इनका अतिक्रमण बन रहा शहरवासियों की परेशानी
उज्जैनPublished: Nov 30, 2021 10:53:35 pm
रोकटोक नहीं तो बेखोफ बढ़ता जा रहा अतिक्रिमण, .यातायात व्यवस्था व सौंदर्यीकरण हो रहा प्रभावित, सड़कों के साथ गलियों में भी हो रहे अतिक्रमण
रोकटोक नहीं तो बेखोफ बढ़ता जा रहा अतिक्रिमण, .यातायात व्यवस्था व सौंदर्यीकरण हो रहा प्रभावित, सड़कों के साथ गलियों में भी हो रहे अतिक्रमण
उज्जैन. शहर की सुनियोजित बसाहट बिगड़ गई है। अतिक्रमण की अति हो रही है और इन्हें प्रभावी तरीके से रोकटोक करने वाला कोई नहीं है। नतीजा हमारे शहर की सड़कें कब्जे में दब रही हैं, सरकारी गलियों पर निजी राज छा रहा और फुटपाथ पर हर किसी की मनमानी चल रही है।
जनसुविधा के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर चौड़ी सड़कें, फुटपाथ, गलियां आदि का निर्माण किया जाता है लेकिन प्रभावी रोकटोक की कमी के कारण इन पर अतिक्रमण पसर रहा है। शहर के अधिकांश फुटपाथ चलने से ज्यादा दुकान लगाने के उपयोग में आ रहे हैं। एेसी ही स्थिति मुख्य सड़क व सर्विस रोड की है। कहीं दुकानों के बोर्ड रखकर यातायात प्रभावी किया जा रहा है तो कहीं ऑटो गैरेज या अन्य दुकानों का अघोषित कब्जा ही हो गया है। यह शहर की यह बिगड़ती स्थिति तब है जब इसे स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के दावे किए जा रहे हैं।
जनता को नहीं मिलती शासकीय गलियां
फ्रीगंज सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में हर थोड़ी दूरी पर भवनों के बीच ५-१० फीट की शासकीय गलियां बनाई गईं थी। इनके जरिए आम व्यक्ति पैदल ही कम दूरी तक कर एक रोड से दूसरे रोड पर जा सकता था। वर्तमान में इन गलियों में से अधिकांश पर कतिपय लोगों का कब्जा हो गया है। किसी ने गलियों में निर्माण कर लिया है तो किसी ने अपनी सुविधा के लिए इन्हें बंद कर दिया है। आवाजाही बंद करने के पीछे क्षेत्रवासी या व्यापारी गलियों में अन्य लोगों द्वारा शौच या गंदगी करने का हवाला भी देते हैं।
सड़क पर गैरेज का काम
शहर की कई सड़कें ऑटो गैरेज व गुमटियों के अतिक्रमण में दब रही हैं। सड़कों के किनारे स्थित अधिकांश गैरेज संचालक सड़कों तक वाहन रखकर सुधार करते हैं। इससे सड़कों की चौड़ाई आधी हो जाती है। इसी तरह कई दुकानदार अपनी दुकानों के बोर्ड, होर्डिंग्स, यहां तक कि सामग्रियां भी सड़क किनारे तक फैला देते हैं। इसके चलते यातायात तो प्रभावित होता ही है, दुर्घटना का खतरा भी रहता है।
चलने लायक नहीं फुटपाथ और पोर्च
पैदल यात्रियों के लिए शहर के अधिकांश प्रमुख मार्गों के साथ ही फुटपाथ बनाए गए हैं। अधिकांश फुटपाथों पर हर थोड़ी दूरी में अस्थायी दुकानें लगी मिलती हैं। एेसे में चलने के लिए फुटपाथ का सही उपयोग नहीं हो पाता है। आगरोड के फुटपाथ पर कुछ व्यापारियों ने दुकानों का विस्तार कर लिया है। इसी तरह फ्रीगंज में दुकानों के बाहर पोर्च निर्माण किया गया था ताकि पैदल चलने वाले बारिश, धूप आदि से बचते हुए बाजार में घुम सकें। इन पोर्चों में भी दुकानों का सामग्री रख अतिक्रमण कर लिया गया है।