प्रॉपर्टी बनाने के चक्कर में बुरे फंसे ये लोग…
उज्जैनPublished: Jul 13, 2019 01:23:47 am
दुकान के लिए लगाई ऊंची बोली, धंधा नहीं चलने से अब हो रही फजीहत
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उज्जैन। नगर निगम की ओर से छत्री चौक क्षेत्र में बनाए गए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, महाकाल मंदिर के पीछे फूड जोन व अन्य जगह दुकान-ऑफिस के लिए महंगी बोली लगाने वाले आवेदक अब परेशान हो रहे हैं। निगम द्वारा तय रेट से डेढ़ से दोगुने रेट डालकर दुकानें लीज पर लेने के बाद भी संबंधित स्थानों पर व्यापार-धंधे नहीं चल पा रहे। कुछ ने तो निवेश के मान से इन दुकानों को ले लिया था, लेकिन अब इनमें कोई रिटर्न नहीं मिल रहा। लिहाजा एेसे लोग अब निगम में रिफंड के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जमा राशि के रिफंड नहीं करने की शर्त के चलते निगम इन्हें बैरंग लौटा रहा है।
नगर निगम ने महाकालेश्वर निर्गम द्वार पर फूड जोन बनाया है, जिसमें १० बाय १० साइज की दर्जनभर दुकानें हैं। इनके रेट ४ से ६ लाख रुपए निगम ने तय किए थे, लेकिन लोकेशन अच्छी होने के चलते लोगों ने इन दुकानों के लिए अधिकतम २१ लाख रुपए तक की दर प्रस्तुत कर दी। इसके अलावा वार्षिक लीज अलग से देय है। इसी तरह छत्रीचौक क्षेत्र में बने जी प्लस थ्री शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में भी काफी ऊंचे रेट आसपास के व्यापारियों व लोगों ने डाल दिए। लेकिन अब यहां ठीक से व्यापार नहीं जमने से ये भी पछतावे की स्थिति में है।
१.२० करोड़ का कॉम्प्लेक्स, आधी दुकानों की बोली २.९४ करोड़
निगम ने पुराने फायर ब्रिगेड परिसर में १.२० करोड़ रुपए की लागत से तैयार जी प्लस टू शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की दुकान नीलामी में निगम की चांदी हो गई थी। इसकी २४ में से १३ दुकान-ऑफिस की लीज नीलामी से ही निगम को २.९४ करोड़ का राजस्व मिला। ग्राउंड फ्लोर पर जिस दुकान की न्यूनतम दर निगम ने ३५ लाख रुपए निर्धारित की थी, उसकी ऊंची बोली ५० लाख रुपए लगी। निविदा में प्रस्तुत राशि लेकर निगम संबंधितों को दुकान-ऑफिस ३० साल की लीज पर आवंटित करेगा। साथ ही निविदा मूल्य के मान से ०.५० प्रतिशत सालाना लीज भी देय है।
इनका कहना –
दुकान की लीज होने के बाद इसमें राशि रिफंड का प्रावधान नहीं रहता। जब जो दर स्वीकृत हो चुकी उस मान से संबंधित को वार्षिक लीज रेंट देना होता है। कुछ लोगों ने राशि वापसी के लिए आवेदन दिए, जिन्हें अमान्य कर दिया गया।
सुबोध जैन, सहायक आयुक्त, ननि