर की माला अर्पित करेंगे। नंदीहॉल, परिसर में भक्त भी हर्बल रंग- गुलाल और फूलों से होली खेलेंगे। संध्या आरती बाद शाम 7.30 बजे मंदिर प्रांगण में कंडों से सजी होली का पूजन कर दहन किया जाएगा। शुक्रवार की सुबह होली होगी। एक जानकारी के अनुसार शहर १५० से अधिक स्थानों पर होली दहन होगा।
शिप्रा तट पर होली
अवंतिका महाकाल तीर्थ पुरोहित समिति द्वारा शाम को ५ बजे शिप्रा तट पर होली का महोत्सव मनाया जाएगा। समिति के अध्यक्ष अजय गुरु कुण्डावाला ने बताया कि महोत्सव में शिप्रा का दुग्धाभिषेक कर सोलह शृंगार की सामग्री भेंट करने के बाद रंग-गुलाल उड़ाया जाएगा।
कवि सम्मेलन आज
मालीपुरा सांस्कृतिक मंच समिति द्वारा गुरुवार को मालीपुरा में अभा कवि सम्मेलन होगा। संस्था के अध्यक्ष देवेंद्र गेहलोत, सचिव राकेश चौहान ने बताया समाजसेवी कुवंर मासा, रामचंद्र बागोलिया व गोपाल बारोड़ को समर्पित कवि सम्मेलन में मदनमोहन समर, शांति तूफान, भुवन मोहिनी, दीपक पारिख, कर्नल हजारी हवलदार, शशिकांत यादव शामिल होंगे। सूत्रधार कवि अशोक भाटी रहेंगे। यहां समाजसेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों डॉ.एचपी सोनानिया और शैलेंद्र व्यास को मालवा रत्न सम्मान दिया जाएगा।
केवल कंडों की अनोखी होली
महाकाल में आंगन में तो सबसे पहले होली दहन का अपना महत्व है पर सिंहपुरी में भी कंडों की प्राचीन होली की अलग ही परंपरा है। आताल-पाताल महाभैरव क्षेत्र के अंतर्गत सिंहपुरी में हमेशा की तरह पांच हजार कंडों की होली तैयार की जाती है। होली में लकडिय़ों का उपयोग नहीं किया जाता है। एक के ऊपर एक सात गोले बनाकर कंडों की होली सजाई जाती है। तड़के चकमक पत्थर से अग्नि प्रज्ज्वलित कर होली दहन होता है। सिंहपुरी की होली को सिंधिया स्टेट के समय से ही सबसे प्राचीन होली का दर्जा प्राप्त है। मान्यता है कि राजा भर्तृहरि ब्रह्म मुहूर्त में होली तापने आते थे।
धुलेंडी और रंगपंचमी पर होगा अतिरिक्त जलप्रदाय
उज्जैन पत्रिका. धुलेंडी और रंगपंचमी के अवसर पर पीएचई की ओर से शहर में अतिरिक्त जलप्रदाय किया जाएगा। २ मार्च शुक्रवार को धुलेंडी और ६ मार्च को रंगपंचमी पर दोपहर २ से ३ बजे तक अतिरिक्त जलप्रदाय होगा।
आज होगी संत बालीनाथ की आरती
उज्जैन पत्रिका. गुरुवार शाम ६.३० बजे तीन बत्ती चौराहा स्थित संत बालीनाथ प्रतिमा स्थल पर बैरवा युवा ब्रिगेड की ओर से संंत बालीनाथ की महाआरती की जाएगी। जानकारी संस्था के मनीष जाटवा ने दी।
भगवान झूलेलाल की 1111 दीपों से होगी आरती
उज्जैन पत्रिका. सिंधी समाज के ईष्ट देवता भगवान झूलेलाल की जयंती 19 मार्च को रामघाट पर मनाई जाएगी। पहली बार चेटीचंड उत्सव के दिन 1111 दीपों से आरती होगी। झूलेलाल मंदिर में अध्यक्ष मोहनलाल वासवानी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में बताया गया कि रामघाट पर झूलेलाल की जयंती को समाजजनों की मौजूदगी में पहली बार भगवान की 1111 दीपों से महाआरती में की जाएगी। कार्यक्रम में आने वाले प्रथम 500 समाजजनों के नाम लक्की ड्रा में शामिल कर इसमें से 101 लोगों के नाम ड्रॉ से निकाल पुरस्कृत किया जाएगा। बैठक में चंदीराम जेठवानी, अशोक सितलानी, दयालदास लालवानी, जयकिशन राजवानी, चंदू तेजवानी, विनोद रामवानी, गोविंदराम आसवानी, टीकमदास, दीपक राजवानी मौजूद थे।