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विक्रम विवि : अब अंकसूची को लेकर मचा कोहराम

locationउज्जैनPublished: Nov 07, 2019 05:56:51 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

पहले परिणाम और अब अंकसूची में विसंगतियां, जानकारी प्रारूप में नहीं होने से खराब हो गईं हजारों अंकसूचियां

विक्रम विवि : अब अंकसूची को लेकर मचा कोहराम

पहले परिणाम और अब अंकसूची में विसंगतियां, जानकारी प्रारूप में नहीं होने से खराब हो गईं हजारों अंकसूचियां

उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय को परीक्षा परिणाम बनने का काम नई और अनुभवहीन एजेंसी को देना भारी पड़ता जा रहा है। पहले परिणाम में देरी फिर अनेक गलतियां और अब अंकसूची में गड़बड़ी सामने आई है। जानकारी प्रारूप में ठीक से नहीं होने के कारण हजारों अंकसूची खराब हो गई है।
विश्वविद्यालय ने ज्यादातर रिजल्ट घोषित कर दिए हैं। इनमें से कई रिजल्ट अधूरे हैं तो कई में अनेक गड़बडिय़ां हुई हैं। पास छात्र को फेल बता दिया गया और फेल छात्र को पास किया गया। पहले तो देर से परिणाम के बाद अनेक विसंगतियां सामने आ चुकी है। इनका निराकरण बहुत धीमी गति से हो रहा है तो अब अंकसूचियों में गड़बड़ी उजागर हुई हैं। रिजल्ट बाने वाली एजेंसी ने विभिन्न परीक्षाओं की करीब ४० हजार अंकसूची तैयार कर विवि को दी हैं और इसमें प्रकाशन के साथ-साथ जानकारियों को लेकर भी विसंगतियां सामने आई है। अंकसूची में कॉलम के अनुसार जानकारी सेट नहींं ही गई है। वहीं एेसी जानकारी भी छाप दी, जिसका अंकसूची/परीक्षा/संकाय या वर्ष से कोई वास्ता नहीं है। सेङ्क्षटग सही नहीं होन से परिणाम की अनेक जानकारी कॉलम से बाहर है। इस तरह की अंकसूची विद्यार्थियों को जारी करने की स्थिति में विवि की छवि पर असर होगा। अंकसूची को रोका तो हजारों अंकसूची बेकार होगी। इन्हें फिर से तैयार करना पड़ेगा। बुधवार को मामला सामने आने के बाद कुलपति/कुलसचिव ने एजेंसी संचालक को फटकार लगाई है।
भुगतान नहीं होने पर वेबसाइट बंद
विक्रम विवि की अधिकृत वेबसाइट छह दिनों से बंद है। विवि ने इसका कारण तकनीकी खराबी बताया है,जबकि वास्तविक कारण संधारण शुल्क का भुगतान नहीं होना है। विवि की अधिकृत वेबसाइट संधारण एक निजी एजेंसी द्वारा किया जाता है। इसका मासिक भुगतान नहीं हुआ तो एजेंसी ने संधारण रोक दिया, नतीजतन वेबसाइट बंद है।
पूर्व कुलपति पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगा ईओडब्ल्यू
भोपाल/उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एसएस पांडे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ करेगी। उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सहायक महानिरीक्षक (अपराध) ईओडब्ल्यू को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। विक्रम विवि के कुलपति रहते हुए प्रो. एसएस पांडे पर पुस्तक खरीदी, निजी कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति में चयन समिति का गठन नहीं होने जैसे कई मामलों को लेकर शिकायत हुई थी, जिसे लेकर प्रो. पांडे से जवाब मांगा गया था। इस बीच उन्होंने कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे 7 फरवरी 2019 को राज्यपाल ने मंजूर कर लिया था। इसके बाद शासन ने विवि में धारा -52 लागू कर दी थी। अब इस प्रकरण में उच्च शिक्षा विभाग ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को जांच करने के लिए पत्र लिखा है। उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भलावी ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। प्रो. पांडे वर्तमान में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में गणित विभाग के प्राध्यापक हैं।
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