दोनों युवकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज
मामले में पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है, दोनों की तलाश की जा रही है। जेएमएफसी विवेक जैन रविवार को पीवीआर में १०.५० बजे परमाणु फिल्म देखने गए थे। उनके साथ आरक्षक दीपक पिता रमेशचंद्र बिठौरे निवासी डीआरपी लाईन और बिपिन थे। आरक्षक न्यायाधीश की कोर्ट में ही मुंशी है।
इंटरवल के दौरान हुआ हादसा
रात १२ बजे फिल्म के इंटरवल के दौरान न्यायाधीश वॉश रूम गए। इसी दौरान फिल्म देखने पहुंचे सुरेंद्र पिता प्रेमसिंह राठौर निवासी करोहन, सन्नी पिता शक्ति सिंह पटोदिया निवासी साईंधाम कॉलोनी न्यायाधीश के साथ गाली-गलौज करने लगे। दोनों युवक न्यायाधीश द्वारा उनके साथी को सजा करने से नाराज थे।
आरक्षक ने रोका तो कर दी मारपीट
आरक्षक द्वारा दोनों युवकों को रोकने पर उन्होंने आरक्षक के साथ मारपीट शुरू कर दी। इतने में बिपिन नीचे से सुरक्षाकर्मियों को बुला लाया। जिन्हें देखकर दोनों बदमाश फरार हो गए। दीपक ने बताया कि दोनों युवक हथियारों से लैस थे और उन्होंने न्यायाधीश पर हमले का प्रयास किया था। मामले में नानाखेड़ा पुलिस ने बताया कि दोनों युवकों को पकड़ लिया गया है। युवकों पर शासकीय कार्य में बाधा, आम्र्स एक्ट सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है।
महिला ने की सीएम हेल्प लाइन में शिकायत, दो अधिकारी निलंबित
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन राशि का भुगतान लंबे समय तक नहीं करने और आवेदिका द्वारा मामले की शिकायत सीएम हेल्प लाइन में करना आदित जाति कल्याण विभाग के दो अधिकारियों को भारी पड़ी है। जांच के बाद संभागायुक्त एमबी ओझा ने विभाग के जिला संयोजक व तत्कालीन प्रभारी जिला संयोजक, दोनों को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। इसके चलते कलेक्टर मनीषसिंह ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
मामले के अनुसार शिकायतकर्ता वंदना तला ने 20 जनवरी को सीएम हेल्प लाइन में शिकायत कर बताया था कि उन्हें अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन राशि 2 लाख रुपए स्वीकृत होने के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है, न ही प्रशंसा-पत्र दिया गया है। सीएम हेल्पलाइन पर हुई शिकायत निरन्तर बनी रही और संबंधित अधिकारियों ने इसके निराकरण में कोई रुचि नहीं ली। शिकायत संभागायुक्त की जानकारी में भी आई। जांच में पाया गया कि जिला संयोजक आरआर शुक्ला व तत्कालीन प्रभारी जिला संयोजक एके रावत ने जानबूझ कर मामले को लटकाया और झूठी जानकारी दी कि ग्लोबल बजट के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि ग्लोबल बजट में पर्याप्त राशि उपलब्ध थी, फिर भी अधिकारियों ं द्वारा हितग्राही का भुगतान जानबूझ कर लटकाया गया। निलम्बन अवधि में इनका मुख्यालय उपायुक्त आदिवासी एवं अनुसूचित जाति विकास कार्यालय उज्जैन रखा गया है।