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उज्जैन के डॉ. मिश्रा दंपत्ति ने ऐसा किया कारनामा…देना पड़ा नोटिस

locationउज्जैनPublished: Jul 25, 2019 09:29:41 pm

विकास प्राधिकरण ने जेके नर्सिंग होम के दो आवासीय प्रयोजन के भूखंडों को मिलाने और इसके व्यावसायिक उपयोग को लेकर अस्पताल में नोटिस चस्पा किया

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विकास प्राधिकरण ने जेके नर्सिंग होम के दो आवासीय प्रयोजन के भूखंडों को मिलाने और इसके व्यावसायिक उपयोग को लेकर अस्पताल में नोटिस चस्पा किया

 

उज्जैन. संतनगर (सांवेर रोड) में जेके नर्सिंग होम के आवासीय भूखंडों पर बनने का मामला एक बार फिर उठा है। विकास प्राधिकरण ने नर्सिंग होम के दो आवासीय प्रयोजन के भूखंडों को मिलाने और इसके व्यावसायिक उपयोग को लेकर अस्पताल में नोटिस चस्पा किया है। इसमें लीज डीड की शर्तों का उल्लघंन करने का तकादा देते हुए एक महीने में जवाब देने को कहा है। वहीं जवाब नहीं देने पर भूखंड आवंटन निरस्त करने की चेतावनी दी है।

जेके नर्सिंग होम संतनगर योजना के भूखंड क्रमंाक ४ व ५ पर मिलकर बनाया गया है। यह दोनों भूखंड संतनगर के ग्राम एवं निवेश विभाग द्वारा स्वीकृत ले-आउट के तहत आवासीय हैं। वहीं प्राधिकरण की योजना में आवासीय प्रयोजन के भूखंड का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है। प्राधिकरण की ओर से भूखंड बेचने के दौरान लीज डीड की शर्तों में भी इसका उल्लेख होता है। बावजूद इसके डॉ मिश्र दंपती द्वारा दोनों आवासीय भूखंडों को मिलाकर नर्सिंग होम बना दिया गया। प्राधिकरण के संपदा अधिकारी जयदीप शर्मा की ओर से जारी किए गए नोटिस में ग्राम एवं निवेश विभाग के पत्र का उल्लेख करते हुए कहा है कि जिस प्रयोजन का भूखंड है उसी अनुरूप उपयोग किया जा सकता है लेकिन जेके नर्सिंग होम इसका उल्लंघन किया गया। वहीं अस्पताल संचालक की ओर से पूर्व में दिए गए जवाब से भी प्राधिकरण ने संतुष्ट नहीं जताते हुए इस अवैध निर्माण माना। नोटिस में चेतावनी दी है कि एक महीने में जवाब दें नहीं तो भूखंड आवंटन के निरस्ती की कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे भूखंड का बदला प्रयोजन

– संतनगर में भूखंड क्रमांक ४ को यूडीए ने १९७९ में केसी उपाध्याय को दिया था। बाद में यह भूखंड १९८३ में नीना ददवानी के नाम पर नामांतरित हुआ। वर्ष २००६ में भूखंड को डॉ जया मिश्र व डॉ. कात्यायन मिश्र ने खरीद लिया।
– भूखंड क्रमांक ५ को यूडीए ने वर्ष १९७८ में शुभारानी जैन को दिया था। बाद में पवनकुमार गोधा के मुख्त्यारनामा हुआ और वर्ष २००९ में इसे डॉ जया मिश्र व डॉ. कात्यायन मिश्र ने खरीद लिया।

अब तक छह नोटिस, कोई कार्रवाई नहीं
आवासीय प्रयोजन के भूखंड पर जेके नर्सिंग होम तान देने के मामले में प्राधिकरण की भूमिका भी ढीलपोल की रही है। वर्ष २०१५ से प्राधिकरण अब तक डॉ मिश्र दंपती को अवैध निर्माण के चलते छह बार नोटिस दे चुका है लेकिन जिम्मेदारी वाली कार्रवाई नहीं की। वहीं अब फिर नोटिस दिया गया है लेकिन एक महीने में जवाब देने तक सीमित कर दिया गया।

हाइकोर्ट ने भी दिए थे कार्रवाई के आदेश
जेके नर्सिंग होम के अवैध निर्माण को लेकर क्षेत्रीय नागरिक गब्बर कुंवाल ने हाइकोर्ट में भी याचिका लगाई थी। कुंवाल के मुताबिक कोर्ट ने वर्ष २०१४ में ही अपने फैसले में यूडीए व निगम को नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। निगम ने यह कहकर कार्रवाई नहीं कि भूखंड की लीज निरस्त नहीं हुई। वही प्राधिकरण महज नोटिस देने भर की कार्रवाई करता रहा।
इनका कहना
प्राधिकरण ने नोटिस दिया है। हम उसका लीगल परीक्षण करवाकर जवाब देंगे। वैसे हमने दो अलग-अलग भूखंड खरीदे थे और निर्माण भी अलग किया है। सिर्फ छत पर आने-जाने का रास्ता किया है। यूडीए के नए नियम भी आ गए है, इसमें मुख्य रोड पर बने मकान को व्यावसायिक किया जा सकता है।
– डॉ.़ कात्यायन मिश्र, संचालक जेके नर्सिंग होम

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