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उज्जैन में हैं लापरवाही के ढक्कन

locationउज्जैनPublished: Jan 14, 2022 06:52:02 pm

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anil mukati

शहर को सुविधा देने से पहले सीवरेज प्रोजक्ट दे रहा पीड़ा, शहर में सैकड़ों की संख्या में सड़क से ऊंचे चैंबर, पाइप लाइन डालकर रोड बनाने के नाम पर कर रहे खानापूर्ति, कहीं रोड लेवल से ऊंची कर दी तो कहीं नीची

उज्जैन में हैं लापरवाही के ढक्कन

शहर को सुविधा देने से पहले सीवरेज प्रोजक्ट दे रहा पीड़ा, शहर में सैकड़ों की संख्या में सड़क से ऊंचे चैंबर, पाइप लाइन डालकर रोड बनाने के नाम पर कर रहे खानापूर्ति, कहीं रोड लेवल से ऊंची कर दी तो कहीं नीची

अनिल मुकाती
उज्जैन. कहीं ऊंची सड़क तो कहीं नीची सड़क, यहां खुला चैंबर तो वहां ऊंचा चैंबर, इधर रास्ता बंद तो उधर रास्ते पर जाम, चैंबर के ऊंचे ढक्कन से गिरते राहगीर तो चैंबर से बचने के चक्कर में सामने से आते वाहन या डिवाइडर से टकराते राहगीर। घर से निकलने से पहले गंतव्य तक पहुंचने की सड़क अच्छी है या खुदी, इसकी जानकारी लेते लोग। यह कहानी है स्मार्ट सिटी उज्जैन की। यहां सीवरेज प्रोजेक्ट के अंतर्गत टाटा कंपनी द्वारा किए जा रहे काम के कारण उज्जैनियों का जीना मुहाल होता जा रहा है। ठेकेदार कंपनी ने पूरे शहर की सड़कों को उधेड़कर रख दिया है। पाइप लाइन डालने के बाद सड़कों की मरम्मत में भी सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है। सड़कों का लेवल तक नहीं मिलाया जा रहा। कॉलोनियों के साथ ही मुख्य सड़कों पर भी चैंबर सड़क से करीब दो से ढाई इंच तक ऊंचे बना दिए गए हैं। इस कारण बाइक सवार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। एक साल पहले ही इंदौर गेट पर एक बाइक सवार युवक की ऊंचे चैंबर के कारण मौत हो चुकी है। इस पर कंपनी के जिम्मेदारों पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा भी कायम हो चुका है, फिर भी कंपनी है कि कार्य में सुधार करने को तैयार नहीं। जनप्रतिनिधि और अधिकारी की चेतावनी भी यहां बेअसर साबित हो रही है। इसके नतीजे में उज्जैन के लोग विकास के इस असहनीय दर्द को सहने को मजबूर हो रहे हैं। लोगों के इस दर्द को जिम्मेदारों तक पहुंचाने के लिए पत्रिका टीम ने शहर की प्रमुख सड़कों का जायजा लिया तो यह स्थिति सामने आई।
बसंत विहार: यहां तो सड़क का मिजान ही बिगाड़ दिया
पत्रिका टीम ने सबसे पहले बसंत विहार का रूख किया। यहां की मुख्य सड़क पर करीब तीन महीने से सीवरेज लाइन डालने का काम हो रहा है। बीच में कई बार काम रुका भी। अब लाइन डालने के बाद कंपनी ने डामर की सड़क की मरम्मत सीमेंट क्रांकीट से की है।कांक्रीट सड़क नीचे बना दी गई। इस कारण करीब चार फीट सड़क नीची और बाकी आसपास की सड़क ऊंची है। यह स्थिति करीब 700 मीटर के दायरे की है। ऊंची नीची सड़क के कारण वाहन चालक असंतुलित हो रहे हैं। साथ ही यहां चैंबर भी काफी ऊंचे बना दिए हैं, जो रात के समय दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। यहां के रहवासी रामलखन कुशवाह, सियाराम पटेल ने बताया कि टाटा कंपनी ने अच्छी सड़क को भी खराब कर दिया है। इसे सुधारने के नाम सीमेंट के थेगले लगा दिए हैं। सड़क के कारण रोजाना ही बाइक सवार फिसलते हैं। अभी मावठे के समय यहां कीचड़ और फिसलन हो गई थी। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। यह महानंदानगर, महाश्वेता नगर, महाकाल वाणिज्य सहित क्षेत्र की सभी कॉलोनियों की है।
नानाखेड़ा की कॉलोनियों में भी यहीं हाल
यहां से निकलकर पत्रिका टीम सी२१ मॉल के पास से अभिषेक नगर पहुंचती है। यहां सीवरेज के लिए खुदाई का काम चल रहा है। मुख्य सड़क के पास का मार्ग बंद है। यहां के रहवासी विनोद मेश्राम ने बताया कि कुछ महीने पहले भी यहां खुदाई हुई थी, तब काम पूरा नहीं किया और अब एक बार फिर खुदाई शुरू कर दी है। अब पता नहीं कब तक यहां रास्ता रोककर रखेंगे।
इंदौर गेट से मंडी तक कई जगह ऊंचे हैं चैंबर
