उज्जैनPublished: Sep 08, 2019 12:27:16 am
Ashish Sikarwar
शहर एवं आसपास के औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित लोगों के लिए खबर राहत पहुंचाने वाली है।
शहर एवं आसपास के औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित लोगों के लिए खबर राहत पहुंचाने वाली है।
नागदा। शहर एवं आसपास के औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित लोगों के लिए खबर राहत पहुंचाने वाली है। पर्यावरण संबंधी मामलों के निपटान के लिए बनी संस्था नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के ताजे सर्वेक्षण में जहां देश के उन ६९ औद्योगिक क्षेत्रों में रेड एवं ऑरेज श्रेणी के नए उद्योगों एवं स्थापित उद्योगों के विस्तार पर रोक लगा दी है, जहां का प्रदूषण स्तर सूचकांक औसत से काफी अधिक पाया गया है। अच्छी बात यह है कि एनजीटी ने जिन औद्योगिक क्षेत्रों में रोक लगाई है, उनमें नागदा सहित प्रदेश का एक भी शहर शामिल नहीं है।
बता दें इंदौर, मंडीदीप, ग्वालियर, नागदा-रतलाम, देवास एवं पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र घोषित है। यहां औद्योगिक प्रदूषण की मात्रा सूचकांक औसत से कम पाई गई है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरण इंजीनियर पंकज मारू ने बताया एनजीटी ने १० जुलाई २०१९ को पारित २१ पेज के आदेश में कहा है कि २०१८ में कम्पोजिट एनवायरनमेंट पोल्यूशन इंडेक्स (सीइपीआय) के आधार पर देश के १०० औद्योगिक क्षेत्रों को तीन श्रेणी में विभाजित किया है। इसमें ७० प्रतिशत से अधिक सीइपीआय को क्रिटिकल पोल्यूटेड एरिया को रेड श्रेणी में रखा है। करीब ३८ क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इससे कम ७० से ६० के बीच वाले को ऑरेंज श्रेणी में रखा है। इसमें ३१ क्षेत्र शामिल हैं। ६० से कम वाले को ग्रीन श्रेणी में रखा है। इसमें नागदा सहित ३१ क्षेत्र शामिल हैं।
९ वर्षा २७ प्रतिशत तक कमी
एनजीटी की रिपोर्ट में देश के १०० औद्योगिक क्षेत्रों के कम्पोजिट एनवायरनमेंट पोल्यूशन इंडेक्स के आंकड़े जारी करते हुए बताया है पहली बार २००९ में औद्योगिक क्षेत्रों को रेड, ऑरेंज एवं ग्रीन श्रेणी में बांटा था। नागदा-रतलाम का क्षेत्र प्रदूषण के मामले में ६६.६७ सीइपीआय के साथ ६०वें स्थान पर था। २०१८ के सर्वे में ४८.७८ सीइपीआय के साथ ९०वें स्थान पर आ गया है। यानी ३० स्थानों का सुधार हुआ है। जो यह बताता है कि स्थानीय उद्योग प्रबंधकों द्वारा प्रदूषण को कम करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं। सबसे अधिक सुधार वायु प्रदूषण में हुआ है। २००९ में जहां वायु प्रदूषण का सूचकांक ४४.५० था वह घटकर अब १२ पर आ गया है। यानी ७३ प्रतिशत तक की कमी। इसी प्रकार २००९ के मुकाबले २०१८ में जल में २७ प्रतिशत एवं भूमि प्रदूषण ें ५० प्रतिशत तक सुधार होना बताया है।
क्या है कम्पोजिट एनवायरनमेंट पोल्यूशन (इंडेक्स सीइपीआय)
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा निर्धारित सीइपीआय को औद्योगिक गतिविधियों, वायु की गुणवत्ता, स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों एवं उद्योगों द्वारा पूर्ण किए जा रहे वैधानिक दायित्वों की वैज्ञानिक तरीकों से गणना की जाती है।
यह मिलेगा फायदा
आदित्य बिरला समूह द्वारा नागदा में स्थापित ग्रेसिम एवं केमिकल को विस्तार करने की योजना पर काम किया जा रहा है। ग्रेसिम अपने विस्तारिकरण पर २५०० करोड़ की राशि खर्च करेगा वही केमिकल डिवीजन द्वारा ४०० करोड़ रुपए व्यय की बात प्रबंधन द्वारा कही जा रही है। उद्योग के विस्तार से जहां क्षेत्र के विकास को पंख लग सकेंगे वहीं सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को काम भी मिलने लगेगा। दोनों उद्योगों के विस्तारिकरण को लेकर प्रदूषण विभाग की जनसुनवाई भी संपन्न हो चुकी है। जनसुनवाई के दौरान शहरवासियों ने जहां बेरोजगारी की समस्या से पार पाने के लिए उद्योगों के विस्तार की पहल का स्वागत किया है लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य का भी खास ध्यान रखने की बात कही थी। उद्योग प्रबंधन की ओर से भी दावा किया गया था कि २०२१ तक औद्योगिक प्रदूषण को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। इसके लिए इजराइल की टेक्नोलॉजी पर काम किया जा रहा है।