मंगलवार को वल्र्ड मॉस्कीटो-डे (विश्व मच्छर दिवस) है। पत्रिका ने सोमवार को जब फ्रीगंज घासमंडी चौराहा स्थित जिला मलेरिया विभाग कार्यालय के आसपास की स्थिति का जायजा लिया तो यहीं लार्वा पनपने की स्थिति सामने आ गई। कार्यालय के प्रवेश द्वार पर ही नाली जाम है। नजदीक की नाली अमूमन हर समय गंदगी से भरी रहती है और यहां स्थित सार्वजनिक मूत्रालय की गंदगी भी इस चॉक नाली में जाती है। इससे आम दिनों में तो कार्यालय के आसपास गंदगी व बदबू की समस्या रहती ही है, बारिश में यह परेशानी और बढ़ जाती है। निकासी नहीं होने के कारण बारिश में कार्यालय के बाहर पानी जमा हो जाता है। जमे पानी में लार्वा न पनपे, इसके लिए विभाग को एंटी लार्वा का छिड़काव करना पड़ता है। विभाग की ओर से नगर निगम को भी इस सबंध में सूचना दी जा चुकी है लेकिन न नाली की नियमित सफाई होती है और नहीं गंदा पानी निकासी की कोई व्यवस्था की गई है। एेसे में मलेरिया विभाग का कार्यालय ही लार्वा पनपने की आशंकाओं से घिरा रहता है।
जिले में मिलते हैं तीन तरह के मच्छर
मलेरिया विभाग की टीम लार्वा नष्ट करने की कार्रवाई के साथ ही मच्छर भी तलाशते हैं। जिला मलेरिया अधिकारी अविनाश शर्मा ने बताया, जिले में तीन प्रकार के मच्छर मिले हैं जिनमें एनाफिलिज, ट्यूलेक्स व एडीज शामिल हैं। मादा एनाफिलिज मच्छर जहां मलेरिया का कारण है वहीं एडीज के काटने से डेंगू होता है। इसके अलावा सर्वाधिक ट्यूलेक्स (आम भाषा में डास मच्छर) पाया जाता है। इसका आकार बड़ा होता है लेकिन काटने से कोई गंभीर बीमारी नहीं होती। इनके अलावा आरवी जेरिस प्रजाति का मच्छर भी मिलता है जो पशुओं का खून पीता है। यह मवेशियों के बाड़ों में अधिक पाया जाता है। विभाग का दावा है कि लंबे समय से जिले में एडीज मच्छर का लार्वा नहीं मिला है। दावा यह भी है कि कुछ कुछ वर्षों से जिले में डेंगू का मरीज भी नहीं मिला है। दो-तीन वर्ष में जो कुछ मामले आए थे उनके मरीज मुंबई व अन्य बाहरी शहरों के थे। अधिकारियों के अनुसार जिले में डेंगू की रोकथाम के लिए की गइ्र बेहतर कार्रवाई के चलते उत्तर प्रदेश की टीम यहां का मॉडल देखने आ चुकी है।
अब 20 मिनट में होती है जांच
विभाग स्लम एरिया में अधिक सर्वे करता है। जिला मलेरिया अधिकारी के अनुसार टीम घर-घर जाकर मलेरिया के रोगी चिन्हित करने ब्लड स्लाइड लेते हैं। अब ब्लड स्लाइड के साथ ही इसके लिए आरडी (रीपिट डायग्नोसिस्ट) कीट का उपयोग किया जा रहा है। ब्लड स्लाइड की रिपोर्ट मिलने में ६-७ दिन लगते हैं वहीं आरडी कीट से २०-३० मिनट में ही रिपोर्ट मिल जाती है। एेसे में अब आरडी किट का उपयोग अधिक किया जा रहा है।
जिले में लगातार घटे मलेरिया के मरीज
वर्ष लोगों की जांच की मलेरिया ग्रस्त मिले
2016 2 लाख 97 हजार 961 471
2017 2 लाख 87 हजार 300 230
2018 2 लाख 95 हजार 400 62
2019 1 लाख 28 हजार 305 21
इनका कहना
विभाग द्वारा सतत सर्वे व जनजागरण के कार्यक्रम किए जाते हैं। क्षेत्र विशेष में लार्वा की शिकायत मिलने पर इसके निष्पादन की आवश्यक कार्रवाई की जाती है। वर्तमान में स्कूलों में भी जनजागरण के कार्यक्रम मिए जा रहे हैं। मलेरिया के मरीजों की संख्या पहले से घटी है। कार्यालय के आसपास पानी की निकासी संबंधि समस्या के लिए नगर निगम को सूचना दी गई है।
– अविनाश शर्मा, जिला मलेरिया अधिकारी