यह नगर पालिका कंगाल, ठेकेदारों के बिल पास करने तक रुपए नहीं
200 करोड़ की नगर पालिका में बजट की कमी, 18 साल बाद फिर किया संचित निधि का उपयोग
200 करोड़ की नगर पालिका में बजट की कमी, 18 साल बाद फिर किया संचित निधि का उपयोग
नागदा. प्रदेश की सर्वाधिक राजस्व प्राप्त करने वाली नगर पालिकाओं में से एक नागदा नगर पालिका कंगाल हो चुकी है। बताया जा रहा है कि नगर पालिका के पास ठेकेदारों के बिल पास करने करने तक के रुपए नहीं हैं। ऐसी स्थिति में अधिकारियों ने बड़ा निर्णय लेते हुए सबसे अहम मानी जानी वाली राशि संचित निधि तक को तोड़ दिया हैं। नगर पालिका खाते में कुल 10 करोड 41 लाख रुपए संचित निधि के रुप में जमा थे। इनमें से 5 करोड़ से अधिक की राशि निकाल ली गई है। नियमानुसार शासन की अनुमति के बाद संचित निधि तोड़ी जाना चाहिए। मगर नगर पालिका के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार निकाय ने यह राशि सरकार से अनुमति मिलने से पहले ही निकाल ली है। हालांकि इसकी विस्तृत जांच हो तो सच सामने आ सकता है। खबर तो यह भी है कि इस राशि से जलावर्धन योजना का काम कर रहे सिर्फ एक ही ठेकेदार को भुगतान किया गया है। नियमानुसार संचित निधि निकालने पर इस राशि को पुन: जमा कराना जरुरी होता है। मगर अब इस राशि को पुन: खाते में जमा नहीं किया गया है। नवंबर 2019 में पूर्व नपाध्यक्ष अशोक मालवीय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद फिलहाल निकाय में प्रशासक नियुक्त है। यानी नगर पालिका संचालन का जिम्मा प्रशासक के पास हैं। उन्हें ये सब देखना चाहिए था। मगर शायद कहीं न कहीं लापरवाहियां हुई है। तब ही संचित निधि निकालने की नौबत बनी है। ज्ञात रहें लगभग 18 साल बाद नगर पालिका ने संचित निधि का उपयोग किया है। इससे पहले वर्ष 2004 में पूर्व नपाध्यक्ष विमला चौहान के कार्यकाल में संचित निधि का उपयोग किया गया था।
नपा को इसलिए नुकसान: 50 प्रतिशत जलकर प्राप्त हो रहा, अवैध कॉलोनियों के नाम पर नामांतरण नहीं कर रहें, भवन निर्माण अनुमतियां भी रोकी
सालाना 200 करोड़ का राजस्व प्राप्त करने वाली नगर पालिका में फंड का अभाव इसलिए है, क्योंकि निकाय की कई जगहों से आय बंद हो गई हैं। जानकारी के अनुसार जलकर की एक बड़ी राशि बकाया है। निकाय को अभी जलकर के रुप में केवल 50 प्रतिशत राशि ही प्राप्त हो रही है। इसके अलावा सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले नामांतरण व भवन निर्माण की अनुमतियां नहीं दी जा रही है। नामांतरण नहीं करने के पीछे अवैध कॉलोनी बड़ा कारण बताया जा रहा हैं। नामांतरण के कई प्रकरण लंबित पड़े है। प्रत्येक नामांतरण पर भवन की साइज व दर अनुसार राशि वसूल की जाती है। इसके अलावा प्रत्येक अवैध निर्माण पर वसूल की जाने वााली तीन गुना पैनल्टियां भी नहीं वसूली जा रही है। पैनल्टी के रुप में वसूल की जाने वाली इस पैनल्टी को समझौता शुल्क भी कहा जाता है। नगर पालिका भवन जर्जर होने पर वर्तमान में नगर पालिका होटल अटलकुंज व रेन बसेरा में संचालित हो रही है। यहीं से नगर पालिका को प्रतिदिन लगभग 30 हजार रुपए आय होती थी। कोरोनाकाल की वजह से कम्युनिटी हॉल व अन्य सामुदायिक भवन से भी आय के स्त्रोत कम हो गए है। पूर्व से चली जा रही चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि भी यथावत है। नगर पालिका की इतनी जगहों से आय रुकने के बाद खर्च बेलगाम है। इसलिए बजट बन नहीं पा रहा है।
फ्लैश बैक: 2004 में 30 लाख निकाले थे, फिर 2014 में लिया था लोन
जानकारों की मानें तो वर्तमान में संचित निधि के उपयोग से पहले वर्ष 2004 में पूर्व नपाध्यक्ष विमला चौहान के कार्यकाल में 30 लाख रुपए संचित निधि में से निकाले गए थे। इस राशि से भार्गव कॉलोनी की पानी की टंकी और बंगाली कॉलोनी की टंकी को चालू किया गया था, जिसमें 12 वार्डों में पेयजल की आपूर्ति की गई थी। इसके बाद वर्ष 2014 में पूर्व नपाध्यक्ष शोभा गोपाल यादव के कार्यकाल में संचित निधि को बैंक बंधक बनाकर 2 करोड़ रुपए की राशि लोन रुपए में ली थी। हालांकि दोनों ही बार में यह राशि पुन: जमा करा दी गई थी। संचित निधि निकालने के लिए परिषद का प्रस्ताव होना जरुरी है। मगर वर्तमान में परिषद भंग होकर प्रशासक कार्यकाल चल रहा है।
क्या है संचित निधि
नगर पालिका को होने वाली कुल आय की दो प्रतिशत राशि अलग से डिपॉजिट की जाती है। इसे ही संचित निधि कहा जाता है। विकट परिस्थिति में शासन की अनुमति के बाद इस राशि को उपयोग में लिया जाता हैं। संचित निधि में से जितनी राशि निकाली जाती हैं। उस राशि को पुन: जमा करना होता है।
बजट नहीं, कैसे होंगे विकास कार्य
निकाय द्वारा संचित निधि निकालने से यह तो स्पष्ट हो गया है कि निकाय के पास फंड की कमी है। फंड के अभाव की वजह से शहर में होने वाले कई विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया हैं। इनमें मुख्यत: अंजनी नगर, सुनीर नगर, जवाहर मार्ग की मुख्य सड़क, आदिनाथ कॉलोनी में नाली निर्माण, सड़क निर्माण, वार्ड नंबर 17 में डामर रोड निर्माण, अमलावदिया रोड पर नाली निर्माण, सड़क निर्माण आदि शामिल है।
इनका कहना
राज्य शासन से अनुमति लेकर हमने संचित निधि का उपयोग किया है।
सीएस जाट, सीएमओ, नगर पालिका, नागदा