script21 किमी तक निकले पथ संचलन में कंठाल पर हुआ ये खास | This happened on the Kanthal in the path movement of 21 km | Patrika News

21 किमी तक निकले पथ संचलन में कंठाल पर हुआ ये खास

locationउज्जैनPublished: Oct 09, 2019 12:03:38 am

Submitted by:

rishi jaiswal

उज्जैन महानगर में 5500 से अधिक स्वयं सेवक शामिल

21  किमी तक निकले पथ संचलन में कंठाल पर हुआ ये खास

उज्जैन महानगर में 5500 से अधिक स्वयं सेवक शामिल

उज्जैन. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस व विजयादशमी पर्व पर शहर में छह स्थानों से पथ संचलन निकले। सुबह ७.३० बजे शस्त्र पूजन, बौद्धिक हुआ और फिर दंड लेकर स्वयंसेवकों ने कदमताल किया। प्रत्येक संचलन करीब ३.५० किमी मार्ग पर चला। कुल ५५६० स्वयं सेवकों ने शहर के २१ किमी क्षेत्र में दस्तक दी। कंठाल चौराहा पर केशव नगर व विक्रमादित्य नगर के संचलन आपस में मिले और डेढ़ मिनट तक साथ रहे। मार्ग में कई स्थानों से सामाजिक संगठनों व संस्थाओं ने स्वयं सेवकों का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। साल २०२५ में संघ स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण होंगे। इस अवधि को लक्ष्य में रखकर संघ समाज परिवर्तन के नए कार्य शुरू करेगा।
दो साल से निकल रहे महानगर के सामूहिक पथ संचलन व्यवस्था में बदलाव करते हुए संघ ने इस बार अलग संचलन निकालना तय किया। गणवेशधारी स्वयं सेवक घोष की धुन पर कमदताल करते निकले। महानगर संघचालक श्रीपाद जोशी के अनुसार संघ रचना के केशव नगर का पथ संचलन सरस्वती विद्या मंदिर महाकाल मैदान से प्रारंभ होकर पुन: वही समाप्त हुआ। माधव नगर का जाल मैदान, विक्रमादित्य नगर का क्षीरसागर मैदान, राजेंद्र नगर का लोकमान्य तिलक विद्यालय नीलगंगा से और कालिदास नगर का पथ संचलन शुभम् मांगलिक परिसर से प्रारंभ होकर पुन: प्रारंभ स्थान पर आकर विराम हुए। मधुकर नगर का पथ संचलन वैदेही वाटिका खाक चौक से प्रारंभ होकर सरस्वती विद्या मंदिर पिपली नाका पर समाप्त हुआ।
एेसे मिले दो संचलन: केशवनगर का संचलन छत्रीचौक से नई सड़क मार्ग की ओर आ रहा था। इसी समय विक्रमादित्य नगर का संचलन तेलीवाड़ा मार्ग से क्षीरसागर के लिए जा रहा था। कंठाल चौराहा पर दोनों संचलन का मिलन हुआ तो यहां स्वागत के लिए मौजूद लोग भी उत्साहित हो गए। क्षीरसागर घाटी तक दोनों संचलन साथ चले और फिर अलग हो गए।
बौद्धिक में किस वक्ता ने क्या कहा

केशव नगर के मुख्य वक्ता मध्य क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी बोले-लंबे समय से चली आ रही साधना से आज राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने की संघ की कल्पना साकार होते दिख रही है। संपूर्ण विश्व भारत की ओर वैश्विक कल्याण, शांति के लिए आशा एवं विश्वास की दृष्टि से देख रहा है।
राजेंद्र नगर के मुख्य वक्ता विभाग संघ चालक बलराज भट्ट ने कहा कि स्वयंसेवक प्राणी मात्र के कल्याण और सुख की कामना के लिए मातृभूमि की सेवा करते हैं। इनमें वे सारे गुण निर्माण किए जाते हंै जिसकी संकल्पना स्वामी विवेकानंद ने राष्ट्रीय चेतना निर्माण के लिए की। स्वयंसेवक भगवान राम के जीवन से समरसता युक्त आदर्श ग्रहण करते हुए राष्ट्र की साधना करते हैं।
माधव नगर के मुख्य वक्ता प्रांत गोसेवा प्रमुख राम गोपाल वर्मा डॉ हेडगेवार को याद करते हुए कहा कि वे युगदृष्टा थे। उन्होंने युगानुकूल संघ कार्य आरंभ किया एवं समग्र हिंदू समाज की संगठित शक्ति को जागृत करने अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया। सन् 1925 में विजयादशमी पर संघ की स्थापना हुई थी और इस दिन सभी स्वयंसेवक सीमा उल्लंघन करते हुए समाज में जाकर शक्ति का प्रकटीकरण करते हैं।
विक्रमादित्य नगर के मुख्य वक्ता विभाग बौद्धिक प्रमुख सांवरिया शर्मा ने कहा- अहिंसा परम धर्म जरूर है परंतु कायरता हिंसा नहीं हो सकती। आसुरी शक्ति का सर्वनाश करना ही धर्म है। यह हमारे पूर्वजों ने भी किया है। अपने समाज के लिए भाव जागरण करने का कार्य संघ कर रहा है। संगठन शक्ति के आगे बलशाली को झुकना पड़ता है।
कालिदास नगर के मुख्य वक्ता विभाग सामाजिक समरसता प्रमुख धर्मेंद्र सिंह ने आह्वान किया कि स्वयंसेवक समाज के साथ मिलकर आतंकवाद, अलगाववाद, जातिवाद जैसी बुराइयों का विध्वंस कर समाज में शांति, कल्याण और प्रेम का वातावरण निर्माण करें।
मधुकर नगर के मुख्य वक्ता प्रांत धर्म जागरण प्रमुख रामप्रसाद पांडे बोले हिन्दू धर्म में अनादिकाल से शक्ति की उपासना होती है। आसुरी शक्ति के बढऩे पर महापुरुष का जन्म होता है। बलहीन को कोई नहीं पूजता है। बलवानों को सभी पूजते है। यानी कमजोर का कोई अस्तित्व नहीं होता है।
ये रहे अतिथि: विभिन्न स्थानों पर बौद्धिक दौरान कार्यक्रम के अतिथि मंचासीन रहे। इनमें भागवताचार्य भविष्य गुरु, डॉ उमेश जेठवानी, विजय सुराणा, देशमुख नारायण पटेल, डॉ राहुल तेजनकर एवं गिरीश जैन शामिल रहे। संचलन में सांसद, विधायक सहित भाजपा के कई वरिष्ठनेता शामिल हुए।
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