अभिषेक नगर से निकलकर सिंहस्थ बायपास चौराहे से होकर पत्रिका टीम हरिफाटक ब्रिज की रोड पकड़ती है। हरिफाटक ब्रिज के बीच में एक बार कटी पतंग की डोर बाइक के हैंडल में उलझ जाती है। हालांकि बाइक धीमी होने के कारण डोर से नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके बाद बाइक को ब्रिज से उतारते हुए पत्रिका टीम इंदौर गेेट पहुंचती है। यहां बंदूक की दुकान से थोड़ी आगे अचानक एक ऊंचा चैंबर आता है। यहां बाइक सवार कई बार असंतुलित होते नजर आते हैं। इसी जगह से थोड़ा पहले ऊंचे चैंबर के कारण 27 फरवरी 2021 को 24 साल के अक्षत पिता उमेश शर्मा की मौत हो चुकी है। अक्षत की बाइक चैंबर के कारण असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। हादसे के करीब ६ माह बाद महाकाल थाना पुलिस ने टाटा कंपनी के इंजीनियर जुबेर अहमद और और सुपरवाइजर अनवर उर्फ अबरार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज किया था। इसके बाद यहां का चैंबर तो सुधार दिया गया, लेकिन बाकी जगहों को छोड़ दिया।
देवासगेट के पास भी यहीं हाल
यहां से पत्रिका टीम रेलवे स्टेशन होते हुए देवासगेट पहुंचती है। इस तरफ के रोड पर भी ऊंचे चैंबर मिलते हैं। रेलवे स्टेशन के सामने ऑटो-मैजिक वाले सवारी को लेकर जद्दोजहद करते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में बाइक सवार और पैदल राहगीरों को जगह ढूंढकर निकलना पड़ रहा है। चामुंडा माता चौराहे तक यहीं हाल है।
चामुंडा माता से मंडी गेट तक
चामुंडा माता चौराहे से आगे निकलकर पत्रिका टीम आगर रोड पर चरक भवन के पास पहुंचती है। यहां भी सड़क के दूसरी ओर एक ऊंचा चैंबर नजर आ रहा है। आगे कोयला फाटक चौराहे पर भी पास भी ऐसा ही नजारा है। नगर निगम के फायर ऑफिस के सामने भी एक बड़ा चैंबर है, जो हादसों को बुलावा देता नजर आ रहा है। कृषि उपज मंडी तक पहुुंचते हुए ऐसे दर्जनों चैंबर मिल रहे हैं। यहां से गुजर रहे आगर निवासी मोड़सिंह गुर्जर को पत्रिका टीम ने रोका और इस रोड से गुजरने का अनुभव पूछा तो मोड़सिंह ने गुस्से में कहा कि इस प्रमुख रास्ते की ऐसी दुर्दशा कर दी है। आगर से यहां तक का रोड तो खराब है ही, उज्जैन में प्रवेश करते ही ऊंचे-नीचे चैंबर और खराब सड़क के कारण बचकर चलना पड़ता है।
निगमायुक्त के बंगले के बाहर भी ऊंचा चैंबर
यहां से लौटकर पत्रिका टीम नए शहर कर रूख करती है। यहां ओवरब्रिज से उतरकर ग्रांड होटल के पास से निकली सड़क से होकर निगमायुक्त बंगले के सामने गाड़ी रोकते हैं। यहां बंगले के गेट के सामने ही एक बड़ा चैंबर है। यहां तेज रफ्तार में जा रहे बाइक सवार उछलते हुए नजर आ रहे हैं। करीब 10 मिनट में 18 से ज्यादा बाइक सवार यहां से गुजरते हैं। कुछ बचकर निकलते हैं तो कुछ उछलकर। ऐसे ही हाल पूरे मार्ग है। फ्रीगंज की मुख्य सड़क के साथ ही गलियों में भी ऊंचे चैंबर हादसों को बुलावा देते नजर आ रहे हैं।
सांसद ने जताई थी नाराजगी
29 दिसंबर 2021 को सांसद अनिल फिरोजिया और निगमायुक्त अंशुल गुप्ता ने बाइक पर बैठकर सीवरेज कार्य का आकस्मिक दौरा किया था। उन्होंने फ्रीगंज में प्रचलित सीवरेज कार्य की स्थिति के साथ ही बसन्त बिहार, महामृत्युंजय द्वार, शांति पैलेस, तीन बत्ती चौराहा, माधव नगर, देवास रोड आदि क्षेत्रों में भी सीवरेज व निगम-स्मार्ट सिटी के अन्य निर्माण कार्य देखे थे। इस दौरान कई जगह सीवर लाइन डालने के बाद सड़कों का सही तरीके से समतलीकरण नहीं करना पाया गया था। इस पर सांसद व निगमायुक्त ने खासी नाराजगी जताई थी। कार्य स्थल पर टाटा कंपनी द्वारा सूचना बोर्ड नहीं लगाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई थी। सांसद फिरोजिया ने कंपनी इंजीनियर को कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे, ताकि लोगों को अनावश्यक परेशान न होना पड़े। इसके बाद भी कंपनी के कार्य में सुधार नजर नहीं आ रहा है।
यह है सीवरेज प्रोजेक्ट
शिप्रा शुद्घिकरण और शहर को खुले नाले-नालियों से मुक्त करने के लिए अमृत मिशन के अंतर्गत करीब ७०० करोड़ रुपए का सीवरेज प्रोजेक्ट बनाया गया। इसके अंतर्गत टाटा कंपनी को शहर में 540 किमी लंबी अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाना है। घरों से निकला गंदा पानी सुरासा ट्रीटमेंट प्लांट पर ले जाकर उसे साफ करने के बाद ही नदी में छोड़ा जाएगा। हालांकि काम की रफ्तार यह है कि करीब ४ साल बाद भी पहले चरण का कार्य भी पूरा नहीं हो सका है। आधे शहर में भी पाइप लाइन नहीं बिछ पाई है। ऐसे में प्रोजेक्ट का समय बढ़ता ही जा रहा है।

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