कालापीपल. शनिवार शाम को हुई ओलावृष्टि ने क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। इन गांवों में सोयाबीन की फसल को लगभग सौ प्रतिशत नुकसान पहुंचाया है। इसके साथ ही कई पेड़ भी धराशाई हो गए वहीं मकान भी ढह गए।
पिछले लगभग 2 महीनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था। वहीं लगभग 2 दिनों से मौसम खुलने के साथ ही किसान भी अपनी बची हुई फसलों को समेटने में लग गए किसानों द्वारा फसल कटाई का काम शुरू ही किया था कि शनिवार शाम तेज आंधी तूफान के साथ बारिश अपने साथ ओले ले आई जो किसानों की फसलों पर आफत बनकर टूटी। ओलों की मार सबसे ज्यादा नुकसानदायक साबित हुई। शाम लगभग 5 बजे बजे क्षेत्र के ग्राम आंधी के साथ आई बारिश अपने साथ ले ले आई जिसके चलते कई गांव में पेड़ धराशाई हो गए वही ग्राम काकड़ खेड़ा में बिजली के खंबे टूट जाने से गांव की बिजली भी गुल हो गई। शनिवार को ग्राम नांदनी, ढाबला धीर, काकडख़ेड़ा, फरड आलनिया सहित आसपास के गांवों में चने के आकार में ओले बरसे। करीब 15 मिनट तक हुई ओलों की यह बारिश फसलो पर भारी साबित हुई है। बारिश के बाद जब किसान खेतों में पहुंचे तो फसलें खेतों में आड़ी पड़ी हुई थी। सोयाबीन की फलियों में से दाने गिरकर टूट गए। इसके साथ ही कई जगहों पर कटी हुई फसलें पानी में बह गई। पकी हुई सोयाबीन की फसल की बर्बादी देखकर किसान रोने लगे।
ग्राम ढाबला धीर निवासी डॉ कमल सिंह मेवाडा ने बताया लगातार 1 घंटे तेज बारिश से नदी नाले उफान पर आ गए 2 दिनों से खुले हुए मौसम के चलते फसलों की कटाई चल रही थी तेज पानी खेतों में जा पहुंचा जिसमें कटी हुई फसल भी बह गई।
ग्राम काकड़ खेड़ा निवासी अचल सिंह ने बताया तेज बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से फसलें चौपट हो गई है वहीं गांव में पेड़ ट्रांसफार्मर पर जा गिरा जिससे विद्युत सप्लाई भी प्रभावित हुई। ग्राम नांदिनी निवासी कृपाल सिंह ने बताया कई घरों पर ओले गिरने से खप्पर भी टूट गए फसलों को भी नुकसान हुआ है।