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महाकाल मंदिर में हो रही ऐसी सफाई, रोजाना 95 हजार रुपए खर्च, धरातल पर स्थिति कुछ और

locationउज्जैनPublished: Sep 16, 2017 12:20:48 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

मंदिर परिसर में जगह-जगह पीकदान, डस्टबिन टूटे हुए, मंदिरों में काई जमा, कोटितीर्थ कुंड में गंदगी, मंदिर के बाहर कचरे का ढेर

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उज्जैन. ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर को देश के १० साफ मंदिरों की सूची शामिल करने की बात की जा रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और है। मंदिर में जगह-जगह पीक से दीवारें खराब हैं, टूटे हुए डस्टबिन रखे हुए हैं तो मंदिर की दीवारों पर काई जमी हुई है। कोटि तीर्थ के जिस कुंड को पवित्र माना जाता है उसके पानी में भी गंदगी तैर रही है, एक बार देखने में आचमन की इच्छा न हो। ऐसे ही हाल मंदिर के बाहर हैं। बीच सड़क पर कचरे के ढेर हंै तो प्याऊ जैसी जगह पर जमा पानी गंदगी फैला रहा है। महाकाल मंदिर की सफाई व्यवस्था के यह हाल तब हैं जब मंदिर प्रशासन ने साफ-सफाई का ३.५० करोड़ सालाना यानी ९५ हजार रुपए रोज खर्च कर मंदिर की सफाई करवा रहा है। पत्रिका ने मंदिर की साफ-सफाई का जायजा लिया तो मंदिर में कुछ स्थानों छोड़कर हालत मंदिर की गरिमानुसार नहीं मिले।

एयरपोर्ट की तर्ज पर शौचालय..नल टूटा तो उपयोग की मनाही
मंदिर में लाखों रु. खर्च कर निर्गम द्वार की ओर शौचालय बनाया था। दावा किया था कि शौचालय एयरपोर्ट की तर्ज पर बनाया है। वर्तमान में नल टूटे पड़े हंै, बैसिन का कांच फूटा हुआ है। मूत्रालय की सीट खराब है। बकायदा चस्पा कर दिया है कि इसका उपयोग नहीं करें। स्थानीय कर्मचारी ही बता रहे हैं कि लोग इन्हीं बंद मूत्रालय का उपयोग करते हैं, जिससे गंदगी फैलती है। शौचालय ५-६ महीने से खराब पड़े हैं।

तंबाकू पर रोक, फिर भी पीक से खराब दीवारें
मंदिर में पंडे-पुजारी से लेकर कर्मचारियों को तंबाकू खाने पर रोक है। इसका असर दिखाई नहीं देता है। जगह-जगह पीक से दीवारें खराब हो गई हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही विश्रामधाम के पास पीक से सनी दीवार दिख जाएगी। ऐसे ही हालत मंदिर में लगे नल, प्याऊ व कचरे के स्थानों पर भी है। सफाई के मद्देनजर न तो इनमें पुताई की जा रही है दाग-धब्बों का हटाया जा रहा है।

गंदगी के बीच से होकर श्रद्धालु पहुुंचते हैं मंदिर
आम श्रद्धालु जिस मार्ग से मंदिर में प्रवेश करता है वहीं गंदगी पसरी है। टनल के पास हार-फूल की दुकानों के बाहर ही फूल के रूप में कचरा बिखरा हुआ है। कचरे के डिब्बे भराकर उफन रहे हैं, लेकिन इन्हें समय रहते नहीं हटाया जा रहा है। इसी गंदगी के बीच लोग मंदिर में जाते हैं।

टूटे डस्टबिन..गवाही दे रहे स्वच्छता का कितना ख्याल
मंदिर में कचरा न फैले और इसे एक स्थान पर जमा किया जा सके, इसके लिए जगह-जगह डस्टबिन रखे गए हैं। लंबे समय से उपयोग हो रहे इन डस्टबिन की हालत खराब हो गई। कई जगह डस्टबिन टूट गए हैं। इन्हीं में कचरा डाला जा रहा है। यही कचरा बाद में परिसर में फैलता है। कुछ डस्टबिन की नियमित सफाई भी नहीं हो रही है। इससे बदबू भी उठ रही हैं।

मंदिरों में जमा काले-हरे रंग की काई, ऐसी हो रही सफाई…
परिसर में कई छोटे मंदिरों की दीवारें बारिश के पानी से खराब हो रही हैं। इन दीवारों पर काले, हरे रंग की काई जमा हो गई है। जो गंदी तो दिखाई दे रही मंदिर की छवि भी खराब कर रही है। कोटितीर्थ के यहां बाल विजय मंदिर के पास की पूरी दीवार ही काई से खराब है। पंडे-पुजारी ही बता रहे हैं कि दो-तीन दफे बता चुके हैं लेकिन सफाई नहीं हो रही है।

कोटितीर्थ …पानी में तैर रही गंदगी
महाकाल मंदिर में कोटितीर्थ का महत्व है। हर श्रद्धालु इसके पानी का न केवल आचमन करता है बल्की बाबा महाकाल को अर्पण भी करता है। कोटितीर्थ का पानी दूर से देखने पर साफ दिखाई देता है लेकिन जैसे ही पास पहुंचेंगे तो पानी में काई तैरती मिल जाएगी। इसे देखते ही आभास होगा कि पानी की सफाई ही नहीं होती है। गनीमत है यहां फव्वारा चालू है, इससे पानी में बदबू नहीं उठ रही है।

बोर्ड पर खुद ही टिक करते हैं सफाईकर्मी
मंदिर में सफाई व्यवस्था के लिए आम श्रद्धालुओं से फीडबैक भी लिया जा रहा है। इसके लिए परिसर में बोर्ड भी लगाया हुआ। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने सफाई पर राइट का निशान लगाया है। आश्चर्य की बात है कि बोर्ड के पास कोई मार्कर पेन या अन्य लिखने के लिए पेन नहीं रखा है। ऐसे सवाल है कि बगैर पेन के कैसे लोग अच्छी सफाई पर राइट लगा रहे हैं। मंदिर कर्मचारी बता रहे हैं कि खुद सफाई कर्मचारी आकर अपने हिसाब से टिक लगा रहे हैं।

” मंदिर में नियमित सफाई हो रही है। अभी कितने कर्मचारी सफाई कर रहे हैं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। गदंगी को लेकर ठेका कंपनी पर कोई कार्रवाई के बारे में भी पता नहीं है।”
– क्षितिज शर्मा, मंदिर प्रशासक, महाकालेश्वर

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