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इस किसान की जमीन पर फिर कर लिया दबंगों ने कब्जा…

locationउज्जैनPublished: May 06, 2018 11:42:41 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

अधिकारियों के चक्कर लगा कर हो रहे परेशान

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नागदा. अधिकारियों से न्याय मिलने के बाद पीडि़त न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, लेकिन मूकदर्शक बने अधिकारियों के आगे न्यायालय का आदेश भी फाइलों में धूल चाट रहा है। एक और तो सरकार अपने आप को किसानों का हमदर्द बताती है, लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं कर पा रही है।
पीडि़त किसानों को न्यायालय के आदेश के 1 वर्ष बाद भी अधिकारियों की लापरवाही से इंसाफ नहीं मिल रहा है। विकासखंड में ऐसे कई किसान है जिनकी जमीन पर रसूखदारों ने कब्जा कर रखा है। ऐसे दो किसानों की कहानी पत्रिका उजागर कर रहा है। जिनकी जमीन पर उनके ही गांव के लोगों ने कब्जा कर रखा है। यह दो किसान लगभग 8 वर्ष से न्याय के लिए दर-दर भटक रहे है।
नहीं मिल रहा है कब्जा
शहर से लगभग 15 किमी दूर स्थित गांव बड़ागांव में किसान प्रभुलाल चौधरी की पैतृक ११ बीघा जमीन है। जिसमें सर्वे नं ३७२,३५९-१,३५६-२ पर स्थित २ बीघा ०५ बिस्वा जमीन पर कुछ लोगों ने वर्ष २००८ से कब्जा कर रखा है। वर्ष २००९ में सीमांकंन हुआ, जिसमें कब्जा की हुई जमीन किसान चौधरी की पाई गई, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों ने कब्जा नहीं छोड़ा। न्याय के लिए किसान चौधरी ने वर्ष २०१० में तहसील न्यायालय में फरियाद की। दो वर्ष बाद १० फरवरी २०१२ को किसान चौधरी के पक्ष में निर्णय हुआ। पुलिस की मौजूदगी में किसान चौधरी को कब्जा दिलाया गया, लेकिन कुछ दिन बाद उक्त लोगों ने डरा धमका कर चौधरी की जमीन पर पुन: कब्जा कर लिया। पीडि़त किसान ने सिविल न्यायालय में फरियाद कि।यहां पर भी किसान चौधरी की जीत हुई।लेकिन कब्जाधारी ने एडीजे न्यायालय में अपील की, यहां पर भी किसान चौधरी की जीत हुई और कब्जाधारी की अपील २२ अगस्त २०१७ को खारिज कर दी, लेकिन कब्जाधारी ने १६ अक्टूबर २०१७ को पुन:जमीन पर कब्जा कर लिया। पीडि़त चौधरी ने एसडीएम व तहसीलदार के समक्ष फरियाद करते हुए आवेदन दिया, लेकिन अभी तक किसान चौधरी को इंसाफ नहीं मिला। यहां तक किसान ने पुलिस थाने में कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ रिपोर्ट भी लिखाई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। एसडीएम ने तहसीलदार को जांच के लिए कहा, जिस पर जांच कर एसडीएम को रिपोर्ट पेश की। एसडीएम खाचरौद ने कब्जा करने वालो के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हुए पुन: सीमाकंन का आदेश दिया। जबकि पूर्व में सीमाकंन हो चुका है, यहां तक न्यायालय ने भी चौधरी की जमीन पर अन्य लोगों का कब्जा पाया। इसके बावजूद भी किसान को इंसाफ नहीं मिल रहा है।
१७ वर्ष श्चसे लड़ रहा है न्यायालय में लड़ाई
गांव पिपलौदा बागला का किसान मांगूसिंह का नाम तो नागदा से भोपाल तक के अधिकारी जानते है।17 साल से न्यायालय में लड़ाई लड़ रहे किसान मांगूसिंह को आज-तक इंसाफ नहीं मिला है। हालांकि मांगू को एक जमीन पर तो कब्जा मिल गया, लेकिन किसान की जमीन पर हुए कब्जा का प्रकरण का अभी तक निराकरण नहीं हुआ। जबकि किसान मांगूसिंह को न्यायालय से सफलता मिल चुकी है। किसान मांगूसिंह की सर्वे नं १२३४ पर २ बीघा से अधिक जमीन है। जिसमें से कुछ जमीन पर अन्य लोगों ने कब्जा कर रखा है। किसान ने ३ जून २०१० को तहसीलदार के समक्ष नक्शा दुरुस्त का आवेदन दिया। इसमें रिकॉर्ड में ३७ आरे जमीन पाई गई, लेकिन किसान को महज २५ आरे ही जमीन मिली। किसान को जमीन पर कब्जा नहीं मिला। जिसके बाद किसान ने एसडीएम का दरवाजा खटखटाया। लगभग ६ साल तक स्थानीय अधिकारी ने न्याय नहीं मिलने पर किसान ने उच्च न्यायालय इंदौर में २४ अप्रैल२०१७ को याचिका का दायर की। न्यायालय ने १२ अप्रैल २०१८ को आदेश दिया कि किसान कलेक्टर के समक्ष आवेदन लगाए। कलेक्टर के समक्ष २४ अप्रैल २०१८ को आवेदन दिया। जिन्होने पूरा मामला एसडीएम नागदा के समक्ष भेजा। एसडीएम ने २५ अप्रैल २०१८ को नायब तहसीलदार को निराकरण का आदेश दिया, लेकिन अभी तक किसान की समस्या का निराकरण नहीं हुआ।
५०० आवेदन दे चुका है मांगूसिंह
किसान मांगूसिंह की गांव पिपलौदा में दो अलग-अलग स्थान पर जमीन है। दोनों जमीन पर कब्जा था। एक जमीन की लड़ाई मांगूसिंह ने २००४ से लडऩा प्रारंभ की थी। मांगूसिंह तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर, कमीश्नर, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक को लगभग ५०० बार आवेदन दे चुका है। किसान मांगू सिंह की जमीन पर कई बार सेटेलाइट से नपती की जा चुकी है। जब-जब मुख्यमंत्री जिले में कोई आमसभा करने आते है या कार्यक्रम में आते तो मांगूसिंह अपनी फरियाद लेकर पहुंच जाता था। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी मांगूसिंह को नाम से जानने लग गए थे। वर्ष २०१२ में जब मुख्यमंत्री चौहान नागदा आए तो, पुलिस ने सीएम के आने के पहले ही मांगूसिंह को पकड़ कर थाने में बंद कर दिया था।

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