महाकाल मंदिर में भस्म आरती दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश के लिए मंदिर समिति की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। तड़के 4 बजे होने वाली भस्म आरती के लिए श्रद्धालु 12 बजे से ही सड़क पर बैठने को मजबूर थे। गंदी सड़क पर न तो बैठने की व्यवस्था थी और न ही सुरक्षा के इंतजाम। श्रद्धालुओं की इसी परेशानी को पत्रिका ने मुहिम के माध्यम से उठाया था। मंदिर प्रशासन को महिला, बुजुर्ग व बच्चों को हो रही दिक्कतों से अवगत कराया था। साथ ही इन श्रद्धालुओं को बैठने के लिए अन्य वैकल्पिक इंतजाम के बारे में भी बताया गया था। लिहाजा मंदिर समिति ने अब भस्म आरती श्रद्धालु को सत्कार कक्ष के पास खुले स्थान पर बैठने की व्यवस्था की है। यहां पर शेड बना हुआ है साथ ही लंबी चेयर भी लगी हुई है। ऐसे में श्रद्धालु अब सुरक्षित तरीके से यहां बैठ सकते हैं। डी-गेट पर बने इस शेड में 100-150 श्रद्धालु ही रुक सकते हैं। इस नई व्यवस्था से अब श्रद्धालुओं को गंदी सड़क पर बैठने से राहत अवश्य मिलेगी।
डी-गेट से प्रवेश
सत्कार कक्ष के पास बने शेड में श्रद्धालुओं को बैठाने से अब भस्म आरती प्रवेश की व्यवस्था भी बदल जाएगी। श्रद्धालुओं को पुलिस चौकी के पास गलियारे से होते हुए विश्रामधाम तक पहुंचाया जाएगा। यहां भी शेड होने से श्रद्धालु को परेशानी नहीं आएगी। बता दें, इससे पहले भस्म आरती गेट से प्रवेश दिया जाता था और यहीं से सड़क पर बैठने के लिए लाइन लगती थी।
इन परेशानियों से मिलेगी मुक्ति
– श्रद्धालुओं को अब गंदी सड़क पर नहीं बैठना पड़ेगा और न ही लाइन में लगना होगा।
– डी-गेट शेड से श्रद्धालुओं के लिए पानी और शौचालय की व्यवस्था भी सुलभ रहेगी।
– सड़क पर बैठने से श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ किसी हादसे की आशंका नहीं रहेगी।
– सड़क पर बैठने से मंदिर की बिगड़ी रही छवि भी अब प्रभावित नहीं होगी।
फेसेलिटी सेंटर या विश्राम धाम में हो व्यवस्था
मंदिर समिति की ओर से श्रद्धालुओं को भले ही सत्कार कक्ष के पास बैठने के इंतजाम किए गए हैं, लेकिन सही व्यवस्था फेसेलिटी सेंटर या विश्रामधाम में बैठाने से होती। चूंकि आने वाले दिनों ठंड का मौसम भी शुरू होने वाला है ऐसे में दर्शनार्थी खुले में बैठेंगे तो फिर भी परेशानी रहेगी। विश्रामधाम में सीधे प्रवेश दिया जाता तो श्रद्धालुओं को ज्यादा सुविधा होगी।
भस्म आरती में आने वाले श्रद्धालुओं को सत्कार कक्ष (डी-गेट) के पास बने शेड में बैठाने की व्यवस्था की गई है। अब श्रद्धालुओं को सड़क पर बैठने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
– मूलचंद जूनवाल, नायब तहसीलदार