एेसे उलझी उम्मीद मिल की जमीन को कुछ महीने पूर्व शासन ने अपने कब्जे में ले लिया है। इससे उम्मीद बढ़ी थी कि अब जल्द ही जमीन बेचकर शासन श्रमिकों की राशि भुगतान कर देगा। मिल की खाली जमीन पर स्मार्ट सिटी अंतर्गत योजना प्रस्तावित की गई है। उक्त योजना पीपीपी मोड पर है। इसके अनुसार जमीन पर प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए व्यावसायिक निर्माण होगा और उससे होने वाली आय से चरणबद्ध श्रमिकों को उनकी बकाया राशि का भुगतान हो सकेगा। इसको लेकर कोई ठोस निति नहीं बन पाई है और मामला अधर में ही है। कुछ दिन पूर्व मिल मजदूरों ने प्रभावी मंत्री से भी मुलाकात कर जल्द भुगतान की मांग की थी। इस पर प्रभारी मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने मुख्यमंत्री से चर्चा करने और निधि बनाने का आश्वासन दिया था। हालांकि अभी तक कोई नीति स्पष्ट नहीं हुई है।
साल बीते, खत्म नहीं हुआ इंतजार
– वर्ष १९९१ में मिल बंद हुई। जनवरी १९९६ परिसिमापन हुआ। – भुगतान के लिए श्रमिकों ने हाइकोर्ट में वाद दायर किया। वर्ष २००४ में केस जीते। एक बड़ी उम्मीद जगी।
– नजूल व शासन ने अपील की और स्टे प्राप्त कर लिया तो खुश हुए चेहरे फिर चिंता छा गई।
– वर्ष १९९१ में मिल बंद हुई। जनवरी १९९६ परिसिमापन हुआ। – भुगतान के लिए श्रमिकों ने हाइकोर्ट में वाद दायर किया। वर्ष २००४ में केस जीते। एक बड़ी उम्मीद जगी।
– नजूल व शासन ने अपील की और स्टे प्राप्त कर लिया तो खुश हुए चेहरे फिर चिंता छा गई।
– वर्ष २००४ से २०१७ तक मामला उलझा रहा। इसी दौरान आकलित भुगतान राशि २२ करोड़ पर आपत्ति लेकर इसे ६७ करोड़ रुपए सिद्ध कराया।
– वर्ष २००९ में करीब ८.५ करोड़ रुपए का आंशिक भुगतान भी हुआ, जो छोटी जीत की खुशियां लाया।
– वर्ष २००९ में करीब ८.५ करोड़ रुपए का आंशिक भुगतान भी हुआ, जो छोटी जीत की खुशियां लाया।
– भुगतान के लिए सिर्फ जमीन ही बची थी इसलिए श्रमिक डबल बैंच में गए और वर्ष २०१७ में केस जीता।
– डबल बैंच के आदेश के विरुद्ध शासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की व स्टे लिया।
– डबल बैंच के आदेश के विरुद्ध शासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की व स्टे लिया।
– ३ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई वहीं श्रमिक संगठन ने मुख्यमंत्री नाथ के भी फैक्स किया है। मिल पर एक नजर
मिल- द बिनोद-विमल कपड़ा मिल मिल भूमि- ९० बीघा
कुल मजदूर -४३५३
मिल- द बिनोद-विमल कपड़ा मिल मिल भूमि- ९० बीघा
कुल मजदूर -४३५३
निधन हुआ- १८००
कुल बकाया-६७ करोड़ रुपए, हम २८ वर्ष से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन अभी तक हमें हमारी राशि का भुगतान नहीं किया गया। इस बीच कई साथी दिवंगत हो गए और कई उम्रदराज होने के साथ अस्वस्थ हैं। भुगतान को लेकर सरकार की ओर से कोई नीति तय नहीं हुई है। यह दीपावली भी सिर्फ इंतजार में ही बीत रही है। ९६ करोड़ रुपए के क्लेम के साथ जल्द भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रहे हैं।
– ओमप्रकाशसिंह भदौरिया, अध्यक्ष मिल मजदूर संघ इंटक
कुल बकाया-६७ करोड़ रुपए, हम २८ वर्ष से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन अभी तक हमें हमारी राशि का भुगतान नहीं किया गया। इस बीच कई साथी दिवंगत हो गए और कई उम्रदराज होने के साथ अस्वस्थ हैं। भुगतान को लेकर सरकार की ओर से कोई नीति तय नहीं हुई है। यह दीपावली भी सिर्फ इंतजार में ही बीत रही है। ९६ करोड़ रुपए के क्लेम के साथ जल्द भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रहे हैं।
– ओमप्रकाशसिंह भदौरिया, अध्यक्ष मिल मजदूर संघ इंटक