उज्जैनPublished: Sep 16, 2019 12:23:08 am
Mukesh Malavat
बारिश में मवेशी और श्वान भूखे न रहे, इसलिए 250 किलो केले व 100 किलो आटे की खिला रहे रोटियां
बारिश में मवेशी और श्वान भूखे न रहे, इसलिए 250 किलो केले व 100 किलो आटे की खिला रहे रोटियां
नागदा. अक्सर देखने में आता है, कि बारिश के दिनों में जब आसमान से बारिश की बूंदे धरती को भिगोती है तो इससे बचने के लिए शहर में स्वछंद विचरण करने वाले अवारा मवेशी व श्वान किसी सुरक्षित स्थान को अपना आशियाना बना लेते है और तब तक वहीं खड़े रहते है जब तक बारिश थम नहीं जाती। कई बार बारिश का दौर लंबा चलने के कारण मूक पशु लोगों के घरों या जंगल में नहीं जा पाते है वह उनकों भूखे मरने की नौबत आ जाती है, जिसको देखते हुए समाजसेवी मनोज राठी बारदान वाले ने इन मूक पशुओं के पेट भरने के लिए नई पहल शुरु की है।
राठी के मुताबिक आमदिनों में तो मवेशी लोगों के घरों पर दस्तक देते है तो लोग उन्हें रोटियां देते है, लेकिन बारिश में यह संभव नहीं होता है इसलिए मन में विचार आया तो रविवार को 250 किलो केले एवं 100 किलो आटे की रोटियां बनवाकर उनकी भूख मिटाने की शुुरुआत की। मोहनश्री फाउंडेशन के बैनर तले किए गए कार्य की जानकारी जब अन्य साथियों को लगी तो वे भी जुट गए। राठी का कहना है कि यह कार्य बारिश नहीं थमने तक जारी रहेगा। इस कार्य में विशाल गुर्जर, चंद्रेश मोरवाल, पंकज भावसार, शांतिलाल सिंगोटिया, पंकज लहरी, धर्मेंद्र राठौर, रवि बिलवाल, शंकर गुर्जर, सुनील त्रिवेदी, महेश पोरवाल कचोरी, गोपाल सोनी, सूरज कुशवाह, नितेश गुर्जर, धर्मेंद्र सिसौदिया, संतोष राठौर आदि जुटे हैं।
जनता से अपील : राठी सहित उनके साथी मूक पशुओं की भूख मिटाने के लिए सडक़ों पर निकले तो उन्होंने जनता से भी पशुओं को रोटिया देने की अपील की है। बारिश के दिनों में उन्हें घर के ओटलों पर ठहरने की व्यवस्था दी जाए।