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उज्जैन

यूडीए अब हक्कानीपुरा आवासीय योजना में किसानों से जमीन अधिग्रहण नहीं करेगा, क्यों

– प्राधिकरण को खिलचीपुर में ५४.३१४ तथा हक्कानीपुरा में ३४ हेक्टेयर जमीन किसानों से लेना है, किसानों के विरोध के बाद बदली योजना- समझौते के तहत किसानों को उनकी जमीन पर विकसित भूखंड दिए जाएंगे, ताकि वे खुद बेचकर अधिक कीमत कमा सके

उज्जैनApr 18, 2019 / 01:00 am

rajesh jarwal

patrika

– प्राधिकरण को खिलचीपुर में ५४.३१४ तथा हक्कानीपुरा में ३४ हेक्टेयर जमीन किसानों से लेना है, किसानों के विरोध के बाद बदली योजना
– समझौते के तहत किसानों को उनकी जमीन पर विकसित भूखंड दिए जाएंगे, ताकि वे खुद बेचकर अधिक कीमत कमा सके

उज्जैन।

उज्जैन विकास प्राधिकरण की हक्कानी पुरा आवासीय योजना में किसानों से अधिगृहीत की जाने वाले ८८.३१४ हेक्टेयर जमीन अब समझौता योजना के तहत ली जाएगी। इसमें किसानों से ली जाने वाली जमीन का एक हिस्सा उन्हें विकसित भूखंड के रूप में वापस दिया जाएगा। इस नए प्रस्ताव से किसानों को उनकी जमीन की वाजिब कीमत भी मिलेगी, साथ ही वे भूखंड के मालिक भी बने रहेंगे। प्राधिकरण की नई कवायद शासन की ओर से धारा ५६ के लागू होने से करेगा। प्राधिकरण अधिकारी जल्द ही इस संबंध में किसानों को चर्चा कर उन्हें समझौता योजना की जानकारी देंगे।
प्राधिकरण की तराना-कानीपुरा रोड पर प्रस्तावित हक्कानीपुरा आवासीय योजना को गजट नोटिफिकेशन हो चुका है। योजना में खिलचीपुर ५४.३१४ तथा हक्कानीपुरा मेें ३४ हेक्टेयर कृषि भूमि ली जाना है। प्राधिकरण ने किसानों को धारा ५०(२) के तहत पूर्व में नोटिस देकर जमीन अधिगृहीत करने की सूचना भी दे दी थी। बाद में किसानों ने जमीन देने से इनकार करते हुए विरोध जता दिया था। किसानों की आपत्ति थी कि उनकी जमीन की वाजिब कीमत नहीं मिल रही है और कहीं तो किसानों की पूरी जमीन ही जा रही है। ऐसे में वे भूमिहीन हो जाएंगे। तत्कालीन कलेक्टर मनीषसिंह के साथ किसानों की जमीन अधिगृहण को लेकर हुई बैठक में भी किसानों ने योजना में जमीन देने से इनकार किया था और बैठक का ही बहिष्कार कर दिया था। लंबे समय से योजना में जमीन लेने की प्रक्रिया ठंडी पड़ी हुई है। लिहाजा अब प्राधिकरण ने प्राधिकरण किसानों से धारा ५६ के तहत जमीन लेने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत किसानों से समझौता कर जमीन ली जाएगी। इसमें किसानों को बतौर मुआवजा या जमीन कीमत तो नहीं दी जाएगी बल्की उन्हें योजना के तहत विकसित भूखंड दिए जाएंगे, जिसे वे बेचकर खुद ही मुनाफा कमा सकेंगे। प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक इस संबंध में जल्द ही किसानों से संपर्क कर उन्हें समझौता योजना के बारे में बताया जाएगा।
यह है समझौता योजना
धारा ५६ के तहत किसानों से जमीन अधिगृहीत की जाएगी। इसमें प्राधिकरण किसानों को अधिगृहीत होने वाली जमीन का मुआवजा नहीं देकर पार्टनरशिप में भूमि विकसित करेगा। यानी जो जमीन विकसित होगी उसकी ५० फीसदी जमीन वापस किसानों को दी जाएगी। यानी किसानों को विकसित भूखंड मिलेंगे, जिसे वह अपनी कीमत पर बेच सकेगा। उदाहरण के तौर पर यदि किसी किसान की जमीन १ लाख वर्गफीट जमीन ली। नाली, सड़क व बगीचे के जमीन हटाकर ५० हजार वर्ग फीट जमीन बचती है तो इसमें २५ फीसदी जमीन किसान को दी जाएगी। यह २५ फीसदी विकसित प्लॉट के रूप में किसान को मिलेगी।
किसानों को यह फायदे भी होंगे

१. किसानों को यूडीए से बगैर रजिस्ट्री किए ही विकसित भूखंड मिलेेंगे।

२. किसानों को जो भूखंड मिलेंगे वे फ्री होल्ड होंगे। यानी उन्हें लीजरेंट नहीं देना पड़ेगा।
३. विकसित भूखंड मिलने के बाद किसान उन्हें कभी भी बेच सकता है।
४. किसान को मिले भूखंड का अपने स्तर पर मूल्य निर्धारण कर बेच सकेगा।

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समझौते के तहत ले चुके हैं करोड़ों की जमीन

प्राधिकरण ने धारा ५६ के तहत पिछले महीनों में ५० करोड़ रुपए की जमीन किसानों से ले चुका है। इमसें त्रिवेणी विहार में ८ हेक्टेयर, शिप्रा विहार में ६ हेक्टेयर है। वहीं दो अन्य जमीन भी प्राधिकरण ने किसानों से ली है। इन जमीनों में किसानों को एक भी रुपया किसानों को नहीं दिया गया है।
इनका कहना
धारा ५६ के तहत किसानों से जमीन ली जाएगी। इस धारा में किसानों से समझौता कर उन्हें विकसित भूखंड दिए जाने की व्यवस्था है। हक्कानीपुरा आवासीय योजना में भी किसानों से इसके तहत जमीन लेने के प्रयास किए जाएंगे।
– केसी पाटीदार, इइ, यूडीए

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