दिव्यांग पार्क का मेंटेनेंस व सुरक्षा अब यूडीए करेगा क्योंकि
उज्जैनPublished: May 02, 2019 01:17:34 am
तीन करोड़ से बने पार्क को न सामाजिक न्याय विभाग और न ही नगर निगम ने लेने में रुचि दिखाई
तीन करोड़ से बने पार्क को न सामाजिक न्याय विभाग और न ही नगर निगम ने लेने में रुचि दिखाई
उज्जैन. कोठी रोड पर तीन करोड़ रुपए की लागत से बने अटल अनुभूति दिव्यांग पार्क का रखरखाव उज्जैन विकास प्राधिकरण के गले पड़ गया है। प्राधिकरण को हर महीने पार्क के रखरखाव व सुरक्षा पर डेढ़ से दो लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि प्राधिकरण ने बतौर निर्माण एजेंसी पार्क को बनाया था लेकिन फिलहाल इसे न तो सामाजिक न्याय विभाग और न ही नगर निगम अपने पास लेने में रुचि दिखा रहे हैं। लिहाजा अब प्राधिकरण एक वर्ष और अपने पैसे से इसका रखरखाव करेगा।
प्राधिकरण ने वर्ष २०१७ में अटल अनुभूति दिव्यांग पार्क बनाया था। इसमें साामजिक न्याय विभाग से १.९३ करोड़ तो प्राधिकरण ने अपने मद से १.०६ करोड़ रुपए खर्च किए थे। चूंकि प्राधिकरण निर्माण एजेंसी है ऐसे में पार्क बनने के बाद इसे सामाजिक न्याय विभाग या नगर निगम जैसी संस्था को हैंडओवर होना था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। प्राधिकरण ने पूर्व में साामजिक न्याय विभाग को पार्क लेने के लिए पत्र भी लिखा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। पिछले आठ महीने से प्राधिकरण खुद ही अपने संसाधन से पार्क का रखरखाव व सुरक्षा कर रहा है। इससे प्राधिकरण पर अतिरिक्त खर्च का भार पड़ रहा है। प्राधिकरण ने यहां अपने चतुर्थ श्रेणी के ८ कर्मचारियों के साथ एक सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगा रखी है। इनका वेतन ही डेढ़ से दो लाख रुपए महीने हैं। इसके अलावा बिजली बिल जो लगभग १५ से २५ हजार रुपए के बीच है वह भी प्राधिकरण को देना पड़ रहा है। चूंकि एक वर्ष तक बगीचे का रखरखाव ठेेकेदार को करना है, जिसकी अवधि जून में खत्म हो रही है। ऐसे में अब यहां होने वाली टूट-फूट और अन्य निर्माण भी प्राधिकरण को खुद करना होगा। हालांकि मरम्मत कार्य के लिए राशि पार्क निर्माण में बची शेष राशि से किए जाने की बात कही जा रही है।
बीवीजी ग्रुप से कर्मचारी लिए थे, फिर हटाए
दिव्यांग पार्क के निर्माण के बाद यहां सुरक्षा के लिए प्राधिकरण ने महाकाल मंदिर में कार्य कर रही बीवीजी ग्रुप से कर्मचारी लिए थे। इनका महीने का वेतन ७२ हजार रुपए पड़ रहा था। लिहाजा प्राधिकरण ने बीवीजी ग्रुप के कर्मचारियों को हटाकर प्राधिकरण के कर्मचारियों को लगाया था। मकसद था कि पार्क के नाम पर हो रहे अतिरिक्त खर्च को कम किया जा सके।
सामाजिक विभाग को लिखा पत्र, नहीं दिया जवाब
दिव्यांग पार्क को सामाजिक न्याय विभाग को हस्तांतरित करने के लिए प्राधिकरण ने पत्र भी लिखा था। विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। बताया जा रहा है कि सामाजिक न्याय विभाग को इसे लेने में रुचि नहीं है। दरअसल विभाग के पास ऐसे कोई संसाधन नहीं है, जिससे वह पार्क का रखरखाव व इसकी सुरक्षा कर सके।