स्वयंभू, दक्षिणमुखी हैं यहां महाकाल
उज्जैन में भगवान महाकाल स्वयंभू होकर दक्षिणमुखी हैं। यहां की एक विशेषता यह भी है कि यहां पर शिव के प्रिय दिव्य शमशानों में से एक ऊषर स्थान, पाप निवारक क्षेत्र, हरसिद्धि शक्तिपीठ तथा महाकाल वन इस प्रकार पांच पवित्र स्थान एक ही स्थान पर मौजूद हैं।
शास्त्रों में अनेक नाम
उज्जैन नगर के शास्त्रों में अनेक नाम हैं। इनमें अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, कनकशृंगा, कुमुद्रती, प्रतिकल्पा, कुशस्थली और अमरावती आदि हैं।
यहां है पाप नाशिनी शिप्रा नदी
मोक्ष प्रदाता, पाप नाशिनी नदी केवल उज्जैन में ही है। स्कंधपुराण के रेवा खंड में अवंती क्षेत्र के महात्म्य में शिप्रा के नाम इस प्रकार उल्लेखित हैं…बैकुंठ में शिप्रा, देव लोक में ज्वरध्री, पाताल में अमृत संभवा, वाराह कल्प में इसे विष्णु देहोद्भवा तथा अवंती में कामधेनु से उत्पन्न शिप्रा कहा गया है।
तीनों लोकों में उत्तम तीर्थ
तीनों लोकों में कुरुक्षेत्र को उत्तम तीर्थ कहा गया है। कुरुक्षेत्र से वाराणसी की महिमा दस गुनी है। उससे भी इस गुना महात्म्य महाकाल वन का है। उज्जैन में शिप्रा के अतिरिक्त खान (क्षाता), नील गंगा, गंधवती, पीलियाखाल (आकाश गंगा), नव नदी आदि नदियां हैं। इनमें नील गंगा और गंधवती अब लुप्त हो चुकी हैं।
उज्जैन का भूगोल
उज्जैन भारत के मध्य मालवा के पठार पर समुद्र तल से 491.74 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर बसा है। प्राचीन उज्जैन जिसे भैरवगढ़ कहते हैं, शिप्रा के पश्चिमी तट पर है। कर्क रेखा उज्जैन में शिप्रा के तट पर स्थित कर्कराज महादेव मंदिर के ऊपर से होकर गुजरी है, ऐसी मान्यता है।