शिव, शक्ति और कृष्ण की 134 प्रतिमाओं की विरासत संभाल रहा है त्रिवेणी संगम
उज्जैनPublished: May 18, 2023 02:21:34 am
विश्व संग्रहालय दिवस पर विशेष...त्रिवेणी संग्रहालय में पुरातत्व व संस्कृति विभाग की तीन-तीन दीर्घाएं, 500 प्रतिमाएं व 200 जीवाश्म हैं।


शिव, शक्ति और कृष्ण की 134 प्रतिमाओं की विरासत संभाल रहा है त्रिवेणी संगम
उज्जैन. एक जमाना था जब राजा-महाराजा मठ, मंदिर और संस्कृति में प्रतिमाओं से जीवटता लाने का प्रयास करते थे। राजा-महाराजा तो चले गए और वह जमाना भी बीत गया, लेकिन प्रतिमाएं आज भी उस जीवटता का प्रमाण हैं। इन प्रतिमाओं को उनके मूल स्वरूप में समेटे उज्जैन के दो प्रमुख संग्रहालय लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। शिव, शक्ति और कृष्ण की त्रिवेणी को समेटने वाला त्रिवेणी संग्रहालय भी शामिल है। यहां शिव, शक्ति और कृष्ण की 134 प्रतिमाओं का संगम है।
यह संग्रहालय पुरातत्व व संस्कृति विभाग के अधीन संचालित होता है। इसके अलावा विक्रम विश्वविद्यालय का वाकणकर संग्रहालय भी है, जिसकी स्थापना 1965 में हुई थी। यहां भी शिव प्रतिमा को छूने से संगीत की स्वर लहरियां निकलती हैं। नृत्य मुद्रा में अष्टभुजी पार्वती, सम्राट विक्रमादित्य, अशोक और अकबर के ऐसे शिलालेख जो उस काल की संस्कृति का भान कराते हैं, धरोहर में भी शामिल हैं। यूनिवर्सिटी के पुरातत्व संग्रहालय व उत्खनन विभाग ने इन्हें सहेज कर रखा है। यहां लगभग 500 प्रतिमाएं व 200 जीवाश्म हैं।
सिक्के भी आकर्षण का केंद्र : इस संग्रहालय में महिदपुर के डॉ. आरसी ठाकुर की ओर से भेंट किए गए पुरातात्विक व धाार्मिक 84 सिक्के भी आकर्षण का केंद्र हैं।
वक्रतुंड महाकाय : त्रिवेणी संग्रहालय के मुख्य द्वार पर 11वीं शताब्दी की भगवान गणेश की प्रतिमा इतनी जीवट दिखाई दे रही है कि इसे देखते ही मन से उनका मंत्र 'वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदाÓ निकलने लगता है।
तीन-तीन दीर्घाएं: त्रिवेणी संग्रहालय में पुरातत्व व संस्कृति विभाग की तीन-तीन दीर्घाएं हैं। संग्रहालय के आदित्य चौरसिया के अनुसार भूतल पर शौवयन, दुर्गायन व कृष्णायन दीर्घाओं में कुल 134 प्रतिमाएं सग्रहित हैं, जबकि प्रथम तल पर इन्हीं तीनों दीर्घाओं में संस्कृति सिमटी हुई है।
राजस्थान की पिछवाई..तमिल की तंजौर: त्रिवेणी संग्रहालय में संकलित पेंटिंग्स और कलाकृतियां देश की अखंडता दिखा रही है। यहां काष्ठकला, प्रतिकात्मक कृत्रिम पेड़, मिनिएचर पेंटिंग्स (लघु चित्र), शिव परिवार का म्यूरल कई राज्यों की संस्कृति, परिवेश और धर्म को प्रवाहित कर रहे हैं। इनमें तमिलनाडू की तंजौर.. राजस्थान की पिछवाई.. ओडि़शा का उडिय़ा पट्ट चित्र.. पं. बंगाल का कालीघाट, हिमालय की कांगड़ा, गुलेर, बसोहली, चम्बा.. आंध्र की चेरियल पट्टम..मप्र की चित्रावन शैली आदि शामिल है।
चौपाइयों के साथ हनुमान: संग्रहालय के प्रदर्शनी कक्ष में इस समय वाराणसी के कलाकार सुनील विश्वकर्मा द्वारा निर्मित हनुमान चालीसा की चौपाइयां समेत पेंटिंग्स पर्यटकों को महाबल से रूबरू करवा रही हैं।