देश में 500 जगहों पर बन रहे हैं कश्मीर जैसे हालात
उज्जैनPublished: Apr 23, 2019 01:30:10 am
डॉ हेडगेवार स्मृति व्याख्यानमाला में वर्तमान आंतरिक चुनौतियां विषय पर बोले पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ
उज्जैन. आज यदि हम सच्चे अर्थों में अपने राष्ट्र को परमवैभव पर पहुंचाना चाहते हैं तो ये कार्य केवल भारत का समाज ही कर सकता है। ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि इसी देश के बेटे अपनी ही धरती पर शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। इस देश को अनेकों लोग अंदर से तोडऩा चाहते हैं और आज हिंदुओं को उन लोगों को रोकना होगा। अनेकों वर्षों से राष्ट्र को खंडित करने का प्रयास चल रहा है और आज तक भारत में ऐसे 500 स्थान हैं, जिनमें कश्मीर जैसे हालात थे। अनेकों वर्षों से हिंदुओं को डराने का उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास चल रहा है और ये न केवल बाहरी शक्तियों के द्वारा बल्कि आंतरिक शक्तियों के द्वारा भी किया जा रहा है। इन आंतरिक शक्तियों ने जो राष्ट्र को खंडित करने का प्रयास कर रही है। इनने हमें कभी अपनी संस्कृति को जानने से अपनी गौरवमयी परंपरा को जानने से रोका।
यह बात सोमवार रात माधवसेवा न्यास में आयोजित डॉ हेडगेवार स्मृति व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने वर्तमान आंतरिक चुनौतियां विषय पर प्रकाश डालते हुए कही। उन्होंने कहा कि ये हमारा दुर्भाग्य है कि जो व्यक्ति देश के टुकड़े करने की बातचीत करते हैं उन्हें देश की राजनीतिक पार्टियां देश की संसद में पहुंचाने का प्रयास करती है और 150 से ज्यादा बॉलीवुड के सितारे उस व्यक्ति का प्रचार करने वहां जाते हैं। ये लोग जो हिंदुओं और सेना को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी इन लोगों ने तथाकथित नकली हिंदू आतंकवाद को पनपाना चाहा किंतु अब 2014 के बाद से उनके सभी मंसूबों पर पानी फिर गया है। कुलश्रेष्ठ ने बताया कि आज यदि देश से आतंकवाद को समाप्त करना है तो हमें रोज 15 से ज्यादा सर्जिकल स्ट्राइक करनी होगी।
सचिव राजेश पाटीदार के अनुसार केशव अर्चना लखन चौधरी ने की। अतिथि परिचय मनीष खंडेलवाल ने दिया। स्वागत अध्यक्ष पुष्पेन्द्र चित्तौड़ा थे, स्वागत भाषण विवेक सांखला ने दिया। व्यक्तिगत गीत सौरभ गर्दे ने प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय उद्बोधन श्याम जायसवाल ने दिया। अतिथियों को स्मृति चिह्न डॉ अजयसिंह, राजेश शर्मा ने प्रदान किया। संचालन गौरीलाल परमार ने किया एवं आभार जीवनप्रकाश आर्य ने माना। वंदेमातरम गीत विशाल काले ने प्रस्तुत किया।