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देश के कई राज्यों में तीनों बने VVIP मेहमान, मगर इनकी पोल-पट्टी तो उज्जैन पुलिस ने खोली

locationउज्जैनPublished: Feb 01, 2020 07:07:09 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

गिरफ्तारी के बाद भी बोला, मैं हूं नेपाल के उपराष्ट्रपति का सांस्कृतिक सलाहकार

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उज्जैन/ पुलिस ने तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनकी गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले तक वहीं पुलिस खातिरदारी में लगी थी। उन्हें वीवीआईपी सुविधाएं प्रदान कर रही थी। सुरक्षा में पुलिस बल के जवान तैनात थे। मगर एक पुलिस अधिकारी के हल्के-फुल्के सवालों में वह फंस गया। उसके बाद पुलिस ने इसकी जांच शुरू की तो पूरी पोल-पट्टी खुल गई।
दरअसल, नेपाल के उपराष्ट्रपति के फर्जी सांस्कृतिक सलाहकार बनकर उज्जैन के सर्किट हाउस में कमरा बुक करवाने वाले तीन अंतरराज्यीय ठगोरों के पास से उज्जैन पुलिस ने नेपाल के उपराष्ट्रपति कार्यालय के फर्जी दस्तावेज जब्त किए है, जिनके आधार पर ये विशेष अतिथि बनकर वीवीआईपी सुविधाएं लेते थे। रात में पुलिस ने इनके दस्तावेजों की वास्तविकता जानने के लिए गृह मंत्रालय, नेपाल दूतावास और विदेश मंत्रालय से संपर्क किया।
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तब खुली पोल
पुलिस पड़ताल में यह बात सामने आई कि इस तरह के कोई सांस्कृतिक सलाहकार नहीं है तो आधी रात को पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज किया है। पकड़े गए तीनों आरोपी जयपुर के पिता, बेटे और काका है। इस गिरोह के मुखिया पर 18 आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। उज्जैन एसपी सचिन अतुलकर ने बताया कि नेपाल के उपराष्ट्रपति के सांस्कृतिक सलाहकार बनकर सर्किट हाउस में ठहरने वाले महावीर प्रसाद तोरडी निवासी जयपुर, कुलदीप शर्मा और प्रमोद शर्मा है।
उन्होंने बताया कि इसमें नेपाल के उपराष्ट्रपति के नाम से दस्तावेज महावीर प्रसाद तोरडी के नाम से बनाए गए थे। तीनों बुधवार शाम आठ बजे के करीब उज्जैन सर्किट हाउस पहुंचे थे। इन्होंने आने से पहले ही फैक्स कर सर्किट हाउस का कमरा नंबर एक बुक करने को कहा था। बाद में पुलिस को सूचना मिली की फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुछ लोग ठहरे हैं।
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सीएसपी के सवालों में फंस गया
दरअसल, सीएसपी नैगी के अनुसार जब कोई वीआईपी आता है तो उसके लिए प्रशासन की तरफ से प्रोटोकाल अधिकारी भी रहता है। लेकिन सर्किट हाउस में मैं अकेला था। एडीएम आरपी तिवारी से पूछा तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। कुछ देर बाद तोरडी निजी कार से वहां पहुंचा। उसके साथ सिर्फ एक पायलट वाहन था सरकारी गाड़ी भी पीछे नहीं थी। मैंने उन्हें क्षिप्रा कक्ष में रुकवाया। कक्ष में चाय पी। इस दौरान सुरक्षा श्रेणी और उपराष्ट्रपति कार्यालय का नंबर उनसे पूछा। लेकिन वह नहीं बता सका। कहा कि मुझे वेतन थोड़ी मिलता है जो नंबर याद रहेगा। इसके बाद अधिकारियों को सूचना दी।
दस्तावेज फर्जी निकले
उसके बाद पुलिस अधिकारियों ने सर्किट हाउस पहुंचकर उसके दस्तावेजों की जांच शुरू की। तो सभी फर्जी निकले। उसके बाद रात को ही उनके दस्तावेजों की पड़ताल विभिन्न विभागों से हुई तो सब नकली थे। फिर रात ढाई बजे इन्हें हिरासत में लिया और शुक्रवार को गिरफ्तारी का खुलासा किया।

2010 से कर रहे ऐसा
ये तीनों लोग 2010 से ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर देश के कई हिस्सों में घूम रहे हैं। जब महावीर प्रसाद तोरडी की जांच की गई तो इसके खिलाफ देश के विभिन्न थानों में 18 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। इसमें महावीर प्रसाद ने अपना नेपाल से संबंध दर्शाने के लिए चलते सरनेम शर्मा से बदलकर तोरडी कर लिया। पूछताछ में महावीर ने बताया कि तोरडी सरनेम से उसका नेपाल कनेक्शन दिखता है।
ये कागजात मिले
वहीं, पुलिस ने महावीर प्रसाद से नेपाल के उपराष्ट्रपति के सांस्कृतिक सलाहकार की नियुक्ति संबंधी पत्र मांगा तो यह उपलब्ध नहीं करवा पाया। इसके पास से ऑफिस ऑफ दी स्पेशल एडवाइजर हार्नेबल प्रथम वाइस प्रेसिडेंट, गवर्नमेंट ऑफ नेपाल के नाम से दस्तावेज मिले। इसमें फर्जी सील और हस्ताक्षर किए हुए हैं।
खुद को बताता रहा उपराष्ट्रपति का सलाहकार
आरोपी पुलिस गिरफ्त में आने के बाद भी महावीर प्रसाद तोरडी खुद को अपराधी मानने को तैयार नहीं है। पीसी में जब उसेस पूछा कि यह फर्जी तरीके से सलाहकार से क्यों बने तो उसका कहना था कि मैं उपराष्ट्रपति का सांस्कृतिक सलाहकार हूं। पुलिस ने गलत तरीके से पकड़ लिया है। दस्तावेजों की जांच के बाद सांफ हो जाएगा।
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देवास में बना था विशिष्ट अतिथि
आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही आयोजनकर्ताओं से संपर्क कर वहां आने की सूचना देता था। इसी तरह से देवास जिले के सोनकच्छ के पास एक समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल होने वाला था। इसके बाद उज्जैन पुलिस ने इसे लेकर देवास पुलिस को अवगत करा दिया।
कई राज्यों में किसा ऐसा
तीनों ठग भारत, नेपाल और तिब्बत की सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने के लिए एनजीओ संचालित कर रहे थे और कल्चरल टूर आयोजित करते थे। इसी माध्यम से वे देश के विभिन्न शहरों में पहुंचकर स्थानीय प्रशासन और नेताओं के द्वारा कार्यक्रम आयोजित करते थे। इनलोगों ने राजस्थान, आंध्रप्रदेश, आसाम, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के कई धार्मिक स्थलों पर पहुंच कर वीवीआईपी सुविधा तो ले ही रहे थे। वहां के लोगों के साथ ठगी कर फरार हो जाते थे।

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