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उज्जैन के कुछ अस्पतालों में आग से बचने के पर्याप्त इंतजाम नहीं, कहीं गेट पर जनरेटर तो कहीं प्रशिक्षित स्टॉफ की कमी

locationउज्जैनPublished: Aug 09, 2022 10:29:22 pm

Submitted by:

aashish saxena

नियमों की खानापूर्ति के लिए कुछ अस्पतालों में संसाधन लगे भी तो समय-समय पर नहीं होती है उनकी जांच

There are no fire escape arrangements in Ujjain hospitals

नियमों की खानापूर्ति के लिए कुछ अस्पतालों में संसाधन लगे भी तो समय-समय पर नहीं होती है उनकी जांच

उज्जैन. आग से बचाव के लिए जरूरी मापदंडों पर शहर के कई अस्पताल सौ फीसदी खरे नहीं हैं। कहीं दक्ष स्टॉफ नहीं है तो कहीं पर्याप्त उपकरणों का अभाव है। कुछ अस्पताल में तो मुख्य द्वार के पास ही जनरेटर, विद्युत डीपी आदि लगे हैं। ऐसे में सुरक्षा इंतजामों में यह खामी कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

बहुमंजिला व्यावसायिक भवनों में सुरक्षा इंतजामों के लेकर नेशनल बिल्डिंग कोर्ट (एनबीसी-२०१६) अंतर्गत मापदंड निर्धारित किए गए हैं। इन मापदंडों के मान से शहर के कई निजी-शासकीय अस्पताल सहित अन्य कमर्शियल भवनों में सौ फीसदी सुरक्षा इंतजाम नहीं है। पूर्व में हुए हादसों के बाद कई जगह अग्रीशमन के लिए उपकरण लगे भी तो न समय पर इनकी जांच हो रही है और नहीं स्टॉफ को इनके उपयोग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कई अस्पतालों में तो फायर सिस्टम लगने के बाद इनकी मॉकड्रील ही नहीं की गई है। ऐसे में आग लगने पर यह सिस्टम पूरी क्षमता से काम कर सकेंगे या नहीं, कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा सुरक्षा मानकों को लेकर कुछ बड़ी लापरवाहियां भी बरती जा रही है। फ्रीगंज स्थित तिरुपति अस्पताल में द्वार के नजदीक ही जनरेट लगा हुआ है। जनरेट के पास विद्युत की डीपी लगी है। मसलन्र डीपी या जनरेटर में आग लगती है तो यहां बड़ा हादसा हो सकता है।

उज्जैन को सबक लेने की जरूरत
सोमवार को भोपाल के एक निजी अस्तपताल में भीषण आगजनी ने कई परिवारों की खुशियां खाक कर दी। हादसे के पीछे मुख्य कारण अस्पताल में लगे जनरेटर में शॉटसर्किंट होना बताया जा रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि जनरेटर अस्पताल के मुख्य द्वार के नजदीक रखा था और आग लगने से यह गेट भी इसकी चपेट में आ गया। इसके चलते लोगों को अस्पताल से बाहर निकलने का पर्याप्त मौका नहीं मिला। उज्जैन को इस हादसे से सबक लेने की जरूरत है क्योंकि यहां भी ऐसे कई कमर्शिलय कॉम्प्लेक्स हैं जिनमें सुरक्षा इंतजामों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

सुरक्षा के लिए यह ध्यान रखना जरूरी
1. सिर्फ एक्सटिंग्विशर काफी नहीं- कई भवनों में कुछ एक्टिसटिंग्विश्र लगाकर, यह मान लिया जाता है कि आगजनी होने पर इनसे काबू पा लिया जाएगा जबकि यह इंतजाम पर्याप्त नहीं है। एक्सटिंग्विशर प्राथमिक सुरक्षा उपकरण मात्र है। एक एक्सटिंग्विशर की उम्र महज डेढ़ मिनट की होती है। मसलन उपयोग करने पर यह ९० सैंकड में ही खाली हो जाता है। इसलि अन्य उपकरण भी होना चाहिए।
2. उपकरणों की जांच- एक्सटिंग्विशर के साथ ही कई जगह अन्य जरूरी उकरण भी लगाकर सुरक्षा व्यवस्था को हमेशा के लिए पर्याप्त मान लिया जाता है। जबकि जरूरी है कि समय-समय पर उपकरणों की जांच हो। एक-दो महीने में इनका उपयोग कर देखना चाहिए कि यह ठीक से चल रहे हैं या नहीं क्योंकि इनमें कुछ त्रुटी हुई तो आग लगने के बाद इन्हें सुधारने का समय नहीं मिलेगा।
3. मॉक ड्रील- कई भवनों में सुरक्षा उपकरणों को लेकर तय मानकों का सौ फीसदी पालन किया जाता हैं लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। उपकरणों का तत्काल व सही तरीके से उपयोग किया जा सके, इसके लिए दक्ष स्टॉफ होना जरूरी है। नियमानुसार फायरब्रिगेड के माध्यम से बिल्डिंग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग देना चाहिए। विशेषज्ञों की मौजूदगी में ही १५ दिन से एक महीने में मॉक ड्रील होना चाहिए ताकि कर्मचारी अभ्यासरत रहे।

बहुमंजिला भवन में नीचे से ऊपर यह जरूरी
– पर्याप्त संख्या में फायर एक्सटिंग्विशर
– फायर होज रील
– फायर होज बॉक्स
– पंप हाउस
– वाटर टेंक
– बेसमेंट व अन्य तल पर स्प्रींकलर
– डिटेक्टर होना
– प्रथक से आपातकालिन मार्ग व द्वार

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