scriptलेटलतीफी : कहीं बिना अनुमति पढ़ा रहे, कहीं कक्षाओं की शुरूआत नहीं | Vikram University officials can not start latitizing classes on time | Patrika News

लेटलतीफी : कहीं बिना अनुमति पढ़ा रहे, कहीं कक्षाओं की शुरूआत नहीं

locationउज्जैनPublished: Jul 05, 2019 09:01:14 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

विक्रम विश्वविद्यालय के अधिकारियों की लेटलतीफी के चलते नए शिक्षण सत्र की कक्षाओं की शुरूआत समय पर नहीं हो सकी है।

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उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय के अधिकारियों की लेटलतीफी के चलते नए शिक्षण सत्र की कक्षाओं की शुरूआत समय पर नहीं हो सकी है। विवि प्रशासन ने नए सत्र के साथ द्वितीय व तृतीय वर्ष की कक्षा की शुरूआत एक जुलाई से करने का निर्णय लिया था। विवि की सभी अध्ययनशाला अतिथि विद्वान के भरोसे है, लेकिन अभी तक अतिथि विद्वानों की सेवाओं के संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका। सभी विभागों के प्रमुख ने नई नियुक्ति नहीं होने तक पुराने वालो को ही काम बुलाने के लिए अनुममि मांगी है। यह पत्र प्रशासनिक कार्यालय भेजा गया। जो अधर में अटक गया। अब तक हर सत्र में एेसा होता आया है कि पुराने अतिथि विद्वानों को निरंतर करने का आदेश जुलाई से पहले जारी हो जाता था। ताकि समय पर कक्षा शुरू हो सकें। इस बार एक सप्ताह बीतने के बाद भी आदेश नहीं आ पाया है।

विक्रम विवि की वाणिज्य, इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी, संस्कृत अध्यययनशाला पूरी तरह अतिथि विद्वानों के दम पर संचालित हो रही है। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, गणित सहित अन्य में स्थाई से ज्यादा अतिथि विद्वान है। सभी अध्ययनशाला के प्रमुखों ने नया विज्ञापन और नियुक्ति होने में समय लगने और कानून अड़चन के चलते पूर्व के अतिथि विद्वानों को काम पर बुलाने की अनुमति मांगी। इस पत्र पर विवि प्रशासन ने कानूनी सलाह ले डाली। यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके बाद अब पुराने वालों को बुलाए जाने का आदेश दिया जाना है। इस प्रक्रिया में अभी दो से तीन दिन लगेंगे। विवि कुलसचिव डीके बग्गा का कहना है कि सभी कक्षा समय पर शुरू हो गई। अतिथि विद्वानों के संबंध में सभी समस्याओं का समाधान कर लिया गया।

न नए आएंगे, न मिलेगा नया वेतन

विवि प्रशासन ने अतिथि विद्वानों को लेकर चल रही उठापटक को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। विवि में अतिथि विद्वानों के दो तरह के मानदेय (नए और पुराने) हो गए थे। इस कारण भुगतान में समस्या आ रही थी। अब विवि प्रशासन ने उक्त समस्या का समाधान स्थाई तौर पर करते हुए सभी को एक समान मानदेय देने का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी को पुराना वाला मानेदय दिया जाएगा। इसी के साथ पूर्व से कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को बाहर नहीं किया जाएगा। बता दे कि विवि में स्वीकृत रिक्त पद के विरुद्ध अतिथि विद्वानों की नियुक्ति की जाती है। विवि प्रशासन हर सत्र में नए सिरे से नियुक्ति करना चाहता है, लेकिन पूर्व में नियुक्त अतिथि विद्वान न्यायालय से स्टे ले जाते है और काम करते है।

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