महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के माध्यम से संचालित होने वाले विक्रम कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम से मंदिर समिति को लाभ कम और हानि अधिक हो रहीं है। इस पर जितना खर्च हो रहा है उसके आधी राशि भी मंदिर समिति के पास इसके संचालन के लिए नहीं पहुंच पाती है। ऑडिटोरियम से इतनी आय नहीं होती है कि कर्मचारियों के वेतन के साथ ही मेंटेनेस और बिजली के बिल की भरपाई भी नही हो पाती है। शासन स्तर पर होने वाले अधिकांश कार्यक्रम यहां निशुल्क होते हैं, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों से नाममात्र का शुल्क लिया जाता है। इसमें यहां का कोई भी खर्च नहीं निकल पाता है। हालात यह है कि ऑडिटोरियम तीन वर्ष पहले जिस खस्ता हाल में था, वैसी स्थिति की ओर जा रहा है।
एक दुकान प्रारंभ नहीं
विक्रम कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम जीर्णोद्धार के साथ परिसर में रिक्त पड़ी जमीन पर 400 दर्शक के एक साथ बैठने की व्यवस्था का ओपन थियेटर बनाया गया है। इसके नीचे दुकानों का निर्माण किया गया था। सिंहस्थ और इसके कुछ समय बाद सांस्कृतिक संगठनों ने थियेटर उपयोग किया, लेकिन उपयोग लायक इंतजाम नहीं होने से संगठनों ने आयोजनों से किनारा कर लिया। लम्बे समय से ओपन थियेटर में कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है। दुकानों के ताले तो निर्माण के बाद से नहीं खुले हैं। इनको नीलाम करने और किराए से देने पर कभी विचार नहीं किया गया।
शिप्रा शुद्धिकरण न्यास की राशि से भरा था बिल
शिप्रा शुद्धिकरण के लिए महाकाल मंदिर में दान पेटी लगाई थी। उद्देश्य था कि श्रद्धालु जो राशि दान करेंगे उससे शिप्रा के उद्धार और कायाकल्प में खर्च की जाएगी। महाकाल मंदिर समिति इस राशि को शिप्रा शुद्धिकरण न्यास में समय-समय पर डालती है लेकिन एक वर्ष पहले महाकाल मंदिर समिति के अफसरों ने शिप्रा के लिए आई दान राशि से विक्रम कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम का बकाया बिजली बिल 4 लाख 63 हजार 495 रुपए का भुगतान कर दिया, जबकि महाकाल मंदिर समिति को इस तरह बिल भरने का प्रावधान नहीं था। दरअसल विक्रम कीर्ति मंदिर के अधिग्रहण पहले बिजली बिल के बकाया था। इसी को लेकर न्यास ने पहले मंदिर समिति पत्र को लिखा और बाद में तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोंडवे के आदेश पर बिल जमा कर दिया गया।
सुरक्षाकर्मियों के भरोसे
संभागायुक्त कार्यालय की धर्मस्व शाखा इसका संचालन संधारण देखती थी। सिंहस्थ से पहले ऑडिटोरियम का जीर्णोद्धार किया गया था। करीब दो वर्ष पूर्व इसे संचालन संधारण के लिए महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को सौंप दिया गया। इसके बाद मंदिर प्रबंध समिति ने ऑडिटोरियम के लिए अतिरिक्त कोई व्यवस्था तो नहीं की। केवल एक प्रभारी को इसकी जिम्मेदारी देने के साथ महाकाल मंदिर की निजी सुरक्षा एजेंसी के गार्डस रख दिए गए। इसके बाद से ऑडिटोरियम सुरक्षाकर्मियों के भरोसे है। नतीजतन मंदिर प्रबंध समिति द्वारा इसका संधारण-संचालन ठीक से नहीं किया जा रहा है।
80 के दशक में बना था विक्रम कीर्ति मंदिर
विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा दी की गई जमीन पर एक ट्रस्ट द्वारा 80 के दशक में विक्रम कीर्ति मंदिर सभागार का निर्माण किया गया था। इसके संचालन-संधारण में दिक्कत होने के कारण ट्रस्ट ने इस प्रशासन को सौंप दिया। इसके बाद सिंहस्थ 2016 के एक वर्ष बाद तक कीर्ति मंदिर का संचालन संभागायुक्त कार्यालय की धर्मस्व शाखा से होता रहा। सिंहस्थ 2016 के विकास कार्यो के प्रस्ताव में खंडहर में तब्दील हो रहे विक्रम कीर्ति मंदिर की साज-सज्जा से लेकर कई आधुनिक सुविधाएं जुटाकर इसे एयर कंडीशन, हाइटेक ऑडिटोरियम के तौर पर विकसित करने का निर्णय लिया था। इसके बाद करीब 5 करोड़ रुपए के कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा किए गए। कीर्ति मंदिर की मरम्मत कर एयर कंडीशन ऑडिटोरियम में मंच की साइज को चार से पांच फीट बढ़ाया गया। दर्शकों के लिए प्रीसेक्शन लॉबी भी बनाई गई है।
हाल में आकर्षक सजावट के साथ इकोस्टी साउंड लगाया गया। स्टेज व हॉल में आकर्षक लाइटिंग की गई है। दर्शकों को बैठने के लिए आरामदायक कुर्सियां लगाई गई है। पहली मंजिल पर जाने के लिए आगे से नया रास्ता बनाया गया है।
ऑडिटोरियम के साथ ही आसपास के परिसर को सुंदर बनाया गया था। तत्कालीन संभागायुक्त ने महाकाल मंदिर प्रशासक को महाकाल मंदिर को कीर्ति मंदिर से जोडऩे के निर्देश दिए। इसके बाद विक्रम कीर्ति मंदिर ऑडिटोरियम की जिम्मेदारी महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के पास आ गई। फिलहाल मंदिर प्रबंध समिति इसे अब दूसरे विभाग को सौंपने पर विचार कर रहीं है।