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उज्जैन ने पकड़ी विकास की गति, पीछे छोड़ा इंदौर को

locationउज्जैनPublished: Sep 09, 2018 12:06:08 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

तीन महीने में 20 पायदान की छलांग लगाई प्रोजेक्ट्स की प्रगति के आधार पर मिली रैंकिंग

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उज्जैन ने पकड़ी विकास की गति, पीछे छोड़ा इंदौर को

उज्जैन. केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय (एमओएचयूए) ने देश में स्मार्ट सिटीज की रैंकिंग जारी कर दी है। तीन महीने में ही उज्जैन ने २० पायदान की बड़ी छलांग मारते हुए देश के सभी सौ स्मार्ट शहरों में ११वां नंबर हासिल किया है। इतना ही नहीं इस बार रैंकिंग की दौड़ में उज्जैन ने इंदौर को भी पीछे छोड़ दिया है। पूर्व रैंकिंग की तरह इंदौर इस बार भी 13वंे नंबर पर है।
एमओएचयूए स्मार्टसिटी में तैयार योजनाओं की प्रगति, क्रियान्वयन, बोर्ड बैठक, पूर्ण हुए प्रोजेक्ट्स की संख्या आदि के आधार पर देश की चयनित स्मार्ट सिटी की रैंकिंग जारी करता है। शुक्रवार को जारी सूची में इस बार शहर को देश में 11वीं रैंक मिली है। करीब तीन महीने पूर्व जारी रैकिंग में शहर 31वें पायदान पर था। एेसे में बीते तीन महीनों में कार्यों की तेज गति के कारण शहर ने सीधे २० पायदान की छलांग लगाई है। हालांकि जमीन की कमी में उलझे कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स की धीमी चाल के कारण शहर देश की टॉप-10 स्मार्ट सिटी की सूची में जगह बनाने से चूक गया है।

प्रदेश में दूसरे नंबर पर उज्जैन
स्मार्ट सिटी योजना में कार्य की गति के कारण उज्जैन देश में ११वें नबर पर पहुंचा है वहीं प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। जारी नई सूची में मप्र में उज्जैन से आगे भोपाल ही है। भोपाल ने 5वीं रैंक पाकर टॉप 10में जगह बनाई है। इसके अलावा प्रदेश की स्मार्ट सिटी इंदौर 13, सागर 21, जबलपुर 33, ग्वालियर 36 व सतना 40वें नबर पर है।

फिर भी जनता को लाभ नहीं
प्रोजेक्ट्स की तेज गति के कारण भले ही देश की स्मार्ट सिटीज में उज्जैन की रैंक सुधरी हो लेकिन जमीनी हकीकत यह भी है कि अभी शहरवासियों को स्मार्ट सिटी योजना का कोई सीधा बड़ा लाभ नहीं मिला है। वॉटर एटीएम, शी-लाउंज, हैल्थ एटीएम जैसे कुछ छोटे प्रोजेक्ट्स जरूर शुरू हुए हैं जिनका लाभ गिनती के लोग ही ले पाते हैं। ऑनलाइन जलकर, संपत्तिकर जमा करने की सुविधा हाल में शुरू हुई है। कमांड कंट्रोल रूम प्रारंभिक तौर पर शुरू हुआ है लेकिन जनता को सीधा लाभ नहीं है। आधुनिक स्वीमिंगपूल का निर्माण प्रचलित है। महाकाल क्षेत्र का विकास, ऑडिटोरियम जैसे प्रोजेक्ट्स की चाल कागज में तेज है, लेकिन टेंडर होने व धरातल पर प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ही इनका वास्तविक लाभ मिलेगा। यह बड़े प्रोजेक्ट हैं, इसलिए पूरा होने में दो-तीन साल और लग सकते हैं। इनके अलावा मल्टी मॉडल ट्रांजिट स्टेशन, रीगल टॉकिज व छत्रीचौक पुनर्विकास जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स का भविष्य रिक्त भूमि की कमी के चलते अभी ठीक से तय ही नहीं हो पाया है।

इसलिए उज्जैन पहुंचा 11वें नंबर पर

तीन महीने में एेसे बढ़ी रैंक

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा स्मार्ट सिटीज की रैंकिंग जारी की गई है। इस बार उज्जैन ने ११वीं रैंक पाई है। कुछ प्रोजेक्ट्स शुरू नहीं हो पाए हैं, उन्हें भी जल्द शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।
अवधेश शर्मा, सीईओ स्मार्ट सिटी कंपनी उज्जैन

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