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यह जिला अस्पताल है जहां मरीजों को एेसे ऊपर ले जाना पड़ता है

locationउज्जैनPublished: Dec 07, 2021 12:07:09 am

Submitted by:

sachin trivedi

एक साल में हम जिला अस्पताल में लिफ्ट सुविधा तक शुरू नहीं कर सके, अभी भी दो विभागों के बीच सिर्फ पत्राचार ही चल रहा, वार्ड बॉय होते हुए परिजनों को दूसरों से लेना पड़ती है मदद

This is the district hospital where patients have to be taken up such

एक साल में हम जिला अस्पताल में लिफ्ट सुविधा तक शुरू नहीं कर सके, अभी भी दो विभागों के बीच सिर्फ पत्राचार ही चल रहा, वार्ड बॉय होते हुए परिजनों को दूसरों से लेना पड़ती है मदद

उज्जैन. जिला अस्पताल के कुछ दृश्य देख किसी भी आम व्यक्ति का दिल पसीज सकता है लेकिन जो इन तस्वीरों को बदलने में सक्षम है, शायद उन तक दूसरों का दर्द नहीं पहुंच रहा या वे इसके आदि हो गए हैं। तभी तो जिला अस्पताल के यह हालात एक साल बाद भी बदल नहीं पाए हैं। मरीजों की कराह में हड्डी के दर्द से ज्यादा अव्यस्था का दर्द सुनाई देता है। जो पीडि़त हैं वे इसे असंवेदना के कारण जन्मी अव्यवस्था मानते हैं।
खाचरौद निवासी 85 वर्षीय द्वारका प्रसाद हाथ में फ्रेक्चर की समस्या के कारण जिला अस्पताल की पहली मंजिल स्थित वार्ड में भर्ती हैं। उनके हाथ का एक्स-रे होना है। एक्स-रे कक्ष भूतल पर है लेकिन लिफ्ट बंद पड़ी है। द्वारका प्रसाद सिढि़या चढऩे-उतरने में सक्षम नहीं है। उनके वृद्ध छोटे भाई वार्ड में भर्ती अन्य मरीज के परिजनों से मदद मांगते हैं। एक युवक मदद को तैयार होता है और दोनो जैसे-तैसे उन्हें उठाकर सिढि़यों से नीचे लाते हैं। इस दौरान एक बार उन्हें बीच में सिढि़यों पर ही बिठाया भी जाता है ताकि वे व परिजन थोडा सुस्ता लें। जिला अस्पताल में कुछ समय रूको तो एेसे कई मजबूर लोग अपने परिजनों को जैसे-तैसे ऊपर-नीचे करते दिख जाते हैं। पुरानी लिफ्ट बंद होने और अब तक नई लिफ्ट नहीं लगने के कारण मरीज और परीजन एक साल से मजबूरी की यह मार झेल रहे हैं। इसके बावजूद लिफ्ट सुविधा अब भी कागजों में ही चल रही है। हालांकि अब फिर जल्द ही काम शुरू करने की संभावना जताई जा रही है।
वार्ड बॉय की भी मदद नहीं मिलती
मरीज व परिजन बंद लिफ्ट की मार तो झेल ही रहे हैं, बची खुची कसर वार्ड बॉय की मदद नहीं मिलने से पूरी हो रही है। वार्डों में कर्मचारी नियुक्त हैं इसके बावजूद मरीज को ऊपर-नीचे लाने व ले जाने के लिए परिजनों को ही मशक्कत करना पड़ती है। अधिकांश लोगों को वार्ड के अन्य मरीजों के परिजनों से मदद मांगकर काम चलाना पड़ता है। लोगों का यही कहना है कि जब तक लिफ्ट शुरू नहीं होती, कम से कम तब तक वार्ड बॉय की सुविधा ही दिलवा दी जाए।
टेंडर हुआ लेकिन फंड में उलझी लिफ्ट
पुरानी लिफ्ट के बार-बार खराब होने के कारण इस बार नई लिफ्ट लगाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उज्जैन विकास प्राधिकरण को एजेंसी नियुक्त किया है। यूडीए टेंडर जारी कर ठेकेदार एजेंसी चयन कर चुका है लेकिन राशि प्राप्त नहीं होने के कारण वर्क आर्डर जारी नहीं किया है। यूडीए ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख राशि जमा करने का कहा है ताकि वर्क आर्डर जारी कर लिफ्ट लगाने का कार्य शुरू करवाया जा सके। इधर अस्पताल प्रबंधन ने बजट नहीं मिलने का हवाला देते हुए कार्य करने की बात कही है। एेसे में लिफ्ट अभी भी फंड को लेकर उलझी हुई है और दोनो विभागों के बीच प्रत्राचार चल रहा है।
तीन बार ऊपर-नीचे लाए
मां रामप्यारी बाई तीन दिन से एडमिट हैं। उन्हें अब तक तीन बार ऊपर-नीचे लाना व लेजाना करना पड़ा है। हर बार मदद के लिए किसी न किसी को ढूंडना पड़ता है। अभी भी लोगों की मदद से जैसे-तैसे उन्हें लाया हूूं।
– दिनेश कुशवाह, परिजन
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